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रुचि परीक्षण के प्रकार | Types of Interest Inventories in Hindi

रुचि परीक्षण के प्रकार
रुचि परीक्षण के प्रकार

रुचि परीक्षण के प्रकार (Types of Interest Inventories)

कुछ प्रमुख रुचि परीक्षणों का उल्लेख नीचे किए जा रहा है-

(1) स्ट्रांग का व्यावसायिक रुचि प्रपत्र (Strong Vocational Interest Blank)

स्ट्रांग ने सन् 1919 में व्यावसायिक रुचि प्रपत्र का निर्माण स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय में किया। इस परीक्षण में कुल 420 पद हैं, जो विभिन्न व्यवसायों, मनोरंजन क्रियाओं, व्यक्तिगत विशेषताओं, स्कूली विषयों आदि से सम्बन्धित थे। अपने इस रुचि प्रपत्र को स्ट्रांग ने कई हजार व्यक्तियों से भरवाया, जिनका सम्बन्ध विभिन्न व्यवसायों से था, जैसे—डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, विक्रेता, अध्यापक, किसान, सरकारी अफसर, बीमा एजेन्ट, प्रबन्धक, वास्तुकार आदि तथा वह इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि विभिन्न व्यवसायों में कार्य करने वालों की रुचियाँ, अन्य व्यक्तियों की रुचियों से भिन्न होती हैं। इस रुचि प्रपत्र के चार रूप, स्त्री, पुरुषों, छात्रों व स्कूल न जाने वालों के लिए अलग-अलग तैयार किए गए हैं। स्ट्रांग ने इस प्रपत्र का संशोधित रूप सन् 1938 में प्रस्तुत किया तथा इस बार पदों की संख्या 400 रखी।

इस परीक्षण में प्रत्येक प्रश्न का उत्तर देते समय परीक्षार्थी अपनी पसन्द (L), नापसन्द (D) तथा उदासीनता (I) का प्रदर्शन करता है। L, D तथा I का अर्थ Liking, Dis-liking तथा In-different.

स्ट्रांग की परिसूची के चार प्रतिरूप (Forms) हैं A, B, WA तथा WB रूप A तथा WA उन स्त्री, पुरुषों के लिए हैं, जो स्कूली शिक्षा पा चुके हैं। रूप B तथा WB उन लड़क लड़कियों के लिए हैं, जो अभी विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। रूप A तथा B में जिन पेशों पर अधिक महत्त्व दिया गया है, वे निम्नलिखित हैं-

(i) Physicist, Mathematics, Engineer, Doctor, Chemist, Dentist, Psychologist, Architect, Artist, Musician.

(ii) Lawyer. Journalist, Advertiser.

(iii) Life Insurance Salesman, Real Estate Salesman.

(iv) Teacher, Minister.

(v) Y. M. C. A. Secretary, Personal Manager, School Superintendent. (vi) Office worker, Purchasing agent, Accountant. (vii) Public accountant.

इस प्रपत्र का प्रशासन (administration) सामूहिक रूप से किया जाता है। इसका प्रशासन परीक्षार्थी भी कर सकता है क्योंकि इसके समस्तम भागों में अलग-अलग स्पष्ट निर्देश अंकित रहते हैं इस प्रपत्र का प्रयोग 17 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए उपयुक्त रहता है। 15-16 वर्ष के परिपक्व किशोरों पर भी इसका प्रयोग किया जा सकता है। चूँकि, यह एक शाब्दिक परीक्षण है अतः इसे शिक्षित व्यक्तियों एवं कॉलेज विद्यार्थियों पर ही प्रशासित किया जाना चाहिए। कठिन शब्दों के प्रयोग एवं जटिल विचारों के कारण यह परीक्षा हाई-स्कूल तथा कम उम्र के बच्चों हेतु अनुपयुक्त रहती है। इस परीक्षण के सम्पादन में लगभग 40-50 मिनट का समय लगता है, कुछ व्यक्ति आधे घंटे में ही उत्तर दे देते हैं और कुछ दो घण्टे से भी अधिक समय लेते हैं। यद्यपि, प्रपत्र की समय-सीमा नहीं है, फिर भी, परीक्षार्थी को यथाशीघ्र प्रपत्र भरने के लिए कहा जाना चाहिए।

