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प्रश्न – वर्तमान शिक्षा प्रणाली में कम्प्यूटर के प्रयोग पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
वर्तमान शिक्षा प्रणाली में कम्प्यूटर के प्रयोग | कंप्यूटर के उपयोग Uses of Computers
उत्तर- वर्तमान समय में शिक्षा के क्षेत्र में कम्प्युटर का प्रयोग बढ़ता जा रहा है। इसकी उपयोगिता को देखते हुए अनेक राज्यों में प्राथमिक स्तर से ही बच्चों को कम्प्यूटर के द्वारा शिक्षा दी जाती है ताकि आज के छात्र आगे चलकर इसका प्रयोग कर सकें। आइए, वर्तमान शिक्षा प्रणाली में कम्प्युटरों के प्रयोग पर चर्चा करें-
1. आन लाईन शिक्षा (On-Line-Education)-आज आन लाईन शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति ला दी है। यह विद्यार्थियों में काफी लोकप्रिय हो रही है। घर बैठकर ही शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं। इस प्रकार की शिक्षा के लिए विद्यार्थी को पढ़ने के लिए किसी संस्था में नहीं जाना पड़ता। कम्प्यूटर की सहायता से विद्यार्थी अध्यापक या विशेषज्ञ के साथ सम्पर्क स्थापित कर सकता है । इसे टेली-कान्फ्रेन्सिंग (Tele-Conferencing) कहा जाता है। विद्यार्थियो के लिए विषय सामग्री सी.डी.CD के रूप में उपलब्ध होती है। जब विद्यार्थी को रूचि व इच्छा हो , तब तक वह कम्प्यूटर में CD डालकर विषय-सामग्री का अध्ययन कर सकता है। यह तकनीक विद्यार्थियों को अपनी रूचि व गति के अनुसार सीखने का अवसर प्रदान करती है।
2. शोध कार्य (Research Work)-कम्प्यूटर का प्रयोग शोध-कार्यो में भी किया जाता है। प्रदेशों के संकलन के पश् चात् उनका विश्लेषण करने के लिए कम्प्यूटर का प्रयोग किया जाता है। इसके द्वारा प्राप्त परिणाम शुद्ध एवं विश्वसनीय होते हैं। जिस क्षेत्र में अनुसंधानकर्ता शोध कर रहा है, उससे सम्बन्धित सूचनाएँ एवं आँकड़े कम्प्यूटर की सहायता से प्राप्त कर सकता है।
3. विद्यार्थियों के रिकार्ड रखना (Maintining Records of the Students) पहले विद्यार्थी के विभिन्न प्रकार के रिकार्ड रजिस्टरों एवं फाइलों में रखे जाते थे। अब विद्यार्थियों का सारा रिकार्ड कम्प्यूटर में संग्रहित कर लिया जाता है। सभी छात्रों की फीस, फन्डस् व अन्य रिकार्ड रखने में कम्प्यूटर उपयोगी है। जरूरत पड़ने पर किसी भी विद्यार्थी के बारे में हर प्रकार की सूचना एक सैकिण्ड में प्राप्त की जा सकती है।
4. मूल्यांकन प्रक्रिया व परीक्षा परिणामों को जानने में सहायक (Helpful in knowing Examination Resultsand Evaluation Process)-कम्प्यूटर परीक्षाफल तैयार करने में भी सहायक है। भारत में भी विश्वविद्यालय तथा परीक्षा परिषदें परीक्षाफलों को तैयार करने में कम्प्यूटर की सहायता होती है। इसकी सहायता से लाखों बच्चों का परीक्षाफल दो या यथार्थवत् स्थितियाँ दिखाई जाती है जैसे मानव शरीर में रक्त प्रवाह प्रणाली, जीवन विज्ञान, गणित द्वारा वास्तविक जीवन की यथार्थ-स्थितियों का अनुरूपण किया जाता है। कम्प्यूटर के पर्दे पर तीन दिन के अन्दर तैयार कर सकते हैं। हर विश्वविद्यालय एवं स्कूल शिक्षा बोर्ड की अपनी बेबसाइट होती है। तैयार किये गये परिणाम वेबसाइट में भर दिये जाते हैं। विद्यार्थी वेबसाइट खोलकर घर बैठे ही परीक्षा परिणाम देख सकते हैं। अंकतालिका भी प्राप्त कर सकते हैं। इस प्रकार विद्यार्थियों के समय की बचत होती है।
5. पुस्तकालयों हेतु उपयोग (Useful for Libraries)-कम्प्यूटर की सहायता से पुस्तकालय सम्बन्धी सभी कार्य आसानी से कर सकते हैं। पुस्तकालय में पुस्तकालय में पुस्तक चयन, सूचीकरण, वर्गीकरण, पुस्तक आदान-प्रदान कार्य, पत्र-पत्रिकाओं का नियंत्रण आदि कार्य कम्प्यूटर द्वारा आसानी से कर सकते हैं।
6. इंटरनेट द्वारा पुस्तकालय सेवाएँ (Library service through Internet)- इंटरनेट के द्वारा विद्यार्थी अपना सम्बन्ध विश्व के अन्य पुस्तकालयों के साथ जोड़ सकता है। इस प्रकार से किसी भी क्षेत्र में नई-नई जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
