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राजनीतिक सामाजीकरण की अवधारणा
राजनीतिक व्यवहार पर जिन विभिन्न सामाजिक क्रियाओं प्रतिक्रियाओं का प्रभाव पड़ता है, उनसे राजनीतिक सामाजीकरण का जन्म होता है। हीमैन ने लिखा भी है— “राजनीतिक सामाजी-करण का परिणाम है।” राजनीतिक सामाजीकणको हम सामाजीकरण की प्रक्रिया का एक अंग मान सकते हैं। राजनीतिक सामाजीकरण द्वारा व्यक्ति अपनी और दूसरे लोगों की राजनीतिक भूमिकाओं के बारे में समुचित ज्ञान प्राप्त करता है, उसके समक्ष एक संज्ञानात्मक मानचित्र तैयार हो जाता है जिसमें चयन और मूल्यांकन करने की उसकी क्षमता का विकास होता है।
राजनीतिक सामाजीकरण का अर्थ एवं परिभाषाएँ
सामाजीकरण का अभिप्राय उस प्रक्रिया से है जिसके द्वारा एक समाज के लोग अपने मूल्यों, विश्वासों, आदर्शों तथा अपनी संस्कृति के लक्ष्यों के विषय में सीखते हैं। इसी प्रकार राजनैतिक सामाजिकरण की वह प्रक्रिया है। जिसके द्वारा एक राजनीतिक व्यवस्था के लोग राजनीतिक वस्तुओं तथा गतिविधियों के प्रति अपने झुकावों को प्राप्त करते हैं, सीखते है। इस प्रक्रिया में राजनीतिक संस्कृति एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी में हस्तान्तरित होती है। इस प्रकार स्पष्ट है कि राजनीतिक सामाजीकरण की प्रक्रिया राजनीतिक पहलू का प्रतिनिधित्व करती है।
राजनैतिक सामाजीकरण की भिन्न-भिन्न राजनीतिशास्त्रियों ने भिन्न-भिन्न परिभाषाएँ दी हैं। कुछ प्रमुख परिभाषाएँ निम्न प्रकार है-
1. आमण्ड तथा पावेल के अनुसार, “राजनैतिक सामाजीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा राजनीतिक संस्कृति को बनाए रखा तथा परिवर्तित किया जाता है तथा को राजनीति में दीक्षित करते हुए राजनीतिक बातों के बारे में उनके विचारों का निर्माण किया जाता है।”
2. डेविड ईस्टन के शब्दों में, “राजनीतिक सामाजीकरण से अभिप्राय उन विकासवादी प्रक्रियाओं से है जिनके द्वारा व्यक्ति राजनीतिक झुकावों तथा व्यवहार स्वरूपों को ग्रहण करते हैं। “
3. डेनिस कवाना के मत में, “राजनीतिक सामाजीकरण के नाम का प्रयोग उस प्रक्रिया को जतलाने के लिए किया जाता है जिसके द्वारा व्यक्ति राजनीतिक की ओर झुकाव सीखता तथा विकसित करता है।”
4. रॉबर्ट लेविन के अनुसार, ‘राजनीतिक सामाजीकरण वह साधन है जिसके माध्यम से व्यक्ति राजनीतिक व्यवस्था में सहभागिता के लिए उचित उद्देश्यों, आदतों तथा मूल्यों को प्राप्त करते हैं।’
5. हरबर्ट एच0 हायमन के शब्दों में, “राजनैतिक सामाजीकरण एक निरन्तर ज्ञान प्राप्ति की प्रक्रिया है जिसमें भावात्मक ज्ञान तथा प्रकट राजनीतिक शिक्षा प्रदान करना दोनों सम्मिलित है तथा जिसमें प्रारम्भिक परिवार के अनुभव ही नहीं बल्कि व्यक्ति के सम्पूर्ण कार्य तथा अनुभव सम्मिलित होते हैं। यह राजनैतिक संस्कृति से जुड़ने की प्रक्रिया है।”
6. जेफरे के0 रॉबटर्स के अनुसार, “एक तरफ तो यह वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से व्यक्ति राजनीतिक प्रक्रियाओं के प्रति व्यवहार और झुकाव प्राप्त करते है और दूसरी ओर इसके माध्यम से समान राजनीतिक आदर्शों तथा विश्वासों को एक पीढ़ी से अगली पीढ़ी तक पहुँचाया जाता है। “
7. पीटर एच0 मर्कल के शब्दों में, ‘राजनीतिक सामाजीकरण राजनीतिक व्यवस्था के द्वारा व्यवहार प्रतिमान और राजनीतिक अभिवृत्तियाँ प्राप्त करना है।’
8. एलेन बाल के अनुसार, ‘राजनीतिक व्यवस्था के सम्बन्ध में कुछ धारणाओं का होना और उनका विकास तथा व्यवस्था से सम्बन्धित विश्वास ही राजनीतिक सामाजी-करण है।’