प्रपत्र का अंकन (Scoring) अलग-अलग पेशों के लिए किया जाता है तथा प्रत्येक पेशे के अंकन हेतु लगभग 20 मिनट का समय लगता है। अंकन के बाद प्राप्त अंकों को A, B तथा C इन तीन वर्ग श्रेणियों में बदल दिया जाता है। वर्ग श्रेणी A का अर्थ है कि व्यक्ति की रुचियाँ उन लोगों जैसी हैं, जो उस पेशे में लगे हुए हैं, अतः यह व्यक्ति उस कार्य में आनन्द लेगा और सफलता प्राप्त करेगा। वर्ग श्रेणी B का अर्थ है कि यह व्यक्ति उस पेशे में लगे व्यक्तियों जैसी रुचियाँ रखता है और यदि उस पेशे को चुन लें, तो शायद सफल हो जाए। वर्ग श्रेणी C का अर्थ है कि उस व्यक्ति की रुचियाँ उस पेशे से मेल नहीं खातीं, अत: वह उसे पेशे में समायोजन स्थापित नहीं कर सकता। B वर्ग श्रेणी B+ हो सकती है। लेकिन C, श्रेणी A नहीं हो सकती, चाहे C वर्ग श्रेणी वाला व्यक्ति उस पेशे के लिए प्रशिक्षण क्यों न पा ले और भले ही उसके पास सभी योग्यताएँ भी क्यों न हों।

परीक्षण की वैधता ज्ञात करने के लिए अनेक कसौटियों का प्रयोग किया गया है, जैसे- व्यावसायिक प्रशिक्षण के पश्चात् कार्य में सरलता, विद्यालय एवं कॉलेज के विभिन्न वर्गों के साथ सह-सम्बन्ध आदि । परीक्षण की विश्वसनीयता पुनः परीक्षण विधि तथा अर्द्ध-विटापन (Split half) विधि द्वारा ज्ञात की गई तथा विश्वसनीयता गुणांक 0.85 आया।

सीमाएँ— प्रपत्र की प्रमुख सीमाएँ निम्नलिखित हैं-

1. व्यक्ति अपनी रुचियों के बारे में जो निर्णय देता है, उसकी सत्यता पर प्रश्न चिह्न लगा रहता है।

2. यह अनुमान लगाना कठिन है कि व्यक्ति की रुचि स्थायी है तथा उसके व्यक्तित्व का एक अंग है । हो सकता है कि किसी व्यवसाय में पड़ जाने के कारण रुचि जागृत हुई है।

3. रुचियों के अस्थायी स्वरूप के कारण, वर्तमान रुचियों के आधार पर भावी व्यावसायिक सफलता की घोषणा करना सर्वथा अनुपयुक्त है।

4. स्ट्रांग का यह कहना कि प्रत्येक व्यवसाय के लिए अलग रुचियाँ होती हैं, कम विश्वसनीय है क्योंकि रुचियों में प्रतिच्छादन (over-lapping) होता है तथा अनेक व्यवसायों में एक सी ही रुचियों की आवश्यकता पड़ती है।

5. किशोर बालकों की रुचियाँ स्थायी नहीं होतीं, अतः वर्तमान रुचियों के आधार पर ऐसे बालकों की भावी व्यावसायिक सफलता का पूर्वकथन करना अनुचित है।

6. परीक्षार्थी द्वारा दिए गए निर्णयों की, पर्याप्तता एवं शुद्धता से जाँच करना सम्भव नहीं है।

7. व्यावसायिक रुचियों का समूहों में वर्गीकरण किया जाना अधिक वैज्ञानिक नहीं है क्योंकि अनेक व्यवसायसों में एक ही प्रकार की क्रियाएँ एवं रुचियाँ सम्भव हैं।

उपरोक्त सीमाओं के बावजूद भी आज इस प्रपत्र का प्रयोग व्यापकता से किया जा रहा है। इसमें सन्देह नहीं कि स्ट्रांग का यह प्रपत्र अत्यन्त महत्त्वपूर्ण एवं उपयोगी है। इस सन्दर्भ में बैरन तथा बर्नार्ड (Baron and Bernard) का कथन उल्लेखनीय है-

“The strong inventory has been found to be useful, as one source of data, in counselling with high school students and college graduates, relative to academic and vocational choice.” -Evaluation Techniques for classroom Teachers, p. 168 McGraw Hill, 1958.

