अनुक्रम (Contents)
सामाजिक सर्वेक्षण की प्रकृति से आप क्या समझते हैं ? samajik sarvekshan ki prakriti
सामाजिक सर्वेक्षण के बारे में विभिन्न विद्वानों ने जो परिभाषाएँ दी हैं। उनमें इसकी प्रकृति का भी पता चलता है। सामाजिक सर्वेक्षण की प्रकृति को इसकी निम्नलिखित प्रमुख विशेषताओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-
1. तात्कालिक समस्याओं से सम्बन्धित (Related with Immediate Problem)
सामाजिक सर्वेक्षण सामान्यतः तात्कालिक सामाजिक समस्याओं एवं जीवन की दशाओं से सम्बन्धित होते हैं। इनके अन्तर्गत विविध प्रकार की समस्याओं एवं जीवन की दशाओं के बारे में ज्ञान प्राप्त किया जाता है।
इसी भी पढ़ें…
2. निश्चित भौगोलिक क्षेत्र (Definite Geographical Area)
सामाजिक सर्वेक्षण का एक सीमित एवं निश्चित भौगोलिक क्षेत्र होता है जोकि एक नगर या इसका कुछ भाग, गाँव, समूह, मुहल्ला या कोई अन्य समुदाय हो सकता है।
3. रचनात्मक आधार (Constructive Basis)
सामाजिक सर्वेक्षण का उद्देश्य – सामाजिक अनुसंधान के लिये रचनात्मक कार्यक्रम तैयार करना अथवा विभिन्न सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिये रचनात्मक कार्यक्रमों की एक रूपरेखा बनाना है। अतः सामाजिक सर्वेक्षण समाज सुधार एवं कल्याण कार्यों को सफल बनाने के लिये अनिवार्य है।
इसी भी पढ़ें…
4. वैज्ञानिक प्रक्रिया (Scientific process)
सामाजिक सर्वेक्षण में वैज्ञानिक उपकरणों का प्रयोग करते हैं तथा सामग्री का संकलन वैज्ञानिक पद्धति द्वारा किया जाता है। अतः यह एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है।
5. वस्तुनिष्ठ रूप में तथ्यों का संकलन (Collection of Data Objectively)
सामाजिक सर्वेक्षण एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है अतः इसके द्वारा वस्तुनिष्ठ रूप से तथ्यों का संकलन संभव है। इसीलिये यह वैज्ञानिक अनुसंधान का मुख्य तत्व माना गया है।
इसी भी पढ़ें…
6. सहयोगात्मक प्रक्रिया (Cooperative Process)
सामाजिक सर्वेक्षण में सहयोगात्मक ढंग से प्रयास आवश्यक है। हैरीसन ने तो इसे एक सहकारी प्रक्रिया ही बताया है। यह सहयोगात्मक या सहकारी प्रक्रिया इसलिये है क्योंकि इसमें अनेक कार्यकर्ता सामूहिक रूप से घटना के विभिन्न पहलुओं के बारे में तथ्यों का संकलन करते हैं।
7. परिमाणात्मक प्रकृति (Quantitative Nature)
सामाजिक सर्वेक्षण द्वारा गुणात्मक तथा परिमाणात्मक दोनों प्रकार के आँकड़े एकत्रित किये जा सकते हैं फिर भी अधिकांश विद्वानों ने इसमें परिमाणात्मक तथ्यों के संकलन को अधिक महत्व दिया है।
इसी भी पढ़ें…
- सामाजिक सर्वेक्षण का क्षेत्र एवं विषय-वस्तु
- शिक्षा में सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का अनुप्रयोग
- शिक्षा में सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का क्षेत्र
- विद्यालयों में सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी के उपयोग
- सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का अर्थ
- सूचना एवं सम्प्रेषण तकनीकी का प्रारम्भ
इसी भी पढ़ें…
- अभिप्रेरणा क्या है ? अभिप्रेरणा एवं व्यक्तित्व किस प्रकार सम्बन्धित है?
- अभिप्रेरणा की विधियाँ | Methods of Motivating in Hindi
- अभिप्रेरणा का अर्थ, परिभाषा एवं प्रकार
- अभिप्रेरणा को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक
- अभिक्रमित अनुदेशन का अर्थ, परिभाषाएं, प्रकार, महत्त्व, उपयोग/लाभ, सीमाएँ
- शाखीय अभिक्रमित अनुदेशन (Branching Programmed Instruction)
- स्किनर का क्रियाप्रसूत अनुबंधन सिद्धांत
- पुनर्बलन का अर्थ | पुनर्बलन के प्रकार | पुनर्बलन की सारणियाँ
- अनुकूलित-अनुक्रिया को नियन्त्रित करने वाले प्रमुख कारक
- पावलॉव का अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त | पावलॉव का सिद्धान्त
- सीखने की विभिन्न विधियाँ | सीखने के क्षेत्र या अधिगम के क्षेत्र | अधिगम के व्यावहारिक परिणाम
- अधिगम का अर्थ एवं परिभाषा | Meaning and Definitions of Learning in Hindi
- अधिगम की प्रकृति क्या है? | What is the nature of learning in Hindi
- अधिगम के नियम, प्रमुख सिद्धान्त एवं शैक्षिक महत्व
- शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ, परिभाषा ,क्षेत्र ,प्रकृति तथा उपयोगिता
- वैश्वीकरण क्या हैं? | वैश्वीकरण की परिभाषाएँ
- संस्कृति का अर्थ एवं परिभाषा देते हुए मूल्य और संस्कृति में सम्बन्ध प्रदर्शित कीजिए।
- व्यक्तित्व का अर्थ और व्यक्तित्व विकास को प्रभावित करने वाले कारक