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राजनीतिक आधुनिकीकरण का अर्थ व परिभाषा
समाजों में सामाजिक संचालन और आर्थिक विकास के परिणामस्वरूप राजनीतिक परिवर्तनों को सामान्तया “राजनीतिक आधुनिकीकरण” का नाम दिया है।
कोलमैन के अनुसार– “राजनीतिक आधुनिकीकरण” संक्रान्ति कालीन समाजों को राजनीतिक व्यवस्थाओं में होने वाले संरचनात्मक तथा सांस्कृतिक परिवर्तनों का समूह है। राजनीतिक-आधुनिकीकरण का सम्बन्ध ऐसी राजनीतिक व्यवस्था के विकास से है जो इतनी. लचीली हो कि हर प्रकार की मांग को प्रस्तुत होने के अवसर प्रदान कर सके, किन्तु उसमें इतनी शक्ति सम्पन्नता भी हो कि हर प्रकार की मांग का समुचित ढंग से मुकाबला कर सके और अनुचित मांग को दृढ़ता के साथ ठुकरा देने की क्षमता रखने वाले राजनीतिक व्यवस्था को राजनीतिक दृष्टि से आधुनिक व्यवस्था कहा जाता है।
राजनीतिक आधुनिकीकरण की संकल्पना उस राजनीतिक परिवर्तन की स्थिति की ओर निर्देश करती हैं जो विषेषकर आधुनिक काल में यूरोपपीय देशों में और फिर हाल के वर्षों में विश्व के अन्य देशों में हुआ है। राजनीतिक क्षेत्रों में इस परिवर्तन की इस शब्द की सम्बन्धित विशेषताओं के संलक्षणों के रूप में अभिव्यक्त किया जा सकता है। इस प्रकार जैसा लूसियन पाई ने सुझाव दिया है कि संलक्षण में निम्नलिखित तत्व शामिल हो सकते हैं-
(1) समता के प्रति सामान्य दृष्टिकोण जो राजनीति में भाग लेने के अवसरों की समता और सरकारी पदों के लिये प्रतियोगिता की अनुमति प्रदान करना है।
(2) नीति निर्माण करने और उन्हें कार्यान्वित करने के लिये राजनीतिक प्रणाली की क्षमता।
(3) राजनीतिक कार्यों का विभेदन और विशेषीकरण, यद्यपि उनके समग्र एकीकरण की कीमत पर नहीं।
(4) राजनीतिक प्रणाली का लौकिकीकरण धार्मिक और अन्य प्रमाणों से राजनीतिक का पृथक्करण ।
राजनीतिक आधुनिकीकरण की विशेषतायें
आमण्ड पावेल के अनुसार राजनीतिक आधुनिकीकरण की विशेषतायें निम्नलिखित है-
(1) राज्य की लौकिक राजनीतिक सत्ता की वृद्धि तथा शक्ति पर बढ़ता हुआ केन्द्रीयकरण ।
(2) विशिष्ट एवं स्वशासी उपव्यवस्थाओं, संरचनाओं एवं व्यक्ति कार्यों की अधिकाधिक रचना।
(3) राजनीति में नागरिकों का बढ़ता हुआ सहभाग।
(4) नवीन सामाजिक संगठन जिसमें पुरानी निष्ठायें मिटती जाती हैं और व्यक्ति शिक्षा, निवास नगर, व्यवसाय के आधुनिक प्रतीकों के प्रति आकर्षित होता जाता है।
(5) हित समूहों, राजनीतिक दलों, प्रेस सम्मेलनों आदि के माध्यम से राजनीतिक मांगों तथा गतिविधियों का हित रूपान्तरण ।
संक्षेप में राजनीतिक आधुनिकीकरण के प्रमुख लक्षण निम्नलिखित हैं-
(1) राजनीतिक आधुनिकीकरण का एक महत्वपूर्ण लक्षण यह है कि मानव जीवन की गतिविधियों से सम्बन्धित सभी प्रकार की शक्तियों का राज्य या राजनीतिक व्यवस्था में केन्द्रीकरण होने लगता है।
(2) राजनीतिक आधुनिकीकरण के लिये सरकार की जनता तक पहुँच वृद्धिपरक होनी चाहिए। जनता व सरकर की हर स्तर पर सम्पर्कता का अर्थ राज्य का समाज में अधिकाधिक प्रवेश होता है। यह तभी सम्भव होता है जब सरकारें सकारात्मक कार्यों के निष्पादन में आगे बढ़े।
