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पर्यावरण किसे कहते है
पर्यावरण शब्द अंग्रे़जी भाषा कें Environment से बना है और Environment शब्द Environner से मिलकर बना है जोकि एक फ्रेंच भाषा का शब्द है। पर्यावरण का अर्थ पृथ्वी पर पाए जाने वाले भूमि, जल, वायु, पेड़-पौधे और जीव-जन्तुओं का समूह जो हमारे चारो ओर हैं, सामूहिक मे पर्यावरण कहलाते हैं।
परिभाषा (DEFINITION)
पर्यावरण को सभी जैविक (सजीव) तथा अजैव (निर्जीव) कारकों के कुल योग के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो किसी जीव को घेरे रहते हैं तथा उस पर प्रभाव डालते हैं।
अथवा
उस क्षेत्र की भौतिक, रासायनिक तथा जैविक स्थितियों के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसमें कोई जीव रहता है।
प्रतिवर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है|
जनसंख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। 90 करोड़ की जनसंख्या लगभग 2.11 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से बढ़ रही है। एक करोड़ सत्तर लाख व्यक्तियों के प्रतिवर्ष बढ़ जाने से प्राकृतिक संसाधनों पर काफी दबाव पड़ता है। यह विकास की उपलब्धियों को भी कम कर देता है। विश्वभर के देशों के बीच विकास की चूहा दौड़ स्वयं मानव के स्वास्थ्य को हानि पहुँचा रही है। कृषि तथा उद्योग में प्रगति किसी देश के विकास के सामान्य मानक माने जाते हैं। इसे प्राप्त करने के उन्माद के परिणामस्वरूप प्रत्येक प्राकृतिक संसाधन का असीमित दोहन किया जाता है। मानव द्वारा प्रकृति के असीमित शोषण ने सजीव तथा निर्जीव घटकों के बीच पर्यावरणीय सन्तुलन को बिगाड़ दिया है। मानव द्वारा उत्पन्न की गई प्रतिकूल परिस्थितियों ने न सिर्फ स्वयं मानव की बल्कि अन्य सजीव जीवों की उत्तरजीविता के लिए भी खतरा पैदा कर दिया है। जनसंख्या की असीमित वृद्धि तथा विकास ने कुछ पर्यावरणीय चुनौतियाँ उत्पन्न कर दी हैं जो बहुशाखीय प्रकृति की हैं।
ये हैं-
(a) विश्व के तापमान में वृद्धि (Global warming)
(b) ओजोन परत का घटना (Ozone depletion)
(c) अम्ल वर्षा (Acid rain)
(d) समुद्री प्रदूषण (Marine pollution)
(e) जल प्रदूषण तथा जल प्रबन्धन (Water pollution & water management)
(f) थल अवकर्षण (Land degradation)
(g) वायु प्रदूषण (Air pollution)
(h) ऊर्जा संकट (Energy crisis)
(i) पारिस्थितिक तन्त्र विविधता (Ecosystem diversity) आदि।
उद्देश्य/कार्यक्षेत्र (SCOPE)
पर्यावरण शिक्षा पर्यावरण के माध्यम से, उसके बारे में तथा उसके लिए शिक्षा है। यह शिक्षा पर्यावरण को अधिगम (learning) के एक माध्यम के रूप में प्रयोग करने से आरम्भ होती है और इसमें वह सभी कुछ सम्मिलित है जो कालिदास, वर्डसवर्थ तथा अन्य ने प्रकृति की प्रशंसा में कहा था। साथ ही इसमें वह सब भी आता है जो वैज्ञानिकों तथा बुद्धिजीवियों ने हमारे भौतिक तथा सामाजिक पर्यावरण के बारे में पता लगाया है और अन्त में इसमें वे भी सम्मिलित हैं जो हम अपने संसाधनों के संरक्षण के लिए तथा अपने आसपास के परिवेश के सौन्दर्यकरण के लिए कहते और करते हैं जिसमें शहरों तथा देश की योजना भी सम्मिलित हैं।
महत्त्व (IMPORTANCE)
पर्यावरण की शिक्षा, शिक्षा का माध्यम तथा प्रक्रिया दोनों है। इसमें मानव का अपने प्राकृतिक तथा सामाजिक तथा साथ ही स्वयं द्वारा निर्मित पर्यावरण के साथ सम्बन्ध सम्मिलित है। इसमें सम्पूर्ण जीवमण्डल (biosphere) के साथ जनसंख्या, औद्योगीकरण, प्रदूषण, संसाधन नियतन (allocation) तथा अवक्षय (depletion), संरक्षण, परिवहन, तकनीक, ऊर्जा तथा शहरी और ग्रामीण योजना के सम्बन्ध भी सम्मिलित हैं। इसको देखते हुए हम कह सकते हैं कि पर्यावरण के सम्बन्धों की प्रकृति बहुशाखीय है। पर्यावरण शिक्षा का सबसे महत्वपूर्ण भाग हम सभी के द्वारा, सभी प्राणी जो इस पृथ्वी ग्रह पर रहते हैं, के द्वारा यह वचनबद्धता है कि हम वायु, जल, थल तथा भौतिक और सामाजिक पर्यावरण के पतन को रोकें जिसमें लोगों के बीच परस्पर सम्बन्ध भी सम्मिलित हैं जिससे नाभिकीय युद्ध (nuclear war), रासायनिक युद्ध या मानव द्वारा उत्पन्न कोई और विनाशकारी शक्ति विश्व को नष्ट न कर पाए। पर्यावरण शिक्षा मानव को पर्यावरण की सम्पूर्ण जानकारी देने के साथ ही हमें अपने निकट तथा दूरस्थ परिवेश को अच्छा बनाने की विधियों तथा उनके कराती है।
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