अनुक्रम (Contents)
पैटर्न के निर्देश चिन्ह
पैटर्न के निर्देश चिन्ह- पैटन में सिलाई के निमित्त कुछ चिन्ह तथा संकेत बनाए जाते हैं। इन संकेतों पर ही परिधान की फिटिंग निर्भर करती है। ये निर्देश चिन्ह निम्न प्रकार हैं-
1. डार्ट (Dart)- ब्लाउज, फ्रॉक, लेडीज कुरता, शर्ट आदि में फिटिंग के संकेत बनाए जाते हैं। पैटर्न में डार्ट को काट दिया जाता है। वस्त्र पर डार्ट का निशान बनाते समय पेंसिल या मार्किंग ह्वील द्वारा परफोरेशन के संकेत बना लिए जाते हैं। वस्त्र पर डार्ट को काटा नहीं जाता है, जबकि पैटर्न पर यह भाग कटा तथा खुला हुआ होता है।
2. नॉचेज (Notches)- दर्जियों की भाषा में इन्हें ‘खटका’ कहते हैं। परिधान के विभिन्न भागों; जैसे-कंधा, आस्तीन, बगल, कमर, कॉलर, पट्टियाँ आदि को यथास्थान या सही (Accurate) स्थान पर जोड़ने के निमित्त कपड़े पर छोटे-छोटे काट या नॉचेज बनाए जाते हैं। नॉचेज मिलाकर सिलाई करने से आपस में जुड़ने वाले कपड़ों के भागों में एक-सा तनाव रहता है और अन्त में दोनों किनारे एक से जुड़ जाते हैं।
3. निर्देश रेखाएँ (Guide lines)- मध्य भाग, मोड़, छाती का चौथाई भाग, कमर, हिप, घुटना आदि को दर्शाने के लिए पैटर्न पर निर्देश रेखाएँ बनाई जाती हैं।
4. छिद्रण संकेत (Perforation marks)- पैटर्न में बने छोटे-छोटे छिद्रों द्वारा भी सिलाई सम्बन्धी संकेत दिए जाते हैं। इन्हें अंग्रेजी में ‘परफोरेशन’ कहते हैं। परिधान की सही दिशा, काज, बटन आदि के निमित्त इन संकेतों का प्रयोग होता है। इन चिन्हों को पेन्सिल या टेलर्स चॉक की सहायता से कपड़े पर उतारा जाता है।
पेपर पैटर्न के लाभ
(1) वस्त्र काटने से पूर्व पेपर पैटर्न बना लेने से काटने में त्रुटियों की सम्भावना नहीं रहती।
(2) पेपर पैटर्न द्वारा यह अनुमान लगाया जा सकता है कि किसी भी वस्त्र के निर्माण में कितना कपड़ा चाहिए।
(3) ऍपर पैटर्न में गलती होने से सुधार सम्भव होता है। इस प्रकार कपड़ा व्यर्थ होने से बच जाता है।
(4) पेपर पैटर्न कागज का होने के कारण सस्ता बनता है तथा सरलतापूर्वक एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है।
पेपर पैटर्न तैयार करने के नियम
पेपर पैटर्न तैयार करते समय निम्नलिखित बातों की ओर ध्यान देना चाहिए-
(1) पेपर पैटर्न बनाते समय व्यक्ति का सही नाप लेना चाहिए वह पूरे साइज में बनाना चाहिए।
(2) पेपर पैटर्न काटने से पहले वस्त्र का डिजाइन, स्टाइल निश्चित कर लेना चाहिए।
(3) काटने से पहले ड्राफ्टिंग, नाप, सन्तुलन आदि की जाँच कर लेनी चाहिए।
(4) पेपर पैटर्न सदैव आधे भाग के काटे जाते हैं पूरे भाग के नहीं। अतः कपड़े को दोहरा कर लेना चाहिए।
(5) तैयार करते समय पेंसिल का ही उपयोग करना चाहिए।
परिधान की सही कटाई और आकर्षक फिटिंग का रहस्य पैटर्न होता है। वस्त्र पर ड्राफ्टिंग के पश्चात् पैटर्न को बड़े लिफाफों में भली-भाँति सहेजकर रखना चाहिए। पैटर्न को कम से कम मोड़ कर रखा जाना आवश्यक है, अन्यथा वे फट या टूट जाएँगे। लम्बे भागों पैटर्न को लम्बान में मोड़े। कटाई के निमित्त पैटर्न को वस्त्र पर बिछाते या फैलाते समय यदि आप उनमें सिलवटें या मोड़ के गहरे निशान पाएँ तो पहले गर्म इस्तरी द्वारा या भारी- बड़े रजिस्टर द्वारा उन्हें दबाकर सीधा कर लें, अन्यथा इसका प्रभाव वस्त्र के नाप पर पड़ेगा। पैटर्न को रखकर पेंसिल या चॉक द्वारा वस्त्र पर निशान लगाएँ तथा रेखाएँ खींचें। पैटर्न को कपड़े पर रखकर कैंची नहीं चलाएँ। इससे कागज या कार्ड बोर्ड के कटने का भय रहता है और पैटर्न नष्ट हो जाता है। समय के साथ शरीर के वास्तविक नापों में परिवर्तन आते रहते हैं। ऐसी स्थिति में नए पैटर्न बनाकर वस्त्र की कटाई करनी चाहिए। अंदाज से पैटर्न के नाप में घटाना या बढ़ाना आपकी सिलाई- दक्षता को पराकाष्ठा प्रदान नहीं कर पाएगा।
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