Hindi Vyakaran(हिंदी व्याकरण) Notes

Samas PDF Download (समास उदाहरण सहित संस्कृत व्याकरण ) for competitive Exams

Samas PDF Download (समास हिंदी ग्रामर ) for competitive Exams – Hello Friends,currentshub में आपका स्वागत हैं , आज हम आपके साथ Samas PDF Download (समास हिंदी ग्रामर ) महत्वपूर्ण Notes And Question – Answer शेयर कर रहे है. जो छात्र SSC CGL, MTS, CPO, RAS, UPSC, IAS and all state level competitive exams. या अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे उनके लिए ये  Hindi Notes का PDF Download करके पढना किसी वरदान से कम नहीं होगा. आप इस सामान्य हिंदी का इतिहास एवं परिचय PDF नोट्स को नीचे दिए हुए Download Link के माध्यम से PDF Download कर सकते है.

Samas PDF Download-समास , समास विग्रह,समास के भेद (PDF Download)

परिभाषा : ‘समास’ शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है ‘छोटा – रूप’ । अतः जब दो या दो से अधिक शब्द ( पद ) अपने बीच की विभक्तियों का लोप कर जो छोटा रूप बनाते हैं , उसे समास , सामासिक शब्द या समस्त पद कहते हैं । जैसे -‘रसोई के लिए घर’ शब्दों में से के लिए विभक्ति का लोप करने पर नया शब्द बना ‘रसोई घर’ , जो एक सामासिक शब्द है ।

समास विग्रह :किसी समस्त पद या सामासिक शब्द को उसके विभिन्न पदों एवं विभक्ति सहित पृथक् करने की क्रिया को समास का विग्रह कहते हैं जैसे-

विद्यालय → विद्या के लिए आलयमाता – पिता → माता और पिता

समास के प्रकार

समास छः प्रकार के होते हैं –

1 . अव्ययीभाव समास
2 . तत्पुरुष समास
3 . द्वन्द्व समास
4 . बहुब्रीहि समास
5 . द्विगु समास
6 . कर्म धारय समास

1 . अव्ययीभाव समास

अव्ययीभाव समास में प्रायः

( i ) पहला पद प्रधान होता है ।

( ii ) पहला पद या पूरा पद अव्यय होता है । ( वे शब्द जो लिंग , वचन , कारक , काल के अनुसार नहीं बदलते , उन्हें अव्यय कहते हैं )

( iii ) यदि एक शब्द की पुनरावृत्ति हो और दोनों शब्द मिलकर अव्यय की तरह प्रयुक्त हो , वहाँ भी अव्ययीभाव समास होता है ।

( iv ) संस्कृत के उपसर्ग युक्त पद भी अव्ययीभव समास होते हैं

यथाशक्ति -शक्ति के अनुसार प्रतिदिन- दिन-दिन यथाविधि- विधि के अनुसार प्रत्यक्ष – अछि के प्रति यथार्थ -अर्थ के अनुसार आजन्म- जन्म पर्यंत प्रत्येक -एक एक के प्रति यथारुचि- रुचि के अनुसार भरपेट- पेट भर

2 . तत्पुरुष समास

( i ) तत्पुरुष समास में दूसरा पद ( पर पद ) प्रधान होता है अर्थात् विभक्ति का लिंग , वचन दूसरे पद के अनुसार होता है ।

( ii ) इसका विग्रह करने पर कर्ता व सम्बोधन की विभक्तियों ( ने , हे , ओ , अरे ) के अतिरिक्त किसी भी कारक की विभक्ति प्रयुक्त होती है तथा विभक्तियों के अनुसार ही इसके उपभेद होते हैं । जैसे –

( क ) कर्म तत्पुरुष ( को )

कृष्णार्पण → कृष्ण को अर्पण नेत्रसुखद → नेत्रों को सुखदवन – गमन → वन को गमनजेब कतरा → जेब को कतरने वालाप्राप्तोदक → उदक को प्राप्त

