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सांख्यिकी का महत्व (Importance of Statistics in Hindi)
सांख्यिकी का महत्व- आज के जटिल सामाजिक जीवन में विश्लेषण एवं संश्लेषण के द्वारा नई राह बनाने का प्रयास किया जाता है शिक्षा, मनोविज्ञान तथा अनुसंधान के क्षेत्र में सांख्यिकी ने अनेक नवीन अवधारणाओं (Concepts) का निर्माण किया है। विभिन्न क्षेत्रों में अनेक प्रयोग किये जा रहे हैं और सांख्यिकी की प्रक्रिया के द्वारा उन प्रयोगों को पुष्टि प्रदान की जाती है। सांख्यिकी सभी सामाजिक-भौतिक विज्ञानों में निष्कर्ष की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण योग देती है। हम यहाँ पर केवल शिक्षा, मनोविज्ञान तथा अनुसंधान के क्षेत्र में सांख्यिकी का वर्णन कर रहे हैं।
(1) शिक्षा के क्षेत्र में सांख्यिकी का महत्व
शिक्षा के क्षेत्र में आज अनेक महत्वपूर्ण परिवर्तन हो रहे हैं। इन परिवर्तनों के अस्तित्व का पता हमें सांख्यिकी के द्वारा चलता है। शिक्षा के क्षेत्र में सांख्यिकी का महत्व इस प्रकार स्वीकारा जा सकता है।
1. मूल्यांकन में सहायक- छात्रों को परीक्षाओं में अंक प्रदान किये जाते हैं। ये अंक छात्रों की प्रगति के परिचायक हैं। सांख्यिकी के द्वारा प्राप्त अंकों के आधार पर छात्रों की सही स्थिति का अनुमान किया जा सकता है। छात्र वास्तव में होशियार हैं या कमजोर हैं, कक्षा में उनकी कौन-सी स्थिति (Position) है; सांख्यिकी इस बात की जानकारी प्रदान करती है।
2. तुलना में सहायक- विभिन्न योग्यताओं, क्षमताओं एवं उपलब्धियों की ‘तुलना करके उपयुक्त शिक्षण विधि को अपनाने में सांख्यिकी सहायक होती है। तुलना के द्वारा हमें सापेक्षरूप से वास्तविक कारणों का पता चलता है।
3. समानता तथा भिन्नता- छात्रों में व्याप्त समानता तथा भिन्नता का पता भी सांख्यिकी की सहायता से लगाया जाता है। अध्यापक समानता तथा भिन्नता के आधार पर कक्षा के बालकों को अनेक समूहों में बाँटकर उनके उपयुक्त पाठ्यक्रम अथवा शिक्षण-विधि अपना सकता है। छात्रों में यदि भिन्नता रखने वाले छात्रों की संख्या अधिक है तो अध्यापक उनको अनेक उपसमूहों में विभक्त कर सकता है।
4. पाठ्यक्रम निर्माण में सहायक – सांख्यिकीय के आधार पर छात्रों का मंद बुद्धि, सामान्य बुद्धि एवं प्रखर बुद्धि के रूप में विश्लेषण एवं वर्गीकरण करके प्रत्येक समूह के लिए उचित पाठ्यक्रम का निर्माण किया जा सकता है।
5. शिक्षण विधियों की प्रभविष्णुता (Effectiveness) – यदि कोई अध्यापक किसी नवीन शिक्षण विधि को कक्षा में इस्तेमाल करता है तो उसकी प्रभावशीलता का पता सांख्यिकीय के द्वारा ही चलाया जाता है।
6. अनुसंधान को समझना- अनेक अन्वेषक तथा अनुसंधानकर्ता समय-समय पर अनुसंधान की रिपोर्ट, लेख आदि प्रकाशित करते रहते हैं। अनुसंधानों की ये रिपोर्टों तभी समझ में आ सकती हैं जबकि सांख्यिकी का ज्ञान हो।
7. कठिनाइयों को हल करने में सहायक – सांख्यिकी के द्वारा छात्रों तथा अध्यापकों की शैक्षिक कठिनाइयों को हल किया जा सकता है। सांख्यिकी के द्वारा यह पता चल जाता है कि पाठ छात्रों के मान किस स्तर के अनुसार है या नहीं। प्रायः देखा जाता है कि छात्रों को उन प्रकरणों में कठिनाई का अनुभव होता है जो उनके मानसिक स्तर से ऊँचे होते हैं।
