बाल अपराध की अवधारणा
जो बालक समाज विराधी कार्य को करता है वह बाल-अपराधी कहलाता है। सामाजिक दृष्टि वह बालक है जो समाज की रीतियों, नीतियों परम्पराओं और प्रथाओं की उपेक्षा करता है, बाल अपराधी कहलाता है। बाल अपराधी की परिभाषा निम्न प्रकार है-
1. राष्ट्रीय प्रोवेशन समिति- संयुक्त राज्य अमेरिका की राष्ट्रीय प्रोवेशन समिति (National) Probation Association of United States of America) ने बाल-अपराधी को निम्न रूप परिभाषित किया है –
(i) वह बालक जिसने राज्य के किसी कानून या धारा अथवा राज्य के उपविभाग के किसी कानून को तोड़ा हो,
(ii) वह बालक जो आवारा होने के कारण अथवा अनाज्ञाकारी होने के कारण अपने माता-पिता अथवा संरक्षक आदि के नियन्त्रण के बाहर हो,
(iii) वह बालक जो आदतन रूप से स्कूल या घर से भागने वाला हो, और
(iv) वह बालक जो अपने को आदतन रूप से इतना बिगाड़ता है कि अपने या दूसरे के स्वास्थ अथवा नैतिकता को खतरा अथवा चोट पहुँचाता है।
2. बाल न्यायालय अधिनियम- न्यूयार्क शहर के बाल न्यायालय अधिनियम, 1933 के अनुसार बाल-अपराधी वह बालक है.
(i) जिसकी उम्र 7 वर्ष से अधिक और 16 वर्ष से कम है.
(ii) जो संयुक्त राज्य अमेरिका के किसी कानून का उल्लंघन करता है,
(iii) जो सुधार से परे, उदण्ड, आदतन अनाज्ञाकारी और अपने माता-पिता, संरक्षक या कानूनी अधिकारी के नियन्त्रण से बाहर हो,
(iv) जो आदतन रूप से स्कूल से भागता हो,
(v) जो बिना उचित कारण के और अपने माता-पिता, संरक्षक अथवा रक्षक की अनुमति बिना अपना घर अथवा निवास स्थान छोड़ता है,
(vi) जो किसी ऐसे व्यवसाय में संलग्न रहता है जिसमें कानून का उल्लंघन होता है,
(vii) जो सार्वजनिक स्थानों पर सविनय प्रार्थना करता है और भिक्षा तथा पैसा माँगता है,
(viii) जो अपने को अनैतिक अथवा दुश्चरित्र व्यक्तियों के साथ रखता है
(ix) जो ऐसी जगहों में विचरण करता है, जहाँ प्रवेश करने से कानून का उल्लंघन होता है
(x) जो आदतन रूप से अपवित्र और अश्लील भाषा का प्रयोग करता है,
(xi) जो जान-बुझकर इस प्रकार का व्यवहार करता है जिससे अपने व दूसरे के स्वास्थ्य अथवा नैतिकता को चोट पहुँचाती है।
3. ससमैन- ससमैन ने बाल अपराधी की निम्न विशेषताएँ बताई हैं –
(i) जो किसी कानून या धारा का उल्लंघन करें,
(ii) जो आदतन रूप से स्कूल से भागता है,
(iii) जो जान-बुझकर चोरों, दुश्चरित्रों तथा अनैतिक व्यक्तियों की संगति करता है
(iv) जो सुधार से परे है,
(v) जो अपने संरक्षकों अथवा माता-पिता के नियन्त्रण से बाहर है,
(vi) जो सुरती या अपराधी प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करता है
(vii) जो अपने को इतना बिगाड़ता है कि अपने या दूसरों को नुकसान पहुंचाता है या चोट पहुँचाता है।
(viii) जो ऐसे लोगों के घर जाता है जिनकी समाज में निम्न प्रतिष्ठा है,
(ix) जो सार्वजनिक स्थानों में आदतन रूप से नीच, फूहड तथा गँवार भाषा का प्रयोग करता है,
(x) जो आदतन रूप से रेलवे स्टेशन पर घूमता रहता है,
(xi) जो सार्वजनिक स्थानों या स्कूलों में अनैतिक व्यवहार करता है,
(xii) जो अपने को अवैध व्यवसायों में संलग्न करता है,
(xii) जो ऐसी स्थिति में रहता है या ऐसा व्यवहार करता है जिससे स्वयं या दूसरे को नुकसान चोट पहुँचती है,
(xiv) जो सिगरेट पीता है या तम्बाकू का किसी भी रूप में प्रयोग करता है,
(xv) जो ऐसी जगहों में जाता है, जहाँ जाने से कानून का उल्लंघन होता है,
(xvi) जो उन जगहों में जाता है जहाँ जाने से वयस्क व्यक्तियों को दण्ड दिया जाता
(xvii) जो नशीली दवाइयों का सेवन करता है,
(xviii) जो दुर्व्यवहार करता है,
(xix) जो भीख माँगता है,
(xx) जो शराब पीता है,
(xxi) जो उन जगहों में पाया जाता है, जिनका प्रयोग अनैतिक कार्यों के लिए किया जाता है,
(xxii) जो शराब के नशे में या बिना नशे में खतरनाक रूप से मोटरगाड़ी चलाता है,
(xxiii) जो यौन अनैतिकताओं में भाग लेता है,
(xxiv) जो बिना अनुमति के और कानून का उल्लंघन करके विवाह करता है,
(xxv) जो अवारा है,
(xxvi) जो टालमटोल करता है,
(xxvii) जो सँकरी गली या फुटपाथों पर सोता है, और
(xxviii) जो स्कूल से भागता है और आवारागर्दी करता है।
इसी भी पढ़ें…
- अपराध की अवधारणा | अपराध की अवधारणा वैधानिक दृष्टि | अपराध की अवधारणा सामाजिक दृष्टि
- अपराध के प्रमुख सिद्धान्त | Apradh ke Siddhant
इसी भी पढ़ें…