फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत (Freud psychoanalytic theory) Sigmund Freud ka Siddhant –दोस्तों आज के इस आर्टिकल में आज हम आपके साथ टीचिंग एग्जाम (फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत (Freud psychoanalytic theory) Sigmund Freud ka Siddhant) की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण टॉपिक सिगमंड फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत शेयर कर रहे हैं। इस सिद्धांत की विस्तृत जानकारी हमने आपके साथ सांझा की है जो आगामी टीचिंग एग्जाम जैसे –MPTET Grade-3,CTET,RTET आदि की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण टॉपिक है।.प्रतिवर्ष uptet,ctet,stet,kvs,dssb,btc आदि सभी एग्जाम में इससे प्रश्न पूछे जाते है।
अनुक्रम (Contents)
फ्रायड का मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत (Freud psychoanalytic theory) Sigmund Freud ka Siddhant
मनोविश्लेषणात्मक सिद्धांत :-
प्रतिपादन-सिगमंड फ्रायड
जन्म -6 मई 1856
मृत्यु – 23 सितम्बर 1939
निवासी- आस्ट्रिया (वियना में)
सिगमंड फ्रायड ने मन की तीन दशाएँ बतायी हैं।
1.चेतन मन 1/10:- मस्तिष्क की जागृत अवस्था
2. अचेतन मन 9/10:- कटु अनुभूतियो दुःखद बाते तथा दमित इच्छाओं का भण्डार ।
3. अर्द्धचेतन मन 00 :- चेतन व अचेतन के बीच की अवस्था । याद के हुई बातो को भूल जाना, अटक जाना, हकलाना आदि बाते अर्द्धचेतन को प्रदर्शित करती हैं।
सिगमंड फ्रायड के व्यक्तिगत सरचना की दृष्टि से तीन अवस्थाएँ बताई हैं। (सन 1923)
1. Id (इदम्):- सुखवादी सिद्धांत पर आधारित, पशु प्रवृति का, अचेतन मन का राजा। अर्थात् दम्भित इच्छाओं को पूर्ण करने वाला।
2. Ego (अहम्) :- वास्तविक सिद्धांत पर आधारित, चेतन मन का स्वामी।
3. Super ego (परम् अदम्) :- आदर्शवादी सिद्धांत पर आधारित।
सिगमंड फ्रायड ने दो मूल प्रवृत्तियाँ बताई हैं।
1. जीवन
2. मृत्यु
स्वमोह (नार्सिज्जिम):- एक बालक की कहानी द्वारा समझना।
ऑडिपस व एलेक्ट्रा ग्रंथि
» सिगमंड फ्रायड के अनुसार लडकों में ऑडिपस ग्रंथि पाई जाति हैं। जिसके कारण वे अपनी माँ से अधिक प्रेम करेंगे। तथा लड़कियों में एलेक्ट्रा ग्रंथि पाए जाने के कारण व अपने पिता से अधिक प्रेम करती हैं।
» लिबिडो (Libido) :- प्रेम, स्नेह व काम प्रवृत्ति को लिबिडो कहते हैं। यह एक स्वभाविक प्रकृति होती हैं और यदि इस प्रवृति का दमन किया जाता हैं, तो व्यक्ति कुसमायोजित हो जाता हैं।
→ शैशव कामुकता :- शैशव कामुकता की बात पर सिगमंड फ्रायड व उनके शिष्य जुग या युग के मध्य मतभेद हो जाता है।
मतभेद के उपरान्त युग ने एक अपना सिद्धांत प्रतिपादन किया – जिसका नाम था विश्लेषणात्मक सिद्धांत
व्यक्तित्व मापन की विधियाँ
प्रेक्षपण/प्रक्षेपी विधियाँ
(1) T.A.T. |
अप्रक्षेपी/अन्य विधिया
I आत्मनिष्ठ या व्यक्ति निष्ठ |
II वस्तुनिष्ठ विधि
(1) समाज मिति विधि |
→ प्रमापीकृत/ मानकीकृत :- जिस परीक्षण की विश्वसनियता या वैधता की जाँच की जा चुकी हो ऐसा परीक्षण प्रमापीकृत या मानकीकृत कहलाता हैं।
» विश्वसनियता :- एक ही परीक्षण को एक ही समूह द्वारा बार-बार प्रयोग किए जाने पर भी यदि अंको में समानता पाई जाती हैं तो ऐसा परीक्षण विश्वसनिय परीक्षण कहलाता हैं।
वैधता:- जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए परीक्षण बनाया गया है वह उस उद्देश्य पर खरा उतरता है तो ऐसा परीक्षण वैध परीक्षण कहलाता हैं।
1. प्रक्षेपण विधियाँ :- प्रक्षेपण शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग सिगमंड फ्रायड ने किया।
प्रक्षेप का अर्थ :- अपनी बानों, विचारों, भावनाओं, अनुभवों आदि को स्वयं न बताकर किसी अन्य उद्दीपक या पदार्थ के माध्यम से अभिव्यक्त करना।
नोट :- प्रक्षेपण विधियों के माध्यम से अचेतन मन की बातों को ज्ञात किया जाता हैं।
T.A.T. (Thematic Apperception Test) :- प्रासगिक अतबोध परीक्षण या कथा प्रसंग परीक्षण:-
प्रतिपादक – मार्गन व मुर्रे