(3) आधुनिक राजनीतिक समाजों में केन्द्र और परिसर की अन्तःक्रिया बहुत बढ़ जाती है। राजनीतिक दल हित और दबाव समूह नौकरशाही एवं निर्वचनों के माध्यम से यह सम्पर्कता बढ़ती है तथा संचार के साधनों द्वारा इसमें निरन्तरता बनी रहती है।
(4) आधुनिक राजनीतिक समाजों में धार्मिक, परम्परागत, पारिवारिक और जातीय सत्ताओं का स्थान एक लौकिकीकृत और राष्ट्रीय राजनीतिक सत्ता के द्वारा ले लिया जाता है। सत्ता के परम्परागत स्रोतों के निर्बल होने और उसके स्थान पर राष्ट्रीय सत्ता की स्थापना राजनीतिक आधुनिकीकरण की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है।
(5) आधुनिक राजनीतिक व्यवस्थाओं में राजनीतिक संस्थाओं का विभिन्नीकरण एवं विशेषीकरण होना अनिवार्य है। विभिन्नीकरण से व्यावहारिक बनाना सम्भव है अन्यथा विशेषीकरण होने पर भी संस्थागत व्यवस्थाओं को पृथक-पृथक नहीं किया गया तो यह व्यवहार में नहीं आ सकेगा। विकासशील देशों में इसी कठिनाई का सामना हर देश को करना पड़ रहा है।
(6) राजनीतिक आधुनिकीकरण के लिए संस्थात्मक और प्रतिक्रियात्मक परिवर्तन ही पर्याप्त नहीं है। संस्थाओं और प्रक्रियाओं में जन सहभागिता कितनी है यह भी राजनीतिक आधुनिकीकरण का एक मापदण्ड है तीसरी दुनिया के देशों में जनसाधारण को राजनीति में सहभागी होने के साधन व अवसर तो उपलब्ध है किन्तु लोगों के राजनीति के प्रति उदासीन रहने के कारण उसमें जनसहभागिता नहीं बढ़ती है इसके लिये जनसंचालन आवश्यक है केवल सहभागिता की पर्याप्त नहीं है।
(7) राजनीतिक आधुनिकीकरण वाली राजनीतिक व्यवस्थाओं में व्यक्ति की अभिवृत्तियों में परिवर्तन आना अधिक महत्व रखता है जब तक मनुष्य के विचारों और दृष्टिकोण में परिवर्तन नहीं आता है तब तक राजनीतिक आधुनिकीकरण संरचनात्मक और प्रतिक्रियात्मक व्यवस्थायें औपचारिक ही बनी रहती है जब तक व्यक्ति राष्ट्रीय अभिज्ञान या राष्ट्रीयता के विचार से युक्त नहीं होगे तब तक राज्य और राजनीतिक व्यवस्था में उनको अपनापन नहीं लगेगा।
(8) राजनीतिक व्यवस्थाओं को केवल नौकरशाही के वृहत्तर आकार के आधार पर ही आधुनिक नहीं कहा जाता है वास्तव में आधुनिकीकरण के लिये नौकरशाही के आकार बढ़ाने से कहीं अधिक महत्वपूर्ण उसके आधार का व्यापकपन है व्यापक आधार का अर्थ है कि नौकरशाही के कर्मचारियों में सारे समाज में से भर्ती होने की केवल प्रक्रियात्मक व्यवस्था ही नहीं हो अपितु
प्रशासक वास्तव में समाज के सभी वर्गों से आ सके। राजनीतिक आधुनिकीकरण के लक्षणों को संक्षेप में हम तीन भागों में बांट सकते हैं
(1) बुद्धिसंगत सत्ता
(2) विभिन्नीकृत राजनीतिक संरचनायें
(3) राजनीतिक सहभागिता
वास्तव में राजनीतिक आधुनिकीकरण में सत्ता की बुद्धिसंगतता राजनीतिक संरचनाओं का विभिन्नीकरण और राजनीतिक समाज में सत्ता का आधार तर्कसंगत है तो इससे अपने आप ही राजनीतिक संरचनाओं का विभिन्नीकरण हो जायेगा और व्यवस्था में जनसहभागिता बढ़ जायेगी और राजनीतिक व्यवस्था आधुनिक मानी जायेगी।
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