(2) कूडर-प्राथमिकता प्रपत्र (Kuder-Preference Record)

सन् 1938 में कूडर (Kuder) के प्राथमिकता प्रपत्र का निर्माण हुआ, जिसका संशोधित रूप सन् 1951 में प्रस्तुत किया गया। यह परीक्षण मुख्य रूप से हाई स्कूल विद्यार्थियों एवं वयस्कों के लिए उपयोगी है इसके परीक्षण के तीन प्रारूप हैं—

(अ) व्यावसायिक प्राथमिक प्रपत्र (Vocational preference record)

(ब) औद्योगिक प्राथमिक प्रपत्र (Occupational preference record)

(स) व्यक्ति प्राथमिकता प्रपत्र (Personal preference reocord)

व्यावसायिक प्राथमिकता प्रपत्र स्कूल के बच्चों के लिए सबसे अधिक उपयोगी है क्योंकि यह केवल मात्र व्यावसायिक स्तर के लिए ही नहीं है इसमें व्यावसायिक रुचियों को निम्नांकित दस क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है-

(i) बाह्य कार्यों में रुचि जैसे, खेती करना, बाग लगाना (Out door) आदि।

(ii) यांत्रिक रुचि जैसे—रेल, हवाई जहाज आदि मशीनों के पुर्जे सुधारना।

(iii) गणनात्मक (Computational) जैसे बही खाता तैयार करना।

(iv) वैज्ञानिक रुचि (Scientific) जैसे डॉक्टरी, इंजीनियरिंग आदि के कार्यों में रुचि लेना।

(v) प्रभावात्मक (Persuasive) रुचि जैसे बीमा आदि का एजेन्ट होना।

(vi) कलात्मक रुचि जैसे मकान, पण्डाल सजाना, फोटोग्राफी आदि में रुचि लेना।

(vii) साहित्यिक लेखकीय, सम्पादकीय कार्य करना।

(viii) संगीतालय-संगीतज्ञों की संगति, समारोहों में जाना, बाद्य बजाना, गाना।

(ix) समाज सेवा कार्यों में रुचि।

(x) लिपिकीय कार्यों में रुचि।

यह प्रपत्र स्ट्रांग के प्रपत्र से दो रूपों में भिन्न है। प्रथम, कूडर बाह्य चयन त्रिपदों (Triad form) का प्रयोग करते हैं, जिनमें परीक्षार्थी को यह बताना होता है कि वह तीन क्रियाओं में से किसे सबसे अधिक चाहता है तथा किसे कम । द्वितीय, इसके प्राप्त अंक किसी व्यवसाय विशेष के लिए नहीं होते बल्कि, दस विस्तृत क्षेत्रों के लिए प्राप्त किए जाते हैं। इस दस क्षेत्रों के लिए पदों का निर्माण सामूहिक तथा विषय विश्लेषण के आधार पर किया जाता है तथा पदों का अन्तिम चयन आन्तरिक स्थिरता ( Internal Consistency) तथा दूसरे प्रपत्रों से सह-सम्बन्ध के आधार पर किया जाता है।