सन – 1935
कुल कार्डो की संख्या :- 30+1 = 31
इस परीक्षण पर दस का? पर पुरूषों से सम्बन्धित व 10 कार्डो पर महिलाओं से सम्बन्धित। व 10 कार्डो पर दोनो के चित्र बने होते हैं।
बालकों को चित्र दिखाकर कहानी लिखने को कहा जाता है कम से कम 10 कार्डो पर कहानी लिखवाई जाती हैं।
इस परीक्षण में 14 वर्ष से अधिक आयु वाले बालको के लिए प्रयोग किया जाता हैं।
नोट:- इसमें व्यक्ति की रूचियाँ, इच्छाओं व आवश्यकताओं की जानकारी होती हैं।
(ii) C.A.T. (Childern Apperception Test) :- बाल सम प्रत्यक्ष परीक्षण :-
प्रतिपादक :- ल्योपोल्ड बेलोक (1948)
विकास में योगदान :- डॉ. अरनेष्ट क्रिस
कार्डों की संख्या :- 10
इस परीक्षण में 10 का? पर जानवरों के चित्र बने होते है। बालकों को चित्र दिखाकर कहानी लिखने को कहा जाता हैं। यह परीक्षण 3 से 11 वर्ष के बालकों के लिए उपयोगी होती हैं।
(iii) I.B.T. (Ink Blot Test) :- रोर्शा स्याही धब्बा परीक्षण
प्रतिपादक :- हरमन रोर्शा (1921)
कार्डो की सं.:-10
» इस परीक्षण में 10 का? पर स्याही के धब्बे बने होते हैं। 5 कार्डों पर काले व सफेद तथा बाकी पाँच पर विभिन्न रगों के धब्बे बने होते हैं।
बालकों को आकृति दिखाकर उसके बारे में पूछा जाता हैं। इसमें बालकों के क्रियात्मक, भावनात्मक व संज्ञानात्मक परीक्षण किए जाते हैं।
(iv) S.C.T. (Sentence Complant Test) :- वाक्य पूर्ति
प्रतिपादक:- पाइन एण्ड टैण्डलर (1930)
विकास में योगदान-रोटर्स
उदाहरण:-मैं बहुत होता हूँ, जब मेरे माता पिता…….. मुझे देते हैं।
(v) स्वतन्त्र शब्द साहचर्य परीक्षण (F.W.A.T.) :-
यह एक मनोविश्लेषणात्मक विधि हैं।
प्रतिपादक – फ्रासिस गाल्टन
सन – 1879
सहयोग – विलियम वुण्ट
नोट :- इस परीक्षण में व्यक्तित्व मापन के अलावा कई मनोवैज्ञानिक रोगों का इलाज भी किया जाता हैं।
अप्रक्षेपी या अन्य विधियाँ :- चेतन मन का अध्ययन
(1) आत्मनिष्ठ या व्यक्ति निष्ठ :-
(i) आत्मकथा या अर्न्तदर्शन विधि :-
प्रवर्तक – विलियम वुण्ट व शिष्य टिचनर
यह एक प्राचीनतम विधि है। यह एक मनोवैज्ञानिक विधि नही है इसके कारण इनका वर्तमान समय में उपयोग नही किया जाता हैं।
(ii) व्यक्ति इतिहास विधि/जीवन कृत विधि/ केश स्टेडी :-
प्रवर्तक – टाइडमैन
निदानात्मक अध्ययनों की सर्वश्रेष्ठ विधि हैं। असामान्य बालकों के निदान की सर्वश्रेष्ठ विधि हैं। समस्या के कारण को जानना निदान कहलाता हैं। जो मनोविज्ञान की सहायता से किया जाता है तथा कारण को दूर करना उपचार कहलता है जो शिक्षा की सहायता से किया जाता है। बिना निदान के उपचार सम्भव नही हैं।
(iii) प्रश्नावली विधि :-
प्रवर्तक :– वुडवर्थ
प्रश्नावली में आमने-सामने होना जरूरी नहीं होता और उत्तर के रूप में विकल्प होते हैं।
(iv) साक्षात्कार विधि :-
साक्षात्कार विधि का प्रारम्भ अमेरिका हुआ।
साक्षात्कार में आमने-होना जरूरी नहीं होता है। इसमें प्रश्नों का कोई बंधन नही होता है व ना ही समय पर।
साक्षात्कार वार्तालाप का एक रूप माना जाता है।
(2) वस्तुनिष्ठ विधियाँ
(i) निरीक्षण विधि या बहिदर्शन विधि :-
प्रवर्तक :- वाटसन
इस विधि में सामने वाले व्यक्ति के व्यवहार का भिन्न-भिन्न परिस्थितियों का अध्ययन किया जाता है। और निष्कर्ष निकाला जाता है कि विषयी का व्यक्तित्व कैसा हैं।
(ii) समाजमीति विधि
प्रवर्तक :- J.L. मोरेनो
इस विधि में व्यक्ति की सामाजिकता के बारे में समाज के व्यक्तियों से जानकारी लेकर निष्कर्ष निकाला जाता हैं। कि विषयी का व्यक्तित्व कैसा हैं।
(iii) कर्म निर्धारण मापनी/रेटिंग स्केल :-
प्रतिपादक-र्थस्टन
पूर्ण सहमत सहमत अनिश्चित असहमत पूर्ण असहमत
इस परीक्षण में क्रम निर्धारण मापनी के माध्यम से आँकडे एकत्रित करके निष्कर्ष निकाला जाता है कि विषयी का व्यक्तित्व कैसा हैं।
(iv) शारीरिक परीक्षण :-
इस परीक्षण में व्यक्ति की शारीरिक जाँच करके निष्कर्ष निकाला जाता है कि निर्धारित नौकरी के लिए व्यक्ति स्वस्थ है या नही।
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