( ख ) करण तत्पुरुष ( से / के द्वारा )

ईश्वर – प्रदत्त → ईश्वर से प्रदत्तहस्तलिखित → हस्त ( हाथ ) से लिखिततुलसीकृत → तुलसी द्वारा रचितदयार्द्र → दया से आर्द्ररत्न जड़ित → रत्नों से जड़ित

( ग ) सम्प्रदान तत्पुरुष ( के लिए )

हवन – सामग्री → हवन के लिए सामग्रीविद्यालय → विद्या के लिए आलयगुरु – दक्षिणा → गुरु के लिए दक्षिणाबलि – पशु → बलि के लिए पशु

( घ ) अपादान तत्पुरुष ( से पृथक )

ऋण मुक्त → ऋण से मुक्तपदच्युत → पद से च्युतमार्ग भ्रष्ट → मार्ग से भ्रष्टधर्म – विमुख → धर्म से विमुखदेश निकाला → देश से निकाला

( च ) सम्बन्ध तत्पुरुष ( का , के , की )

मन्त्रिपरिषद् → मन्त्रियों की परिषद्प्रेम – सागर → प्रेम का सागरराजमाता → राजा की माताअमचूर → आम का चूर्णरामचरित → राम का चरित

( छ ) अधिकरण तत्पुरुष ( में , पे , पर )

वनवास → वन में वासजीवदया → जीवों पर दयाध्यान – मग्न → ध्यान में मग्नघुडसवार → घोडे पर सवारघृतान्न → घी में पक्का अन्नकवि पुंगव → कवियों में श्रेष्ठ

3.द्वंद समास

जिसके दोनों पद प्रधान हो, दोनों संज्ञाएं अथवा विशेषण हों, वह द्वंद समास कहलाता है। इसका विग्रह करने के लिए दो पदों के बीच “और” अथवा “या” जैसे- योजक अव्यय लिखा जाता है।

जैसे – सीता-राम सीता और राम रात -दिन रात और दिन माता -पिता माता और पिता

4.बहुव्रीहि समास

इस समास में कोई भी प्रधान नहीं होता है, दोनों शब्द मिलाकर एक नया अर्थ प्रकट करते हैं। जैसे- पीतांबर। इसके दो पद हैं – पीट +अम्बर। पहला विशेषण और दूसरा संज्ञा। अतः इसे कर्मधारय समास होना चाहिए था, परंतु बहुब्रीहि में पीतांबर का विशेष अर्थ पीत वस्त्र धारण करने वाले श्री कृष्ण से लिया जाएगा।

बहुव्रीहि समास के उदाहरण

दशानन- दश है आनन् जिसके अर्थात रावण चक्रधर- चक्र को धारण करता है जो अर्थात विष्णु जलज- जल में उत्पन्न होता है जो अर्थात कमल पीतांबर- पीत है अंबर जिसका अर्थात श्री कृष्ण

5.कर्मधारय समास

कर्मधारय का प्रथम पद विशेषण और दूसरा विशेष्य अथवा संज्ञा होता है। अर्थात विशेषण+ विशेष्य(संज्ञा) = कर्मधारय। जैसे – महाकवि- महान है जो कवि महौषधि- महान है जो औषधि पीत सागर- पीत है जो सागर नराधम- अधम है नर जो पीतांबर- पीत है जो अम्बर।

6.द्विगु समास

जिस समास का प्रथम पद संख्यावाचक और अंतिम पद संज्ञा हो उसे दिगु समास कहते हैं। जैसे- चतुर्दिक- चारों दिशाओं का समाहार त्रिभुज- तीन भुजाओं का समाहार त्रिफला- तीन फलों का समाहार चौराहा- चार राहों का समाहार नवग्रह- नव ग्रहों का समाहार पंचवटी- पांच वटों का समाहार दोपहर- दो पहरों का समाचार पंचपात्र- पांच पात्रों का समाहार नवरत्न- नवरत्नों का समाहार

Samas PDF Download

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shubham yadav

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