प्रपत्र के दूसरे प्रारूप ‘औद्योगिक प्राथमिकताएँ प्रपत्र’ का विकास कसौटी कुँजी प्रक्रिया (Criterion Keying Process) द्वारा किया गया है। इस प्रारूप में ‘व्यावसायिक प्राथमिकता प्रपत्र’ की तरह सन्दर्भ समूह (reference group) का प्रयोग नहीं किया जाता। इस प्रकार, प्रत्येक के प्रत्येक औद्योगिक मापनी पर प्राप्त अंकों को, उस व्यक्ति के रुचि प्रारूप तथा किसी विशेष उद्योग समूह के प्रारूप के बीच सह-सम्बन्ध के रूप में व्यक्त किया जाता है। सह-सम्बन्ध लेम्डा गुणांक (Lembda Coefficient) के द्वारा किया जाता है। इसका अंकन कम्प्यूटर द्वारा कराया जाता है। कूडर ने इस प्रपत्र में 38 विशिष्ट व्यवसायों जैसे किसान, सम्पादक, वैज्ञानिक, मंत्री, यांत्रिक, इंजीनियर, निदेशक, मनोवैज्ञानिक आदि का उल्लेख किया है। अब तक कुछ प्रपत्रों पर अंक, पुरुष तथा स्त्रियों दोनों के लिए दिए गए जैसे Beautician और Truck Driver से लेकर Chemist तथा Advocate तक। ऐसा सन्दर्भ समूह की उपेक्षा के कारण ही संभव है।

प्रपत्र के तीसरे प्रारूप अर्थात् ‘व्यक्तिगत प्राथमिकता प्रपत्र’ में कूडर ने व्यक्ति की अन्य प्राथमिकताओं, मूल्यों एवं व्यवहारों की विशेषताओं का मापन किया है, जो विभिन्न पाँच क्षेत्रों, जैसे- सामाजिक, व्यावहारिक, सैद्धान्तिक आदि पर आधारित हैं। इन पाँच क्षेत्रों में व्यक्ति की निम्नलिखित व्यक्तिगत एवं सामाजिक क्रियाओं का मापन किया जाता है-

(i) समूह में सक्रिय रहने की प्राथमिकता।

(ii) ज्ञात और स्थिर स्थितियों के लिए प्राथमिकता।

(iii) विचारों में खोये रहने की प्राथमिकता।

(iv) संघर्ष से बचने की प्राथमिकता।

(v) दूसरों को निर्देश देने की प्राथमिकता।

उपरोक्त तीनों प्राथमिकता प्रपत्रों में कुल 368 पद हैं तथा प्रत्येक प्रश्न समूह में तीन पद हैं। परीक्षार्थी उस पद को संकेत करता है, जिसको वह सबसे अधिक पसन्द करता है अथवा वह उसको सूचित करता है जिसको वह सबसे कम पसन्द करता है। एक प्रश्न उदाहरणार्थ नीचे दिया जा रहा है-

निर्देश: निम्न कार्य समूह को ध्यान से पढ़िए। इन व्यवसायों में जो व्यवसाय आपको सबसे अधिक रुचिकर मालूम हो, उसके सामने के गोले को सुई से छेद दीजिए और उस व्यवसाय को भी सुई से छेद दीजिए, जो आपको सबसे कम पसन्द हो।

(अ) लोहे के कारखाने में काम करना                    पसन्द            नापसन्द

(ब) अखबारों में सुधारात्मक लेख प्रकाशित करना        0                  0

(स) सिंचाई के तरीकों की जानकारी प्राप्त करना         0                  0

रुचिपत्र में कुछ ऐसे भी प्रारूप हैं जिनमें Pin Pinch के स्थान पर मशीन से अंकन होता है। अंकन की दृष्टि से सर्वप्रथम प्रत्येक क्षेत्र में व्यक्ति के अंकों को ज्ञात कर लिया जाता है फिर उन्हें शतांकीय क्रम में बदल लिया जाता है। व्यक्ति की प्रत्येक क्षेत्र में रुचि एवं प्राथमिकता को ध्यान में रखते हुए पार्श्वचित्र (Profile) का विश्लेषण किया जाता है । प्रपत्र के किसी भी प्रारूप में उच्च और निम्न अंक इस बात की ओर संकेत करते हैं कि प्रपत्र विभेदीकरण करने में सक्षम है।

