भूगोल / Geography

जनसंख्या के घनत्व को प्रभावित करने वाले कारक

Dear Friends आपका currentshub.com पर फिर से स्वागत है, आज की हमारी इस पोस्ट में जनसंख्या के घनत्व को प्रभावित करने वाले कारक, जनसंख्या घनत्व का अर्थ, विश्व में जनसंख्या वितरण के प्रारूप, जनसंख्या घनत्व का यूनिट, इत्यादि के बारे में विस्तार बतायेगे जो कि आपको आने वाले सभी प्रकार के Competitive Exams में काम आयेंगी !

जनसंख्या के घनत्व को प्रभावित करने वाले कारक

जनसंख्या के घनत्व को प्रभावित करने वाले कारक

जनसंख्या के घनत्व को प्रभावित करने वाले कारक

जनसंख्या

प्रस्तावना-किसी देश के निवासी ही उसके वास्तविक धन होते हैं। यही लोग वास्तविक संसाधन हैं जो देश के अन्य संसाधनों का उपयोग करते हैं और उसकी नीतियाँ निर्धारित करते हैं। अंततः एक देश की पहचान उसके लोगों से ही होती है। यह जानना आवश्यक है कि किसी देश में कितनी स्त्रियाँ और पुरुष हैं, प्रतिवर्ष कितने बच्चे जन्म लेते हैं, कितने लोगों की मृत्यु होती है और कैसे? क्या वे नगरों में रहते हैं अथवा गाँवों में? क्या वे पढ़ और लिख सकते हैं तथा वे क्या काम करते हैं? यही वे तथ्य हैं जिनके बारे में हम इस इकाई में अध्ययन करेंगे। 21वीं शताब्दी के प्रारंभ में विश्व की जनसंख्या 600 करोड़ से अधिक दर्ज की गई। यहाँ हम जनसंख्या के वितरण और घनत्व के प्रारूपों की विवेचना करेंगे। लोग कुछ निश्चित प्रदेशों में क्यों रहना चाहते हैं और अन्य प्रदेशों में क्यों नहीं?

विश्व की जनसंख्या असमान रूप से वितरित है। एशिया की जनसंख्या के संबंध में जॉर्ज बी. क्रेसी की टिप्पणी है कि “एशिया में बहुत अधिक स्थानों पर कम लोग और कम स्थानों पर बहुत अधिक लोग रहते हैं।” विश्व के जनसंख्या वितरण प्रारूप के संबंध में भी यह सत्य है।

विश्व में जनसंख्या वितरण के प्रारूप

जनसंख्या के वितरण और घनत्व के प्रारूप हमें किसी क्षेत्र की जनांकिकीय विशेषताओं को समझने में मदद करते हैं। ‘जनसंख्या वितरण’ शब्द का अर्थ भूपृष्ठ पर, लोग किस प्रकार वितरित हैं इस बात से लगाया जाता है। मोटे तौर पर विश्व की जनसंख्या का 90 प्रतिशत, इसके 10 प्रतिशत, स्थलभाग में निवास करता है।

विश्व के दस सर्वाधिक आबाद देशों में विश्व की लगभग 60 प्रतिशत जनसंख्या निवास करती है इन दस देशों में से छह एशिया में अवस्थित हैं। एशिया के इन छह देशों को पहचानिए।

जनसंख्या का घनत्व

भूमि की प्रत्येक इकाई में उस पर रह रहे लोगों के पोषण की सीमित क्षमता होती है। अत: लोगों की संख्या और भूमि के आकार के बीच अनुपात को समझना आवश्यक है। यही अनुपात जनसंख्या का घनत्व है। यह सामान्यत: प्रति वर्ग किलोमीटर रहने वाले व्यक्तियों के रूप में मापा जाता है।

जनसंख्या घनत्व = व्यक्ति की संख्या / भूमि का क्षेत्रफल.

उदाहरण के लिए ‘क’ प्रदेश का क्षेत्रफल 100 वर्ग कि.मी. है और जनसंख्या 150000 है। जनसंख्या का घनत्व इस प्रकार निकाला जाएगा :

घनत्व =150000 / 100
=1,500 व्यक्ति/वर्ग कि.मी.

जनसंख्या घनत्व का यूनिट

km² को हिन्दी में वर्ग किलोमीटर लिखा जाता है. व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर के आलावा व्यक्ति प्रति वर्ग मील इकाई का प्रयोग जनसंख्या घनत्व के लिए किया जाता है.

