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उद्दीपन-अनुक्रिया सिद्धान्त तथा सूझ द्वारा अधिगम में अन्तर
उद्दीपन-अनुक्रिया सिद्धान्त तथा सूझ द्वारा अधिगम में अन्तर में अंतर या भेद उदहारण सहित निम्नलिखित है-
उद्दीपन-अनुक्रिया सिद्धान्त |
सूझ द्वारा अधिगम |
1. जब व्यक्ति कोई कार्य सीखता है तब उसके सामने एक विशेष स्थिति य उददीपक होता है। | सूझ द्वारा अधिगम में सीखते समय व्यक्तिव के समक्ष उसके आस-पास की परिस्थिति होती है। |
2. बालक विशेष स्थिति या उद्दीपक के प्रति प्रतिक्रिया व्यक्त करता है। | बालक समस्या समाधान हेतु आस-पास की स्थिति पर विचार करता है। |
3. विशेष उद्दीपक ही बालक को प्रतिक्रिया करने के लिए प्रेरित करता है | आस-पास की परिस्थिति तथा वस्तुएँ ही समस्या समाधान के लिए प्रेरित करते हैं। |
4. इस सिद्धान्त के अन्तर्गत विशेष उद्दीपक का विशेष अनुक्रिया के साथ सम्बन्ध स्थापित हो जाता है। | समस्या तथा परिस्थितियों का सूझ के द्वारा सम्बन्ध स्थापित होता है। |
5. इस सिद्धान्त के फलस्वरूप जब व्यक्ति भविष्य में उसी उद्दीपक का अनुभव करता है तब वह उससे सम्बन्धित उसी प्रकार की प्रतिक्रिया या व्यवहार करता है। | इस सिद्धान्त में बालक जब कभी उसी प्रकार की समस्या समक्ष आती है तो वह सूझ से काम लेता है। |
6. इस सिद्धान्त के प्रतिपादक ई.एल. थार्नडाइक हैं। | इस सिद्धान्त के प्रतिपादक कोहलर एवं कोफ्का है। |
7. सीखना सम्बन्ध स्थापित करना है। सम्बन्ध स्थापित करने का कार्य मनुष्य का मस्तिष्क करता है। | मनुष्य सूझ के द्वारा सीखता है। सूझ में व्यक्ति चिन्तन, तर्क तथा कल्पना शक्ति से विशेष काम लेता है। |
8. थार्नडाइक ने उलझन बाक्स में भूखी बिल्ली को बन्द कर बाहर भोजन रखकर बिल्ली द्वारा बाहर निकलने के लिए उछल कूद मचाते समय पिंजड़े के लीवर में पैर पड़ने से दरवाजा खुलता है। इस क्रिया के कई बार करने से वह दरवाजा खोलना सीख जाती है। | कोफ्का व रोहलर ने भूखे बनमानुष को कमरे में बन्द कर छत पर केले लटका दिए तथा कमरे में कुछ बाक्स रखे, सुल्तान केले पाने के लिए सोच विचारकर बाक्सों को एक के ऊपर एक रखकर केले तक पहुँचन सीख जाता है। |
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