विश्वसनीयता की दृष्टि से प्रपत्र अत्यन्त संजोषजनक है। इसकी आन्तरिक संगति विश्वसनीयता 0.80 से 0.95 तक प्राप्त हुई है। पुनः परीक्षण विधि से प्रपत्र की विश्वसनीयता पुरुषों के लिए 0.50 से 0.80 तक तथा स्त्रियों के लिए 0.60 से 0.80 तक प्राप्त हुई। इसी प्रकार ‘औद्योगिक रुचि प्रपत्र’ की आन्तरिक संगति विश्वसनीयता 0.48 से 0.82 तक प्राप्त हुई, जबकि पुनः परीक्षण विधि से स्कूल छात्रों पर 0.61 से 0.85 तक तथा कॉलेज छात्रों पर 0.71 से 0.85 तक प्राप्त हुई।

प्रपत्र की वैधता, पार्श्व-चित्र, उपलब्धि परीक्षण, पद-विश्लेषण तथा स्ट्रांग का व्यावसायिक रुचि – प्रपत्र के आधार पर ज्ञात की गई तथा वैधता गुणांक सन्तोषजनक पाया गया।

(3) थर्स्टन रुचि अनुसूची (Thurston Interest Schedule)

रुचि प्रपत्र तैयार करने वाले सभी मनोवैज्ञानिकों ने व्यावसायिक रुचियों के विविध रूपों को अलग-अलग मानकर रुचि परीक्षण किया। यद्यपि, कूडर ने रुचियों को दस व्यापक क्षेत्रों में बाँटा, फिर भी, रुचियों की अनेकता का आभास उनके रुचि प्रपत्र में मिलता है।

रुचियों के अनेक होने पर, रुचियों की प्रतिकृतियाँ (Patterns) अथवा प्रवृत्तियाँ (Trends) अनेक नहीं हैं, यह मनोवैज्ञानिक तथ्य सभी को मान्य था। थर्स्टन ने इस विचार को तत्व-विश्लेषण के आधार पर और भी पक्का कर दिया। उसने कहा कि यदि अनेक विशिष्ट क्षेत्रीय रुचियों का घटक-विश्लेषण किया जाए तो कुछ रुचि घटक (Interest Factors) ऐसे मिलेंगे, जो स्ट्रांग द्वारा प्रतिपादित रुचि प्रतिकृतियों की तरह हों लेकिन यह निश्चित है कि इन रुचि घटकों की संख्या, रुचि प्रतिकृतियों से कम होगी।

इस उप-कल्पना (Hypothesis) की जाँच करने के लिए सन् 1931 में स्ट्रांग ने 18 व्यवसायों के मध्य सह-सम्बन्ध गुणक ज्ञात किए और इस प्रकार प्राप्त Correlation matrix का घटक विश्लेषण कर उसे ज्ञात हुआ कि निम्नलिखित चार घटकों का loading सबसे अधिक था।

(i) विज्ञान में रुचि

(ii) भाषा में रुचि

(iii) मनुष्यों में रुचि

(iv) व्यापार में रुचि

इन चार रुचियों को उसने प्राथमिक रुचियाँ कहकर पुकारा। सन् 1936 में उसने पुनः 80 व्यवसायों का घटक – विश्लेषण किया और निम्नलिखित 8 प्राथमिक रुचि घटकों (Interest Factors) की खोज की।

(i) व्यापारिक रुचि

(ii) कानूनी रुचि

(iii) सौन्दर्यात्मक रुचि

(v) जीव वैज्ञानिक रुचि

(iv) शैक्षणिक रुचि

(vi) कलात्मक रुचि

(vii) भौतिक विज्ञान सम्बन्धी रुचि

(viii) वर्णनात्मक रुचि

इन रुचि घटकों को ध्यान में रखकर उसने रुचि-अनुसूची (Interest Schedule) तैयार की। इस अनुसूची , व्यक्ति से उसकी रुचियाँ पूछी जाती हैं कि वह किस व्यवसाय को पसन्द करता है व्यवसायों को युग्म (Pair) के रूप में दिया गया है तथा व्यक्ति को अपनी पसन्द प्रकट करनी होती है। यह चुनाव करते समय व्यक्ति को यह मान लेना होता है कि उन युग्मों वाले दो-दो व्यवसायों के मध्य आय अथवा सम्मान का कोई अन्तर नहीं है व्यवसाय चुनने के लिए निम्नांकित चार आदेश दिए जाते हैं-

