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अनुच्छेद 35A और 370 IAS NOTES PDF में DOWNLOAD करे।
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संविधान (जम्मू और कश्मीर में लागू) संशोधन आदेश, 2019 [Constitution (Application to Jammu & Kashmir) Amendment Order, 2019] को मंज़ूरी दे दी है।
राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 370 की धारा (1) के अंतर्गत संविधान (जम्मू और कश्मीर में लागू) संशोधन आदेश, 2019 जारी किये जाने के बाद संविधान (77वाँ संशोधन) अधिनियम, 1995 तथा संविधान (103वाँ संशोधन) अधिनियम, 2019 के माध्यम से भारतीय संविधान के संशोधित तथा प्रासंगिक प्रावधान लागू होंगे।
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BACKGROUND OF ARTICLE 370
1947 ई. जब भारत का विभाजन हुआ तो अंग्रेजों ने रजवाड़ों को स्वतंत्र कर दिया था. उस समय जम्मू-कश्मीर का राजा हरि सिंह स्वतंत्र रहना चाहता था और भारत में विलय होने का विरोध करने लगा. उस समय सभी अन्य राज्य जो रजवाड़े के अन्दर आते थे उन्होंने भी भारत देश में विलय का छुटपुट विरोध किया पर सरदार पटेल के भय से सब भारत में मिल गए. मगर कश्मीर का मामला नेहरु ने अपने हाथ में ले लिया और पटेल को इससे अलग रखा. उस वक़्त नेहरु और अब्दुल्ला के बीच बातचीत हुई और जम्मू-कश्मीर की समस्या शुरू हो गयी.
जम्मू-कश्मीर में पहली अंतरिम सरकार बनाने वाले नेशनल कॉफ्रेंस के नेता शेख़ अब्दुल्ला ने भारतीय संविधान सभा से बाहर रहने की पेशकश की थी.
इसके बाद भारतीय संविधान में धारा 370 का प्रावधान किया गया जिसके तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष अधिकार प्राप्त हैं.
1951 में राज्य को संविधान सभा को अलग से बुलाने की अनुमति दी गई.
- 17 अक्तूबर, 1949 को संविधान में शामिल, अनुच्छेद 370 भारतीय संविधान से जम्मू-कश्मीर को छूट देता है (केवल अनुच्छेद 1 और अनुच्छेद 370 को छोड़कर) और राज्य को अपने संविधान का मसौदा तैयार करने की अनुमति देता है।
- यह तब तक के लिये एक अंतरिम व्यवस्था मानी गई थी जब तक कि सभी हितधारकों को शामिल करके कश्मीर मुद्दे का अंतिम समाधान हासिल नहीं कर लिया जाता।
- यह राज्य को स्वायत्तता प्रदान करता है और इसे अपने स्थायी निवासियों को कुछ विशेषाधिकार देने की अनुमति देता है।
- राज्य की सहमति के बिना आंतरिक अशांति के आधार पर राज्य में आपातकालीन प्रावधान पर लागू नहीं होते हैं|
- राज्य का नाम और सीमाओं को इसकी विधायिका की सहमति के बिना बदला नहीं जा सकता है।
- राज्य का अपना अलग संविधान, एक अलग ध्वज और एक अलग दंड संहिता (रणबीर दंड संहिता) है।
- राज्य विधानसभा की अवधि छह साल है, जबकि अन्य राज्यों में यह अवधि पाँच साल है।
- भारतीय संसद केवल रक्षा, विदेश और संचार के मामलों में जम्मू-कश्मीर के संबंध में कानून पारित कर सकती है। संघ द्वारा बनाया गया कोई अन्य कानून केवल राष्ट्रपति के आदेश से जम्मू-कश्मीर में तभी लागू होगा जब राज्य विधानसभा की सहमति हो।
