सुब्रमण्यम भारती का जीवन परिचय
सुब्रह्मण्यम भारती का व्यक्तित्व भी कला के दृष्टिकोण से बहुआयामी ही कहा जाना चाहिए। ये महाकवि ‘भारती’ के नाम से विख्यात रहे व तमिल भाषा के ही नहीं, बल्कि भारत के भी महानतम कवि माने जाते हैं। ये अद्वितीय लेखक, दर्शनशास्त्री और कुशाग्र बुद्धि के राष्ट्रप्रेमी भी रहे हैं। दक्षिण भारत में इन्होंने स्वाधीनता, संग्राम में भी भागीदारी की गई थी। ये विभिन्न भाषाओं के भी ज्ञाता रहे थे। बंगाली, हिंदी, संस्कृत, फ्रेंच और अंग्रेजी में। अनुवाद भी इन्होंने किया।
पूरा नाम | सुब्रह्मण्य भारती |
जन्म | 11 दिसम्बर 1882 |
उपाधि | भारती |
अन्य नाम | महाकवि भारतियार |
प्रसिद्ध ग्रंथ | ‘स्वदेश गीतांगल’ ‘जन्मभूमि’ |
विवाह | चेल्लमल (चचेरी बहन) 1897 |
काव्य भाषा | तमिल |
मृत्यु | 11 सितम्बर 1921 |
सुब्रह्मण्यम भारती का जन्म 11 दिसंबर, 1882 को तिरूनेलवेली जिले के एट्टयपुरम नामक ग्राम में हुआ था। एट्टयपुरम वस्तुतः एक छोटी जमींदारी हुआ करती थी। वहां सुब्रह्मण्यम भारती के पिता चिन्नास्वामी अय्यर जमींदारी के कार्यों में सेवा दिया करते थे। सुब्रह्मण्यम की माता का जब निधन हुआ, तब इनकी उम्र महज पांच वर्ष ही थी। पिता द्वारा इनकी शिक्षा का प्रबंध किया, लेकिन औपचारिक शिक्षा में इन्हें आनंद नहीं आता था। इन्हें अपने नाना के साथ प्राचीन तमिल काव्य पर चर्चा करना खूब भाता था। महज 10 वर्ष की उम्र में ये परिपक्व कविताएं करने लगे थे, लेकिन दसवीं की परीक्षा में इसी कारण अनुत्तीर्ण हो गए कि इनका रुझान काव्य की ओर ही रहता था।
एट्टयपुरम का जमींदार इनकी काव्य क्षमता से काफी प्रभावित था । इस कारण उसने इन्हें अपनी जमींदारी में कार्य दे दिया। ये दरबार में कविताएं भी किया करते थे। एक बार इन्होंने उच्च कोटि की कविताएं प्रस्तुत कीं, तब इन्हें ‘भारती’ शीर्षक का खिताब प्रदान किया। फिर आजीवन यह खिताब इनके नाम के साथ लगा रहा। इस बीच ही पिता द्वारा दूसरी शादी कर ली गई थी। 1898 में इनके पिता का भी निधन हो गया। तब विधाता अपने बच्चों के साथ अपने पिता के आवास पर जाकर रहने लगीं। ये तब महज 16 वर्ष के ही थे। ये वाराणसी चले गए। वाराणसी में इनके बुआ व फूफा जी रहा करते थे। यहां इनकी परवरिश पर ध्यान दिया गया । अतः भारती को हिंदी, संस्कृत व अंग्रेजी का अध्ययन करने का अवसर मिल गया। इस प्रकार इनकी प्रतिभा को उचित प्रवाह प्राप्त हो गया । इन्होंने इलाहाबाद की प्रवेश परीक्षा भी उत्तीर्ण कर ली। यहां इन्होंने एनी बेसेंट का वक्तव्य सुना। उससे ये काफी प्रभावित भी हुए। इलाहाबाद में रहते हुए इन्होंने पगड़ी धारण करना आरंभ कर दिया।
इनके स्वभाव में राष्ट्रप्रेम भी अब उतरने लगा था। वाराणसी से लौट आने के पश्चात् इन्होंने पुनः उसी जमींदार के पास कार्य किया। मदुरई में भी इन्होंने अध्यापन का कार्य किया। 1904 में इन्होंने ‘स्वदेश मित्रता’ पत्र में कार्यारंभ परिचित हुए, साथ ही इनके काव्य को नई उड़ान व दिशा प्राप्त हुई। इन्होंने कांग्रेस किया। यहां रहते हुए विवेकानंद, अरविंद व बाल गंगाधर जैसे लोगों से भी के अधिवेशनों में भी भाग लिया। तब इन्होंने अपने जीवन में तीन लक्ष्य भी बनाए-राजनीतिक आजादी प्राप्त करना, भारत की महिलाओं के उत्थान की दिशा में जाग्रति लाना व जातिवाद की वैमनस्यता को समाप्त करना। सिस्टर निवेदता से भी इनकी भेंट हुई थी। इस कारण सिस्टर निवेदिता का भी इन पर अमिट प्रभाव पड़ा। देश की आजादी और समृद्ध भारत की कल्पना करते हुए इन्होंने लेख लिखे, जो लोग देश के स्वाधीनता संग्राम के बिगुल को सुनकर अनसुनाकर रहे थे, उन पर भारती जी ने अपने लेखों द्वारा कड़े प्रहार भी उत्कृष्ट किए।
इनके विचारों की उष्णता दिनोदिन बढ़ रही थी और यह तय था कि ब्रिटिश हुकूमत इन्हें गिरफ्तार कर लेगी। तब 1908 में इनके शुभचिंतकों ने इन्हें किसी प्रकार पांडिचेरी जाने के लिए राज़ी कर लिया। पांडिचेरी में इन्होंने 10 वर्ष व्यतीत किए और यहां रहते हुए ही इन्होंने गद्य एवं पद्य में उत्कृष्ट रचनाओं का सृजन किया। वेदांतिक मानववाद भी अब इनकी रचनाधर्मिता में साकार होने लगा था। 1918 में जब ये पांडिचेरी से घर लौटे तो ब्रिटिश हुकूमत द्वारा इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन श्रीमती ऐनी बेसेंट ने इनकी गिरफ्तारी का विरोध किया तो कुछ दिनों पश्चात् अंग्रेजों ने इन्हें रिहा कर दिया। राष्ट्रभक्त काव्य का साधक कम उम्र में ही इस संसार से विदा हो गया। तब इनकी उम्र 40 वर्ष भी नहीं हुई थी। अगस्त माह में ये एक हाथी को नारियल खिला रहे थे। हाथी ने किसी कारण से क्रुद्ध होकर इन्हें सूंड़ से उठाकर पटक दिया। ये घायल हुए और फिर 12. सितंबर, 1911 को इनका निधन हो गया। एक राष्ट्रप्रेमी, आध्यात्मिक एवं सृजनशीलता के लिए ये राष्ट्र इन्हें सदैव स्मरण रखेगा।
उम्मीद करता हूँ दोस्तों सुब्रमण्यम भारती का जीवन परिचय Subramania Bharati Biography in Hindi का यह लेख आपको पसंद आया होगा।
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