(अ) 1 को सूचित करो, यदि तुम 1 को पसन्द करते हो (ब) 2 को सूचित करो, यदि तुम 2 को पसन्द करते हो।

(स) 1 और 2 को सूचित करो, यदि तुम दोनों को पसन्द करते हो।

(द) 1 और 2 को काट दो, यदि तुम दोनों को नापसन्द करते हो।

इस प्रकार, एक ही पत्र पर दिए गए 100 वर्गों के खानों में लिखे गए दो-दो व्यवसायों में निशान लगाने पड़ते हैं। परीक्षक इन निशानों की सहायता से रुचियों की प्रतिकृति निकालने की कोशिश करता है।

विशेषताएँ (Features) – थर्स्टन की रुचि-अनुसूची की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

(1) इस अनुसूची से रुचि सम्बन्धी 7 घटकों की शक्ति का मापन होता है और साक्षात्कार द्वारा इस बात की पुष्टि की जाती है कि व्यक्ति को किस पेशे में अधिक रुचि है।

(2) यह अनुसूची इस प्रश्न का उत्तर दे सकती है कि किस व्यक्ति में सामाजिक अथवा वैज्ञानिक अथवा अन्य किस प्रकार की रुचियाँ तीव्र हैं लेकिन स्ट्रांग का प्रपत्र इस बात का उत्तर नहीं दे सकता, वह तो मात्र यह बताता है कि क्या इस व्यक्ति की रुचियाँ, अमुक पेशे को अपनाने वाले व्यक्तियों जैसी हैं?

(3) थर्स्टन की अनुसूची कम समय में रुचि सम्बन्धी जानकारी दे सकती है, क्योंकि इसे केवल 72 पेशों को ही जाँचना पड़ता है लेकिन स्ट्रांग के प्रपत्र में उसे 100 पेशों, 50 मनोरंजन सम्बन्धी कार्यों, 39 स्कूली विषयों, 52 अन्य क्रियाओं, 53 व्यक्तियों की विशेषताओं को जाँचना पड़ता है।

(4) स्ट्रांग के प्रपत्र का मूल्यांकन करने में भी समय अधिक लगता है।

(5) स्ट्रांग के प्रपत्र सम्बन्धी परिणामों की व्याख्या आसान है जबकि थर्स्टन की अनुसूची सम्बन्धी परिणामों की व्याख्या कठिन और जटिल है।

(6) स्ट्रांग का प्रपत्र भरवाने के बाद यदि व्यक्ति से साक्षात्कार किया जाए तो व्यक्ति के विषय में उपयोगी सूचनाएँ प्राप्त होती हैं

(4) ली-थार्पे रुचिपत्री (Lee-Thrope Inventory)

ली-थार्पे रुचिपत्री में प्रश्नों का संकलन सांख्यिकीय आधार पर न करके निर्णय के आधार पर किया जाता है। ली-थार्पे ने विभिन्न व्यवसायों की व्याख्या ‘यूनाइटेड स्टेट्स एजूकेशनल सर्विस’ द्वारा प्रकाशित ‘व्यावसायिक शीर्षकों के कोश’ (Dictionary of Occupational Titles) के आधार पर की है। इस रुचिपत्री में 6 विभिन्न क्षेत्रों में उच्च, मध्यम तथा निम्न उत्तरदायित्व के स्तरों के प्रतिनिधित्व का निर्णय करने के लिए पदों का संकलन किया गया। इसमें पेशे (Job) का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया जाता है और अभ्यर्थी से अपनी प्राथमिकता (Preference) बताने के लिए कहा जाता है ।

इस रुचिपत्री में निम्नलिखित छ: क्षेत्र हैं-

(i) प्राकृतिक (Natural)

(ii) यांत्रिक (Mechanical)

(iii) वैज्ञानिक (Seientific)

(iv) कुला (Art)

(v) व्यापार (Trade)

(vi) व्यक्तिगत सामाजिक (Personal Social)

पेशों के चुनाव के विषय में इस रुचिपत्री में स्ट्रांग के प्रपत्र से बिल्कुल भिन्न प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं। इस रुचिपत्री में परीक्षार्थी के समक्ष प्रस्तुत किए गए दो कार्यों में से एक कार्य को चुनने का आदेश दिया जाता है। दो प्रश्न उदाहरणार्थ नीचे प्रस्तुत किए जा रहे हैं।

आप- प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं के लिए लेख लिखेंगे अथवा किसी बड़ी फर्म के लिए बिकी की पॉलिसियाँ संचालित करेंगे ?