8. परीक्षणों के निर्माण में सहायक- छात्रों में निहित वैयक्तिक भेदों को जानने के लिए आज निष्पत्ति, बुद्धि, अभिवृत्ति आदि अनेक परीक्षण बनाये गये हैं। अध्यापक के लिए भी इनकी जानकारी व निर्माण की प्रक्रिया, परीक्षणों के उपयोग से परिचय आवश्यक है। सांख्यिकी के ज्ञान के अभाव में परीक्षणों के निर्माण व प्रयोग की प्रक्रिया अधूरी है।
9. भविष्यवाणी – सांख्यिकी के द्वारा किसी छात्र की निष्पत्ति व उपलब्धि के आधार पर उसके भविष्य के विषय में भविष्यवाणी की जा सकती है। छात्र जब दो विषयों का अध्ययन करता है, वह इन विषयों के सह सहसम्बन्ध के आधार पर उसकी उपलब्धियों के विषय में भविष्यवाणी कर सकता है। एक विषय में बढ़ती योग्यता का दूसरे विषय की योग्यता पर क्या प्रभाव पड़ता है? यह भी सांख्यिकी के द्वारा ही जाना जा सकता है।
10. सत्यता एवं वैधता – अध्यापक जब किसी परीक्षण का निर्माण करता है, तो उसकी वैधात तथा सत्यता के विषय में भी जानकारी प्राप्त करना अत्यन्त आवश्यक हो जाता है परीक्षण सत्य या विश्वसनीय है, उसकी वैधता कितनी है, इसका पता सांख्यिकी से ही चलता है।
11. सामान्यीकरण में उपयोगी- अनुसंधान तथा अन्वेषण का कार्य सम्पूर्ण समुदाय के सदस्यों पर नहीं होता है। उसके केवल एक निश्चित अंश पर ही आँकड़े एकत्र करके परिणाम निकाले जाते हैं। ये परिणाम सम्पूर्ण समुदाय की सामान्य स्थिति को प्रकट करते हैं। इस प्रकार सांख्यिकी के द्वारा हम समुदाय की प्रकृति एवं प्रवृत्ति के विषय में सामान्यीकरण (Generalisation) कर सकते हैं।
महत्व एवं उपयोगों की यह सूची और भी बढ़ाई जा सकती है। सत्य तो यह है कि आज शिक्षा का कार्य सांख्यिकी के अभाव में चल ही नहीं सकता। शिक्षा एवं सांख्यिकी एक-दूसरे के पूरक हो गए हैं।
(2) मनोविज्ञान के क्षेत्र में सांख्यिकी का महत्व
मनोविज्ञान के क्षेत्र में मानव व्यवहार का अध्ययन किया जाता है। व्यवहार का अध्ययन गतिशील होता है। अतः गतिशीलता से प्राप्त परिणामों की व्याख्या करने में सांख्यिकी का विशेष योग रहता है। मनोविज्ञान के क्षेत्र में सांख्यिकी का महत्व इस प्रकार है-
1. परिकल्पना (Hypothesis) की जाँच – किसी भी प्रयोग को करने से पूर्व उसके विषय में पूर्व- कल्पना या धारणा बना ली जाती है। इस पूर्व कल्पना का परीक्षण एवं निरीक्षण सांख्यिकी के द्वारा ही होता है। सांख्यिकी की प्रक्रिया से ही परिकल्पना की प्रामाणिकता का पता लगाया जा सकता है।
2. जटिल व्यवहार के अध्ययन में सहायक- मानव व्यवहार जटिल है। समय तथा परिस्थिति के अनुसार मानव व्यवहार पर अनेक प्रतिक्रियाएँ होती हैं। इन जटिल प्रक्रियाओं से उत्पन्न प्रतिक्रियाओं का नियंत्रित अध्ययन करने में सांख्यिकी महत्वपूर्ण भूमिका प्रस्तुत करती है।
3. वैयक्तिक भेदों (Individual differences) के माप में उपयोगी- संसार में सभी व्यक्तियों में कुछ न कुछ भिन्नता होती है। यह भिन्नता ही मानव-मानव में समस्या की जटिलता उत्पन्न करती है। प्रत्येक व्यक्ति रुचि, अभिवृत्ति, बुद्धि में भिन्न होता है। इन भिन्नताओं को सांख्यिकी के द्वारा ही मापा जा सकता है। भिन्नता के मापन से ही उनकेपाठ्यक्रम व भावी योजनाओं का निर्माण किया जा सकता है।