जनसंख्या के घनत्व को प्रभावित करने वाले कारक

(1) भौगोलिक कारक

(i) जल की उपलब्धता

(ii) भू-आकृति

(iii) जलवायु

(iv) मृदाएँ 

(II) आर्थिक कारक

(ii) खनिज 

(ii) नगरीकरण :

(1) भौगोलिक कारक

(iii) औद्योगीकरण :

III. सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारक

(1) भौगोलिक कारक

(i) जल की उपलब्धता

जल जीवन का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कारक है। अतः लोग उन क्षेत्रों में बसने को प्राथमिकता देते हैं जहाँ जल आसानी से उपलब्ध होता है। जल का उपयोग पीने, नहाने और भोजन बनाने के साथ-साथ पशुओं, फसलों, उद्योगों तथा नौसंचालन में किया जाता है। यही कारण है कि नदी-घाटियाँ विश्व के सबसे सघन बसे हुए क्षेत्र हैं।

(ii) भू-आकृति :

लोग समतल मैदानों और मंद ढालों पर बसने को वरीयता देते हैं इसका कारण यह है कि ऐसे क्षेत्र फसलों के उत्पादन, सड़क निर्माण और उद्योगों के लिए अनुकूल होते हैं। पर्वतीय और पहाड़ी क्षेत्र परिवहन-तंत्र के विकास में अवरोधक हैं, इसलिए प्रारंभ में कृषिगत और औद्योगिक विकास के लिए अनुकूल नहीं होते। अत: इन क्षेत्रों में कम जनसंख्या पाई जाती है। गंगा का मैदान विश्व के सर्वाधिक सघन जनसंख्या वाले क्षेत्रों में से एक है जबकि हिमालय के पर्वतीय भाग विरल जनसंख्या वाले क्षेत्र हैं।

(iii) जलवायु :

अति ऊष्ण अथवा ठंडे मरुस्थलों की विषम जलवायु मानव बसाव के लिए असुविधाजनक होती है। सुविधाजनक जलवायु वाले क्षेत्र जिनमें अधिक मौसमी जनसंख्या पाई जाती है। भूमध्य सागरीय प्रदेश सुखद जलवायु के कारण इतिहास के आरंभिक कालों से बसे हैं।

(iv) मृदाएँ :

उपजाऊ मृदाएँ कृषि तथा इनसे संबंधित क्रियाओं के लिए महत्त्वपूर्ण हैं इसलिए उपजाऊ दोमट मिट्टी वाले प्रदेशों में अधिक लोग निवास करते हैं क्योंकि ये मृदाएँ गहन कृषि का आधार बन सकती हैं। क्या आप भारत में उन क्षेत्रों के नाम बता सकते हैं जहाँ कम उपजाऊ मृदा के कारण विरल जनसंख्या पाई जाती है?

(II) आर्थिक कारक

(ii) खनिज :

खनिज निक्षेपों से युक्त क्षेत्र उद्योगों को आकृष्ट करते हैं। खनन और औद्योगिक गतिविधियाँ रोजगार उत्पन्न करते हैं। अत: कुशल एवं अर्ध-कुशल कर्मी इन क्षेत्रों में पहुँचते हैं और जनसंख्या को सघन बना देते हैं। अफ्रीका की कटंगा, जाबिया ताँबा पेटी इसका एक अच्छा उदाहरण है।

(ii) नगरीकरण :

नगर रोजगार के बेहतर अवसर, शैक्षणिक व चिकित्सा संबंधी सुविधाएँ तथा परिवहन और संचार के बेहतर साधन प्रस्तुत करते हैं। अच्छी नागरिक सुविधाएँ तथा नगरीय जीवन के आकर्षण लोगों को नगरों की ओर खींचते हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्रों से नगरीय क्षेत्रों में प्रवास होता है और नगर आकार में बढ़ जाते हैं। विश्व के विराट नगर प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में प्रवासियों को निरंतर आकर्षित करते हैं। फिर भी नगरीय जीवन अत्यंत कष्टदायक हो सकता है…

(iii) औद्योगीकरण :

औद्योगिक पेटियाँ रोजगार के अवसर उपलब्ध कराती हैं और बड़ी संख्या में लोगों को आकर्षित करती हैं। इनमें केवल कारखानों के श्रमिक ही नहीं होते बल्कि परिवहन परिचालक, दुकानदार, बैंककर्मी, डॉक्टर, अध्यापक तथा अन्य सेवाएँ उपलब्ध कराने वाले भी होते हैं। जापान का कोबे-ओसाका प्रदेश अनेक उद्योगों की उपस्थिति के कारण सघन बसा हुआ है।

III. सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारक

कुछ स्थान धार्मिक अथवा सांस्कृतिक महत्त्व के कारण अधिक लोगों को आकर्षित करते हैं। ठीक इसी प्रकार लोग उन क्षेत्रों को छोड़ कर चले जाते हैं जहाँ सामाजिक और राजनीतिक अशांति होती है। कई बार सरकारें लोगों को विरल जनसंख्या वाले क्षेत्रों में बसने अथवा भीड़-भाड़ वाले स्थानों से चले जाने के लिए प्रोत्साहन देती हैं।

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shubham yadav

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