- राष्ट्रपति, लोक अधिसूचना द्वारा घोषणा कर सकते हैं कि इस अनुच्छेद को तब तक कार्यान्वित नहीं किया जा सकेगा जब तक कि राज्य विधानसभा इसकी सिफारिश नहीं कर देती है|
- अनुच्छेद 35A, जो कि अनुच्छेद 370 का विस्तार है, राज्य के स्थायी निवासियों को परिभाषित करने के लिये जम्मू-कश्मीर राज्य की विधायिका को शक्ति प्रदान करता है और उन स्थायी निवासियों को विशेषाधिकार प्रदान करता है तथा राज्य में अन्य राज्यों के निवासियों को कार्य करने या संपत्ति के स्वामित्व की अनुमति नहीं देता है।
- इस अनुच्छेद का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर की जनसांख्यिकीय संरचना की रक्षा करना था।
- अनुच्छेद 35A की संवैधानिकता पर इस आधार पर बहस की जाती है कि इसे संशोधन प्रक्रिया के माध्यम से नहीं जोड़ा गया था। हालाँकि, इसी तरह के प्रावधानों का इस्तेमाल अन्य राज्यों के विशेष अधिकारों को बढ़ाने के लिये भी किया जाता रहा है।
जम्मू और कश्मीर
- जम्मू और कश्मीर के संविधान का प्रस्तावना और अनुच्छेद 3 बताता है कि जम्मू और कश्मीर राज्य भारत संघ का अभिन्न अंग है।
- अनुच्छेद 5 में कहा गया है कि राज्य की कार्यकारी और विधायी शक्ति उन सभी मामलों को विस्तारित करती है, जिनके संबंध में संसद के पास भारत के संविधान के प्रावधानों के तहत राज्य के लिए कानून बनाने की शक्ति है।
- संविधान 17 नवंबर 1956 को अपनाया गया था और 26 जनवरी 1957 को लागू हुआ था।
अनुच्छेद 35A और 370 को रद्द करने से संबंधित मुद्दे
- वर्तमान में इन अनुच्छेदों से मिले अधिकारों को कश्मीरियों द्वारा धारित एकमात्र महत्त्वपूर्ण स्वायत्तता के रूप में माना जाता है। अत: इससे छेड़छाड़ से व्यापक प्रतिक्रिया की संभावना है।
- यदि अनुच्छेद 35A को संवैधानिक रूप से निरस्त कर दिया जाता है तो जम्मू-कश्मीर 1954 के पूर्व की स्थिति में वापस आ जाएगा। उस स्थिति में केंद्र सरकार की राज्य के भीतर रक्षा, विदेश मामलों और संचार से संबंधित शक्तियाँ समाप्त हो जाएंगी।
- यह भी तर्क दिया गया है कि अनुच्छेद 370 के तहत राज्य को दी गई कई प्रकार की स्वायत्तता वैसे भी कम हो गई है और संघ के अधिकांश कानून जम्मू-कश्मीर राज्य पर भी लागू होते हैं।
क्या हैं अधिकार :
– भारत के अन्य राज्यों के लोग जम्मू कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते हैं।
– वित्तीय आपातकाल लगाने वाली धारा 360 भी जम्मू कश्मीर पर लागू नहीं होती।
– जम्मू-कश्मीर का अलग झंडा है।
– भारत की संसद जम्मू-कश्मीर में रक्षा, विदेश मामले और संचार के अलावा कोई अन्य कानून नहीं बना सकती।
– धारा 356 लागू नहीं, राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं।
– कश्मीर की कोई लड़की किसी बाहरी से शादी करती है तो उसकी कश्मीर की नागरिकता छिन जाती है।
संक्षेप मे
- दोहरी नागरिकता
- खुद का झंडा
- विधान सभा अवधि 6 वर्ष है
- सुप्रीम कोर्ट के आदेश मान्य नहीं हैं
- संसद के कानून सीमित हैं।
- लिंग पर पक्षपात
- बाहरी लोग जमीन के मालिक नहीं हो सकते
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