आप- घर-घर जाकर फल या तरकारी बेचते फिरेंगे अथवा किसी स्टोर में वस्तुओं को बंडल में बाँधते रहेंगे ?

(5) जीस्ट चित्र रुचि प्रपत्र (Giest Picture Interest Inventory)

जीस्ट चित्र रुचि प्रपत्र ग्यारह सामान्य क्षेत्रों यथा-अनुनयात्मक, लिपिक, यांत्रिक, संगीतात्मक, वैज्ञानिक, बाह्य, साहित्यिक, गणनात्मक, कलात्मक, समाज सेवा तथा नाटकीय में रुचि का मापन करता है। इसमें कुल 44 पद हैं, जिनमें प्रत्येक में तीन-तीन चित्र हैं, जिनका चयन व्यावसायिक एवं अव्यावसायिक क्रियाओं से किया गया है। इस प्रपत्र का प्रशासन व्यक्तिगत एवं सामूहिक दोनों रूपों में किया जाता है तथा प्रशासन की कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है। प्रपत्र का फलांकन स्टेंसिल (Stencil) की सहायता से करके, भिन्न-भिन्न रुचि क्षेत्रों के प्राप्तांक ज्ञात किए जाते हैं। फिर इन मूल प्राप्तांकों को (T- Score) टी-प्राप्तांक में परिवर्तित किया जाता है। यदि आवश्यकता हो तो इन T-Score के आधार पर रुचि पार्श्व-चित्र (Profile) की भी रचना की जा सकती है। इस रुचि-प्रपत्र के द्वारा यह भी ज्ञात किया जा सकता है कि अमुक व्यक्ति ने किन प्रेरणाओं के फलस्वरूप किसी विशिष्ट व्यवसाय में रुचि व्यक्त की है। प्रपत्र की विश्वसनीयता गुणांक 0.62 से 0.84 के मध्य पाया गया।

(6) मनोविज्ञानशाला इलाहाबाद की रुचिपत्री (Bureau of Psychology Allahabad Interest Inventory)

यह रुचि पत्री कूडर की रुचि पत्री को आधार मानकर बनाई गई है। इस परीक्षण के अन्तर्गत 80 परीक्षण पदों (Test-items) का समावेश किया गया है। यह परीक्षण 10 भागों में विभक्त है भाग 3, 8, 9 तथा 1 में से प्रत्येक पर 5 परीक्षण पद अर्थात् कुल 20 पद तथा शेष भागों में से प्रत्येक पर 10 परीक्षण पद अर्थात् 60 पद चयन किए जाते हैं। इन परीक्षण पदों में कुछ वयावसायिक क्रियाएँ भी दी होती हैं तथा प्रत्येक परीक्षण पद के सम्मुख अथवा नीचे 2, 1, 0 अंक लिख दिये जाते हैं। इनका तात्पर्य क्रमशः सबसे अधिक पसन्द, साधारण पसन्द तथा बिल्कुल नापसन्द है। परीक्षार्थी इन में से किसी भी एक के चारों ओर गोला खींचकर अपनी बहुत अधिक पसन्द, साधारण पसन्द या बिल्कुल नापसन्द को अभिव्यक्त करता है। इसमें समय का कोई बन्धन नहीं होता फिर भी, परीक्षार्थी से कहा जाता है कि वह परीक्षण को यथाशीघ्र पूरा कर ले।

इस रुचि पत्री के दस भाग उन्हीं दस प्रकार की रुचियों से सम्बन्धित हैं—

1. बाह्य (Outdoor )

2. यांत्रिक (Mechanical)