7. शैक्षिक निर्देशन तथा परामर्श (Educational Guidance and Counselling) निर्देशन तथा परामर्श के लिए कम्प्यूटर का प्रयोग किया जाता है। शैक्षिक निर्देशन के लिए छात्रों की कमजोरियों का निदान कर उनके उपचार के लिए अनुदेशन दिया जाता है। व्यावसायिक निर्देशन के लिए छात्र की क्षमताओं तथा योग्यताओं का कार्ड पर अंकित कर कम्प्यूटर को दे दिया जाता है। कम्प्यूटर उनकी क्षमताओं के आधार पर निर्देशन तथा परामर्श का कार्य करता है।
8. शिक्षकों के लिए उपयोगी (Useful for Teachers)-शिक्षकों को अपने शिक्षण दायित्वों को निभाने कम्प्यूटर विभिन्न प्रकार की सहायता प्रदान करता है। कम्प्यूटर निर्देशित स्व-अधिगत सामग्री द्वारा अध्यापक अपने शिक्षक कार्यों को बेहतर ढंग से पूरा कर बालकों से ज्यादा-से-ज्यादा अधिगम कर सकता है।लौरेंस स्टोलुरो ने 1965 मे ऐसे शिक्षक प्रतिमान का विकास किया जिसमें शिक्षक के स्थान पर अनुदेश के प्रस्तुतीकरण के लिए कम्प्यूटर का प्रयोग किया जाता है। कम्प्यूटर द्वारा विषय-वस्तु का वास्तविक शिक्षक किया जाता है।
9. विकलांगों को शिक्षा (Education to Handicapped)-गूंगे, बहरे, विकलांगों की शिक्षा देने के लिए कम्प्यूटर का प्रयोग किया जा सकता है। यह विद्यार्थियों की गति एवं कार्यक्षमता के अनुसार काम करता है। यदि विद्यार्थियों को कोई पाठ समझ न आया हो तो उसकी कम्प्यूटर पर कई बार पुनरावृत्ति की जा सकती है। यह विद्यार्थियों की आवश्यकताओं एवं रूचि के अनुसार अधिगम संसाधनों एवं सामग्री का निर्धारण करता है। कम्प्यूटर विद्यार्थी एवं विषय-वस्तु की प्रत्यक्ष अन्तःक्रिया प्रस्तुत करता है। विकलांग बच्चों में ध्यान देने की क्षमता कम होती है, कम्प्यूटर द्वारा छात्रों के विषय-वस्तु में रूचि पैदा की जा सकती है।
10. समस्या समाधान एवं रचनात्मक (Problems Solving and Creativity)- समस्या समाधान एवं रचनात्मक योग्यताओं के विकास के लिए कम्प्यूटर का प्रयोग किया जा सकता है।
11. यथार्थवत् अनुकरण अथवा अनुरूपण (Stimulation)-मेडीकल, विज्ञान, जैनकीय विज्ञान, भाषा आदि विषयों में विद्यार्थियों को कार्य-कुशलता बढ़ाने के लिए कम्प्यूटर द्वारा वास्तविक जीवन की आर्थिक स्थितियों का अनुरूपण किया जाता है| कंप्यूटर के पर्दे पर यथार्थवाद स्थितियां दिखाई देती है जैसे मानव शरीर में रक्त प्रवाह प्रणाली, जीव विज्ञान गणित के मॉडल आदि यह विद्यार्थियों को सीखने के लिए अभिप्रेरित करता है|
12. शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में सहायक (Helpful in Teaching and Learning) गणित, विज्ञान, भाषा आदि के लिए कम्प्यूटर का प्रयोग सफलतापूर्वक किया जा चुका है। यह विद्यार्थियों के प्रारम्भिक ज्ञान के आधार पर अधिगम सामग्री का चयन करता है। यह विभिन्न विद्यार्थियों की सुविधा के लिए एक ही प्रकरण में सम्बन्धित अनुदेशानात्मक सामग्री को विभिन्न रूपों में संचित करता है।
13. ड्रिल एवं अभ्यास (Drill and Practice) कम्प्यूटर का प्रयोग गणित, विज्ञान एवं भाषा आदि के शिक्षण में ड्रिल एवं अभ्यास के लिए किया जाता है। उपचारात्मक शिक्षण चाहने वाले विद्यार्थियों के लिए उपचारात्मक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया जाता है।
14. वास्तविक शिक्षण (Real Teaching) कम्प्यूटर द्वारा विषय-वस्तु का वास्तविक शिक्षण किया जाता है। मौखिक व्याख्या प्रस्तुत करने के लिए श्रव्य टेप का प्रयोग किया जाता है और Cathoderay tube के द्वारा आवश्यकतानुसार दृश्य प्रस्तुत किये जाते हैं।
इंटरनेट में दो प्रकार के कम्प्यूटर सॉफ्टवेयरों –सर्वर (Servor) तथा ग्राहक (Clients) के बीच प्रक्रिया होती है। सर्वरो (Servers) को संक्षेप में ऐसे प्रोग्रामो के रूप में समझ जाना चाहिए जो संसाधन (Resources) प्रदान करते हैं और ग्राहक (Clients) में प्रोग्राम होते हैं जो हमें इस संसाधनों की उपलब्धि कराने में सहायक हैं।
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