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न्यू जर्नलिज्म या वीडियो पत्रकारिता
न्यू जर्नलिज्म या वीडियो पत्रकारिता- अमेरिका में न्यू जर्नलिज्म आंदोलन तभी प्रारम्भ हुआ था जब वहाँ टी०वी० की धूम मची थी टी०बी० की शुरुआत वहाँ 1940 में हुई थी उसके तेजी से फैलने का दौर छठा-सातवां दशक ही रहा। पत्रकारिता में बार-बार नए-नए आन्दोलन शुरू हुए। हर बार जो बदलाव आया, उसे नई धारा का किताब मिला। लेकिन साठ-सत्ता के दशक में नई पत्रकारिता का जो आन्दोलन शुरू हुआ था, उसका नाम ही न्यू जर्नलिज्म’ पड़ गया। जैसे भारतीय साहित्य में नई कविता का आन्दोलन चला था और उस युग को अब इसी नाम से जाना जाने लगा। न्यू जर्नलिज्म ने इस दृश्य-श्रव्य संचार माध्यम को यह सुविधा दी कि उसमें समाचार वाचक अपनी बात किसी टिप्पणीकार की तरह कहे अर्थात् वह हिन्दुस्तानी दूरदर्शनी समाचार वाचक की तरह तटस्थ और भावहीन नहीं दिखे बल्कि अपने चेहरे से, अपनी भंगिमा से, अपनी आवाज के चढ़ाव-उतराव से, भाषा और पृष्ठभूमि में दिखाये जाने वाले दृश्यों से भी कुल अतिरिक्त प्रेषित करता हुआ मालूम हो। वह श्रोता से बातचीत करता हुआ लगे।
अमेरिका में इस न्यू जर्नलिज्म को पुराना पड़े दो दशक हो गए। वहाँ की पत्रकारिता ने इसे कबाड़ में डाल दिया है। अब वहाँ नई तकनीक और परम्पराएँ विकसित हो रही हैं। अमेरिका के इसी कूड़ेदान से निकालकर वही न्यू जर्नलिज्म इन दिनों वीडियों पत्रकारिता के नाम से अपने देश में प्रचारित किया जा रहा है।
भारत में वीडियो पत्र-पत्रिकाओं की धूम मची हुई है। सम्पूर्ण बुद्धिजीवी जगत में वीडियो क्रांति देखी जा रही है। इण्डियन बुक हाउस ने वीडियो कैसेट पर एक पत्रिका ‘यूवी वीडियो’ का प्रकाशन सन् 1988 ई० के मार्च महीने में प्रारम्भ किया। ‘इन साइट’ और ‘न्यूज ट्रैक’ जैसी अंग्रेजी वीडियो समाचार पत्रिकाओं के बाद अब हिन्दी बाजार में भी वीडियों पत्रकारिता का जन्म हो चुका है। ‘कालचक्र’ नाम से यह इस प्रकार का प्रथम प्रयास है। इसके निर्माण से विनीत नारायण ने हिन्दी वीडियो पत्रकारिता के क्षेत्र में हलचल मचा दी है। गरबारे फिल्मल की कैसेट पत्रिका ‘लहरे दर्शकों में लोकप्रिय हुई। प्रतिमाह इन पत्रिकाओं के लगभग बीस हजार कैसेट बाजार में आते हैं। फिल्म्स वीडियों पत्रिकाओं की सफलता से उत्प्रेरित होकर मद्रास की गणभूमि विजन’ ने रामायण, महाभारत, वेद, पुराण से सम्बन्धित गण भूमि वीडियो’ पत्रिका निकाली है जिससे आध्यामिक जगत उपकरण हो रहा है। ‘अमर चित्रकथा’ टिकल जैसी बाल पत्रिकाओं के सम्पादक अनन्त पैने अपने आडियो कैसेट की दुनिया में कदम रखा है। इस श्रृंखला का नाम है- ‘टिंकल टाइम विद अंकल पै।’ इस प्रकार बच्चों के स्वस्थ मनोरंजन हेतु अनोखे कैसेट तैयार हो रहे हैं।
समाचार पत्र पठनीय होते हैं, आकाशवाणी श्रव्य, दूरदर्शन तथा वी०सी० आर० श्रव्य, दृश्य एवं पठनीय तीनों हो जाते हैं। इन्हीं तीनों विशेषताओं के कारण आजकल कैसेट्स की प्रमुखता दिख पड़ रही है। क्षेत्रीय भाषाओं में भी कैसेट तैयार हुए हैं यथा- मलयालम, चित्रांगली तमिल पुमलई ।
वीडियो पत्रकारिता का बाजार सन् 1988 के वर्षों में न के बराबर था। पर अयोध्या, मंडल, और ‘मेहम’ कांड के परिणामस्वरूप इस पत्रिका का बाजार काफी प्रगति पर रहा।
27 फरवरी, 1992 के दैनिक पत्र नवभारत टाइम्स में पिछले साल का आदमी’ शीर्षक से वीडियो पत्रकारिता की समीक्षा की गई थी। ‘टाइम’ पत्रिका न ‘टेड टनर’ को 1991 का आदमी चुना। ‘टर्नर’ सी० एन० एन० के मालिक है। सी०एन०एन० जिसने खाड़ी युद्ध का आँखों देखा हाल कैद किया था।
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