4. मानसिक गुणों के माप में उपयोगी- आज मानसिक गुणों के मापन के लिए अनेक महत्वपूर्ण परीक्षणों का निर्माण हो गया है। इन मानसिक गुणों के मापन में सांख्यिकी का योग अत्यधिक होता है। मानसिक गुणों का मापन, परीक्षणों का सम्पादन एवं व्याख्या के लिए सांख्यिकी का ज्ञान आवश्यक होता है।
(3) अनुसंधान के क्षेत्र में सांख्यिकी का महत्व
सामाजिक विज्ञानों के क्षेत्र में सांख्यिकी अत्यन्त महत्वपूर्ण योग देती है सामाजिक विज्ञानों के क्षेत्र में जो भी अनुसंधान हो रहे हैं, उनकी वस्तुनिष्ठता का निर्धारण सांख्यिकी के द्वारा ही होता है। अनुसंधान के क्षेत्र में सांख्यिकी का महत्व इस प्रकार है-
1. शुद्ध एवं सूक्ष्म वर्णन- सांख्यिकी के द्वारा प्राप्त परिणामों की शुद्धता की जाँच होती है एवं परिणामों की सूक्ष्म विवेचना होती है। वास्तविक उद्देश्य तक पहुँचाने में सांख्यिकी का विशेष योग रहता है।
2. निश्चित विधियों पर बल – अनुसंधानों की प्रकृति के अनुसार सांख्यिकी में हमें निश्चित सांख्यिकी विधियों को अपनाना पड़ता है। इसलिए अनुसंधान प्रक्रिया में सुनिश्चित विधियों का उद्देश्य को शीघ्र प्राप्त किया जा सकता है।
3. संक्षिप्त एवं उपयुक्त व्याख्या- सांख्यिकी के द्वारा जो परिणाम प्राप्त होते हैं, वे संक्षिप्त होने के कारण अधिक उपयोगी एवं सारगर्भित होते हैं। अपनाये गये वास्तविक आँकड़े अधिक होते हैं और उनसे किसी भी प्रकार की व्याख्या कर सकना सम्भव नहीं होता, अतः सांख्यिकी की प्रक्रिया से परिणामों की संक्षिप्त एवं सारगर्भित व्याख्या होती है।
4. सामान्यीकरण एवं निष्कर्ष – सामान्यीकरण एवं निष्कर्षों की उपादेयता तभी सम्भव है जबकि सांख्यिकी की प्रक्रिया से गुजर जाने के बाद उन्हें मान्यता मिल गई हो सांख्यिकी की प्रक्रिया से सामान्यीकरण में सरलता रहती है। ये निष्कर्ष विश्वसनीय (Reliable) एवं वैध (Valid) होते हैं।
5. भविष्यवाणी (Prediction) में सहायक – सांख्यिकी की प्रक्रिया से जो परिणाम प्राप्त होते हैं, उनके आधार पर हम निश्चित भविष्यवाणी कर सकते हैं। किसी छात्र के अंक छठी कक्षा में क्या थे, सातवीं में क्या हैं; इन दोनों अंकों को सांख्यिकी प्रक्रिया में ढाल देने के पश्चात् हम आठवीं कक्षा में प्राप्त होने वाले अंकों तथा निष्पत्ति (Achievement) के बारे में भविष्यवाणी कर सकते हैं।
6. जटिल समस्याओं का विश्लेषण – अनुसंधान के मध्य अनेक जटिल समस्याएँ आ जाती हैं। सांख्यिकी इन जटिल समस्याओं का विश्लेषण करने में सहायक होती है । सामाजिक विज्ञानों में कार्य और कारण का सम्बन्ध होता है और किसी प्रभाव के लिए एक नहीं, अनेक कारक (Factors) उत्तरदायी होते हैं। ऐसी स्थिति में अनुसंधान की प्रक्रिया में जटिलता आ जाती है। ये जटिलताएँ सांख्यिकीय विश्लेषण से स्पष्ट हो जाती है और हम तथ्यों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
सांख्यिकी क्या है? अर्थ, परिभाषा, विशेषताएँ, उद्देश्य
सांख्यिकी के प्रकार
सांख्यिकी की सीमाएँ
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