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सामाजिक सर्वेक्षण का क्षेत्र एवं विषय-वस्तु-samajik sarvekshan ke kshetra
मोजर ने सामाजिक सर्वेक्षण के क्षेत्र को निम्नांकित चार भागों में विभाजित किया है-
1. जनसंख्यात्मक विशेषताएँ
इसके अन्तर्गत सामाजिक सर्वेक्षण के द्वारा किसी समाज अथवा समुदाय की जनसंख्यात्मक विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है। जनसंख्यात्मक विशेषताओं के अन्तर्गतः परिवार और उसकी रचना, स्त्री-पुरुषों की संख्या (लिंग अनुपात), आयु संरचना, वैवाहिक स्थिति, प्रजनन सम्बन्धी नियम, जनघनत्व, जन्म एवं मृत्यु-दर, जन्म नियन्त्रण की घटना, परिवार नियोजन, औसत आयु, जनसंख्या की गतिशीलता आदि को सम्मिलित किया जाता है।
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2. सामाजिक पर्यावरण
इसके अन्तर्गत मोजर ने उन सामाजिक-आर्थिक कारकों का उल्लेख किया है जो लागो को प्रभावित करते हैं। इन कारकों में समूह या समुदाय के लोगों के विभिन्न व्यवसाय, आय, घरों की दशा, शिक्षा, स्वास्थ्य तथा अन्य सामाजिक और भौतिक सुख-सुविधाओं, धर्म और पड़ोस, आदि को सम्मिलित किया है। लोगों के रहन-सहन के स्तर एवं सामाजिक-आर्थिक दशाओं को जानने के लिये भी सामाजिक सर्वेक्षण किया जाता है। इस प्रकार के सर्वेक्षण में व्यक्ति किस प्रकार रहते हैं, उनकी विभिन्न भौतिक आवश्यकताएँ क्या हैं ? उनकी पूर्ति वे किन साधनों द्वारा करते हैं, आदि बातें जानने का प्रयास किया जाता है। लोगों के आय-व्यय का बजट, उनकी आर्थिक समस्याओं जैसे बेकारी, निर्धनता, ऋणग्रस्तता आदि पक्षों से सम्बन्धित सर्वेक्षण भी इसके अन्तर्गत किये जाते हैं।
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3. सामाजिक क्रियाएँ
इसके अन्तर्गत पेशों को छोड़कर लोगों की अन्य सामाजिक क्रियाओं को सम्मिलित किया जाता है। व्यक्ति क्या करते हैं, यह जानना, इस प्रकार के सर्वेक्षणों का मूल उद्देश्य होता है। लोगों की सामाजिक क्रियाओं के अन्तर्गत कुछ इस प्रकार के प्रश्नों को सम्मिलित किया जाता है जैसे वे खाली समय का उपयोग किस प्रकार करते हैं, उनकी मनोरंजन, रेडियो सुनने, अखबार पढ़ने एवं टी.वी. देखने तथा यात्रा करने से सम्बन्धित आदतें क्या हैं खेल-कूद त्योहार, नाच गाना, सामूहिक भोज, सिगरेट-पान सेवन, उत्सव, कर्मकाण्ड, आदि विषयों से सम्बन्धित सर्वेक्षण भी इसके क्षेत्र के अन्तर्गत आते हैं।
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4. विचार तथा मनोवृत्ति
इस श्रेणी के अन्तर्गत वे सर्वेक्षण सम्मिलित किए जाते हैं जो विभिन्न विषयों पर लोगों के विचारों, दृष्टिकोणों, मनोवृत्तियों, मूल्यों तथा मानसिक स्थितियों को जानने के लिए आयोजित किये जाते हैं। जनमत संग्रह, छुआछूत, विधवा विवाह, चुनाव सम्बन्धी मत आदि के बारे में लोगों की राय जानने के लिए किए जाने वाले सर्वेक्षण इसके अन्तर्गत सम्मिलित किए जाते हैं।
उपर्युक्त वर्गीकरण से यह नहीं समझ लेना चाहिए कि सामाजिक सर्वेक्षण का क्षेत्र केवल इन्हीं पक्षों तक ही सीमित है। वास्तव में समाज में ज्यों-ज्यों नई परिस्थितियां सामने आती जायेंगी, अनुसन्धान विधियों में सुधार होता जायेगा, त्यों-त्यों सामाजिक सर्वेक्षण का क्षेत्र भी विस्तृत होता जायेगा और नए-नए विषय इसके क्षेत्र में सम्मिलित होते जायेंगें।
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