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निर्माणात्मक व संकलनात्मक मूल्यांकन
निर्माणात्मक मूल्यांकन
अधिगम की सफलता शिक्षण अधिगम प्रक्रिया पर निर्भर करती है। इस प्रक्रिया में मूल्यांकन को निर्माणात्मक या रचनात्मक मूल्यांकन कहते हैं। रोनेट्री (Ronetry) ने इस मूल्यांकन के लिए माइक्रो मूल्यांकन (Micro evaluation) शब्द का प्रयोग किया है। इसे रूप देय मूल्यांकन के नाम से भी जाना जाता है। इस प्रकार इस मूल्यांकन में अध्ययन अध्यापन प्रक्रिया सम्मिलित है। इसके आधार पर अध्यापक विधि की अपूर्णता का आंकलन कर अपनी शिक्षण विधि में वांछित संशोधन कर सकता है। दूसरे शब्दों में ज्ञान के विकास को आधार मानकर अधिगम को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिपुष्टि (Feed back) के माध्यम से पुनर्बलन (Reinforcement) प्रदान किया जाता है। प्रतिपुष्टि सफल अधिगम को पुनर्बलन करने के साथ ही उन कमियों को भी स्पष्ट करती है जिनके कारण अधिगम में कठिनाइयाँ उत्पन्न होती हैं।
इस मूल्यांकन के आधार पर हम विकसित शिक्षण अधिगम कार्यक्रम का परिवर्तन तथा संवर्द्धन करते हैं अथवा पूर्णतया निरस्तीकरण करते हैं। रचनात्मक मूल्यांकन शैक्षणिक कार्यक्रमों के निर्माण की प्रक्रिया में उस समय तक पृष्ठ पोषण प्रदान करता है, जब तक कि कार्यक्रम पूर्व निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति में सक्षम न हो जाए।
निर्माणात्मक मूल्यांकन की प्रमुख विशेषताएँ
निर्माणात्मक या रचनात्मक मूल्यांकन की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
1. त्रुटियों को सुधारने के लिए यह मूल्यांकन अपरिहार्य है।
2. यह एक सतत् मूल्यांकन प्रक्रिया है
3. इसमें प्रायः दक्षता परीक्षणों का प्रयोग किया जाता है।
4. इस मूल्यांकन द्वारा सुधारात्मक अनुदेशन की व्यवस्था सम्भव हो पाती है।
5. इसमें शिक्षक निर्मित, कसौटी सन्दर्भित परीक्षणों का व्यापक उपयोग होता है।
6. आवश्यकतानुसार निरीक्षण तकनीक भी प्रयोग में आती है।
7. इसका प्रयोग अधिगम में सुधार हेतु किया जाता है।
8. सामाजिक अध्ययन शिक्षण में इसका व्यापक उपयोग है।
संकलनात्मक मूल्यांकन
इस मूल्यांकन को योग-देय मूल्यांकन भी कहते हैं। रोनेट्री ने इसे मैक्रो मूल्यांकन (Macro Evaluation) का नाम दिया है। इसका प्रयोग अनुदेशात्मक पाठ्यक्रम की समाप्ति पर अन्त में होता है। ब्लूम के अनुसार “आकलित मूल्यांकन किसी सत्र पाठ्यक्रम अथवा कार्यक्रम के अन्त में छात्रों के श्रेणीकरण, प्रमाणीकरण, प्रगति मूल्यांकन अथवा पाठ्यक्रम शिक्षण नियोजन पर शोध हेतु किया जाता है ।”
संकलनात्मक मूल्यांकन की विशेषताएँ
संकलनात्मक मूल्यांकन की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
1. आकलित मूल्यांकन अनुदेशात्मक पाठ्यक्रम के अन्त में प्रयुक्त होता है।
2. यह पाठ्यक्रम अथवा शैक्षणिक कार्यक्रम की सफलता की सीमा का मूल्यांकन है।
3. इस मूल्यांकन में हम शैक्षिक उत्पादों का वास्तविक परिस्थितियों में मूल्यांकन करते हैं।
4. आकलित मूल्यांकन में अध्यापक शिक्षण प्रयासों के सम्पूर्ण प्रभाव का अध्ययन करते हैं।
5. इसका उपयोग छात्रों के श्रेणीकरण, प्रमाणपत्र वितरण और ग्रेडिंग के लिए किया जाता है।
6. इसमें शिक्षक निर्मित परीक्षणों के साथ-ही-साथ निष्पादन मापनी का प्रयोग किया जाता है।
7. इस मूल्यांकन प्रतिमान का कार्य अध्यापन की प्रभावकारिता तथा छात्रों की उपलब्धि का मापन करना है।
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