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विस्मृति का अर्थ
स्मृति की भाँति विस्मृति भी एक मानसिक क्रिया है। विस्मृति स्मृति का एक निष्क्रिय तथा नकारात्मक क्रिया है । गेड्डार्ड ने विस्मृति को एक नकारात्मक धारणा माना है। जब शिक्षार्थी पूर्व सीखे गये अनुभवों को किसी कारण खो देते हैं तो उसे विस्मृति की संज्ञा दी जाती है। जब भी शिक्षार्थी किसी विषय या पाठ को सीखते हैं, तो उसे स्मृति-चिन्ह के रूप में मस्तिष्क में धारण करते हैं। जब स्मृति-चिन्ह कमजोर पड़ जाते हैं या समाप्त हो जाते हैं, तो शिक्षार्थी पूर्व सीखे गये अनुभवों को याद नहीं कर पाते तो यह कहा जाता है कि उसका विस्मरण हो गया है। परन्तु कभी-कभी ऐसा भी होता है कि छात्र के मस्तिष्क में किसी सीखे गये पाठ का स्मृति-चिन्ह बना हुआ होता है, अर्थात् वे उसका धारण किये हुये रहते हैं फिर भी उसका पुन: स्मृति (Recall) या पहचान वे नहीं कर पाते। परन्तु, जैसे ही उस पाठ से संबंधित कुछ संकेत (Cues) जिसे पुर्नप्राप्ति संकेत कहा जाता है, देने पर वे उसका पुन: स्मृति कर लेते हैं । इस प्रकार विस्मृति एक ऐसी मानसिक प्रक्रिया है, जिसमें व्यक्ति पूर्व सीखे गये अनुभवों या पाठों का पुनः स्मृति या पहचान करने में असमर्थ रहता है। इस असमर्थता के कारण स्मृति-चिन्हों का खत्म हो जाना भी हो सकता है या उपयुक्त पुनप्राप्ति संकेत की अनुपस्थिति भी हो सकती है। जब, विस्मृति का कारण स्मृति-चिन्हों का वास्तविक नाश (Actual losss) होता है, तो इसे चिन्ह-आधारित विस्मृति कहा जाता है। परन्तु जब विस्मृति का कारण स्मृति चिन्हों का नाश होना नहीं, बल्कि पुनः स्मृति करते समय कुछ महत्त्वपूर्ण संकेतों की अनुपस्थिति होती है, तो इसे संकेत-आधारित विस्मृति (Cuedependent forgetting) कहा जाता है।
विस्मृति की परिभाषा
विस्मृति की परिभाषा विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने निम्न प्रकार दी हैं-
फ्रायड के शब्दों में, “विस्मृति की क्रिया के द्वारा हम अपने दुःखदायी अनुभवों को स्मृति से निकाल देते हैं।”
मन के अनुसार, “ग्रहण किये गये तथ्यों की धारण न कर सकना ही विस्मृति है।”
ड्रेवर के शब्दों में, “विस्मृति का अर्थ है – किसी समय प्रयास करने पर भी किसी पूर्व अनुभव का स्मरण करने या पहले सीखे हुए किसी कार्य को करने में असफलता।
विस्मृति की विशेषताएँ
विस्मृति की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
1. अपने मन पर पड़े संस्कारों को बहुत कम याद रख सकना।
2. क्रमानुसार किसी घटना का वर्णन नहीं कर सकना।
3. विद्यार्थी बहुत-सी बातें इसलिए भी भूल जाते हैं कि उन पर अपना अवधान एकाग्र नहीं कर पाते।
4. किसी पदार्थ के एक गुण के स्थान पर दूसरे को बता देना।
विस्मृति के कारण
विस्मृति के अनेक कारण हैं उन कारणों को हम मुख्यतः दो भागों में बाँट सकते हैं-
(i) सैद्धान्तिक कारण (Theoretical Causes)- बाधा, दमन और अभ्यास का सिद्धान्त ।
(ii) सामान्य कारण (General Causes)- समय का प्रभाव, रुचि का प्रभाव, विषय की मात्रा इत्यादि
इनका अध्ययन इस निम्न रूपों में कर सकते है-