3. गणनात्मक (Computational)

4. वैज्ञानिक (Scientific)

5. प्रभावात्मक (Persuasive)

6. कलात्मक (Artistic )

7. साहित्यिक (Literary)

8. संगीतात्मक (Musical)

9. समाज सेवा (Social Service)

10. लिपिक सम्बन्धी (Clerical)

भिन्न-भिन्न भागों से प्राप्त अंकों के आधार पर परीक्षार्थी की व्यवसायिक रुचि का पार्श्व चित्र (Profile) निर्मित किया जाता है। परीक्षण की अंकन विधि सरल है। यह रुचि परीक्षण उत्तर प्रदेश की हाई स्कूल तथा इन्टरमीडिएट छात्रों की रुचि का मापन करने के लिए उपयोगी सिद्ध हुआ है। इसके द्वारा वर्तमान समय में विद्यार्थियों का शैक्षिक एवं व्यावसायिक निर्देशन करने में पर्याप्त सहायता मिल रही है।

रुचि-प्रपत्रों की परिसीमाएँ (Limitations of Interest Inventories)

रुचि-प्रपत्रों की कुछ प्रमुख परिसीमाएँ निम्नलिखित हैं—

प्रथम, इन रुचि प्रपत्रों में छात्रों द्वारा दिए गए प्रश्नों के उत्तर वर्तमान मानसिक अवस्था का चित्रण करते हैं। भविष्य में इस मानसिक अवस्था के परिवर्तित होने के साथ-साथ उनकी रुचियों का ढाँचा भी बदल सकता है। भविष्य में नई-नई बातों में रुचि उत्पन्न हो सकती है, पुरानी बातों में रुचि का ह्रास हो सकता है।

इसलिए किसी रुचि प्रपत्र द्वारा किसी छात्र की रुचियों का जो स्वरूप आज है, वही कल बदल भी सकता है।

द्वितीय, जितनी भी रुचि-अनुसूचियाँ अब तक प्रकशित हुई हैं, उनमें प्रत्येक प्रकार की रुचि का समावेश नहीं हो पाया है। अतः इन अनुसूचियों में छात्रों द्वारा फलांक केवल इतना बता सकता है कि अनुसूची में दी गई रुचियों के स्वरूप में से अमुक रुचि प्रकृति उसके लिए उपयुक्त है किन्तु यह फलांक यह नहीं बता सकता कि वास्तव में उसकी सबसे अधिक रुचि किस कार्य अथवा व्यवसाय में है।

तथा तृतीय ये अनुसूचियों की गुप्त रुचियों के विषय में कोई सूचना नहीं दे पातीं। किसी कार्य में रुचि का प्रस्फुटन अथवा विकास, उस कार्य में संलग्न होने के उपरान्त हुआ है अथवा पहले से ही रुचि विद्यमान थी। किसी कार्य अथवा व्यवसाय में आज का परिचय कल, उसी कार्य अथवा व्यवसाय में रुचि उत्पन्न कर सकता है। 

यद्यपि, रुचि अनुसूचियाँ छात्रों की वास्तविक रुचियों की जानकारी देने में अपने को असमर्थ पाती हैं, फिर भी, वे अध्यापक के हाथ में ऐसे यंत्रों का काम करती हैं, जो कई प्रकार से उपयोगी हों माध्यमिक विद्यालयों के छात्रों की रुचियों का अध्ययन करने के लिए, उत्तर प्रदेश की मनोविज्ञानशाला ने जो बीड़ा उठाया है, उसका परिणाम यह निकाला कि अब हम अपने बहुत से बच्चों का शैक्षिक एवं व्यावसायिक मार्ग प्रदर्शन भली-भाँति कर सकते हैं यदि प्रत्येक विद्यालय में एक मनोवैज्ञानिक (साइकोलोजिस्ट) की नियुक्ति हो जाए, जो इस प्रकार का मार्ग निर्देशन करता रहे, तो आशा की जा सकती है कि हम शिक्षा में हो रहे अपव्यय पर किसी सीमा तक अंकुश लगा पायेंगे।

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shubham yadav

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