1. बाधा का सिद्धान्त (Theory of interference) – इस सिद्धान्त के अनुसार, यदि हम एक पाठ को याद करने के बाद दूसरा पाठ याद करने लगते हैं तो हमारे मस्तिष्क में पहले पाठ के स्मृति-चिन्हों में बाधा पड़ती है। फलस्वरूप वे निर्बल होते हैं और हम पहले पाठ को भूल जाते हैं।
2. दमन का सिद्धान्त (Theory of repression)- इस सिद्धान्त के अनुसार, हम दुःख और अपमानजनक घटनाओं को याद रखना नहीं चाहते हैं। अतः हम उनका दमन करते है। परिणामतः वे हमारे अचेतन मन में चली जाती हैं और हम उनको भूल जाते हैं।
3. अभ्यास का सिद्धान्त (Theory of practice)- विस्मरण का एक कारण अभ्यास का अभाव भी है। यदि सीखी हुई बात का बार-बार अभ्यास नहीं करते हैं, तो हम उसको भूल जाते हैं।
4. समय का प्रभाव (Effect of time)- सीखी हुई बात का समय पर प्रभाव पड़ता है। व्यक्ति अधिक समय पहले सीखी हुई बात अधिक और कम समय पहले सीखी हुई बात कम भूलता है।
5. रुचि, ध्यान व इच्छा का अभाव (Lack of Interest, attention and will)- जिस कार्य को हम जितनी कम रुचि, ध्यान और इच्छा से सीखते हैं, उतनी ही जल्दी हम उसको भूलते हैं। जिन बातों के प्रति हमारा ध्यान रहता है, उन्हें हम स्मरण रखते हैं ।
6. विषय का स्वरूप (Nature of material) – हमें सरल, सार्थक और लाभप्रद बातें बहुत समय तक स्मरण रहती हैं। इसके विपरित, कठिन, निरर्थक और हानिप्रद बातों को शीघ्र ही हम भूल जाते हैं।
7. विषय की मात्रा (Amount of materian)— विस्मरण विषय की मात्रा के कारण भी होता है। हम छोटे विषय को देर से और लम्बे विषय को जल्द भूलते हैं।
8. सीखने की कमी (Under-learning)– हम कम सीखी हुई बात को जल्दी और भली प्रकार सीखी हुई बात को विलम्ब से भूलते हैं।
9. सीखने की दोषपूर्ण विधि (Defective method of learning)– यदि शिक्षक बालकों को सीखने के लिए उचित विधि का प्रयोग न करके दोषपूर्ण विधि का प्रयोग करते हैं तो वे उसे थोड़े ही समय में भूल जाते हैं ।
10. मानसिक आघात (Mental injury)— सिर में चोट लगने से स्नायुकोष्ठ छिन्न-भिन्न हो जाते हैं। अतः उनके ऊपर बने स्मृति-चिन्ह अस्त-व्यस्त हो जाते हैं। फलस्वरूप व्यक्ति स्मरण की हुई बात को भूल जाता है।
11. मानसिक द्वन्द्व (Mental conflict)- मानसिक द्वन्द्व के कारण मस्तिष्क में किसी-न-किसी प्रकार की परेशानी उत्पन्न हो जाती है। यह परेशानी विस्मृति का कारण बनती है।
12. मानसिक रोग (Mental disease)- कुछ मानसिक रोग ऐसे हैं, जो स्मरण शक्ति को निर्बल बना देते हैं। जिसके फलस्वरूप विस्मृति की मात्रा में वृद्धि हो जाती है। इस प्रकार का मानसिक रोग दुःसाध्य उन्माद है।
13. मादक वस्तुओं का प्रयोग (Use of intoxicant) – मादक वस्तुओं का प्रयोग मानसिक शक्ति को क्षीण कर देता है। अतः विस्मरण एक स्वाभाविक बात हो जाती है।
14. स्मरण न करने की इच्छा (Lack of desire to remember)– यदि हम किसी बात को याद नहीं रखना चाहते हैं, तो हम उसे अवश्य भूल जाते हैं।
15. संवेगात्मक असन्तुलन (Emotional disturbance)- किसी संवेग के उत्तेजित होने पर व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक दशा में असाधारण परिवर्तन हो जाता है। इस दशा में उसे पिछली बातों का स्मरण कठिन हो जाता है। बालक भय के कारण अच्छी तरह से याद पाठ को भी भूल जाता है।