राजनीतिक सामाजीकरण की विशेषताएँ
उपर्युक्त परिभाषाओं के विश्लेषण के आधार पर राजनीतिक सामाजीकरण की विशेषताओं को स्पष्ट किया गया है। यथा-
1. अनुभव से सीखने की प्रक्रिया- राजनीतिक सामाजीकरण मूलतः अनुभव से सीखने की एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्तियों को राजनीतिक व्यवस्था से सक्रिय सदस्य बनने के लिए तैयार और प्रशिक्षित किया जाता है। जेबरोल बी० मैनहीम के अनुसार, राजनीतिक सामाजीकरण सामान्य शिक्षण प्रशिक्षण प्रक्रिया की एक उपक्रिया है जो उस प्रक्रिया में से केवल उन्हीं तत्वों को निकालती है। जिनका सम्बन्ध राजनीति से हो। सीखने की यह प्रक्रिया औपचारिक, अनौपचारिक नियोजन तथा अनियोजित किसी भी प्रकार की हो सकती है।
2. राजनीतिक जीवन से सम्बन्धित- राजनीतिक सामाजीकरण में राजनीतिक जीवन से सम्बन्धित समस्त अध्ययन शामिल किय जाता है।
3. जीवनपर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया- राजनीतिक सामाजीकरण जीवन भर सीखने की एक प्रक्रिया है, लेकिन इसकी गति तथा भूमिका समय-समय पर बदलती रहती है। यह प्रक्रिया एक व्यक्ति के साथ आजीवन चलती है।
4. समूहों के व्यवहार से सम्बन्धित प्रक्रिया – सामाजीकरण की प्रक्रिया का सम्बन्ध व्यक्ति के व्यवहार तक की सीमित नहीं है। बल्कि उन समूहों के व्यवहार से भी है जिनका सम्बन्ध व्यक्ति से होता है। जेवरोल बी० मैनहीम महोदय ने इसी तथ्य को स्पष्ट करते हुए लिखा है कि ‘राजनीतिक सामाजीकरण का परिणाम समूहीकरण तथा अन्तः क्रिया ।’
5. ‘राजनीतिक संस्कृति’ को जोड़ने वाली प्रक्रिया- ‘राजनैतिक सामाजीकरण की प्रक्रिया व्यक्ति को ‘राजनैतिक संस्कृति से जोड़ती है। इसके माध्यम से एक व्यक्ति राजनीतिक संस्कृति को ग्रहण करता है। राजनीतिक संस्कृति के मूल्यों तथा विश्वासों को इस प्रक्रिया के द्वारा एक पीढ़ी से अलग पीढ़ी तक ले जाया जाता है।
6. राजनीतिक संस्कृति से घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित – ‘राजनीतिक सामाजीकरण की प्रक्रिया के द्वारा राजनीतिक संस्कृति को कायम रखा जाता है और उसे परिवर्तित भी किया जाता है। राजनीतिक वस्तुओं तथा क्रियाओं के प्रति मूल्यों, विश्वासों और झुकावों को इसी के द्वारा परिवर्तित किया जाता है।
7. राजनैतिक सहभागिता की पूर्व दशा- राजनीतिक सामाजीकरण राजनैतिक सहभागिता के लिए व्यक्ति को आवश्यक ज्ञान तथा प्रेरणा प्रदान करती है। राजनीतिक रूप से सामाजीकृत व्यक्ति ही राजनीतिक व्यवस्था में विभिन्न भूमिकाएँ निभाने के लिए आगे आता है। अतः स्पष्ट है कि व्यक्ति की राजनैतिक सहभागिता की यह पूर्व दशा है।
इस प्रकार स्पष्ट है कि ‘राजनीतिक सामाजीकरण’ की प्रक्रिया व्यापक है, इसमें वे सभी प्रक्रियाएँ शामिल होती है जिनका राजनैतिक प्रशिक्षण से थोड़ा-बहुत भी सम्बन्ध हो ।
राजनीतिक सामाजीकरण की प्रकृति (Nature of Political Socialization)
राजनीतिक सामाजीकरण की प्रकृति ‘व्यक्ति का राजनीतिक, उसकी राजनीतिक सहभागिता और राजनीतिक भर्ती से कहीं अधिक व्यापक संकल्पना है। इसमें व्यक्ति की राजनीतिक अभिवृत्तियों राजनीति सम्बन्धी उनके विश्वासों व मान्यताओं का निर्माण और इनके आधार पर उसका राजनीतिक अभिमुखीकरण सम्मिलित रहता है। यह वह प्रक्रिया है जिससे यह मूल्य, मान्यताएँ, आस्थाएँ और विचार न केवल बनते हैं, वरन् एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तान्तरित होते हैं। इस प्रक्रिया से व्यक्ति अपने समाज, राष्ट्र या राज्य के प्रति निष्ठा और सत्ता के प्रति लगाव का भाव विकसित करता है।’
राजनीतिक सामाजीकरण की उपयोगिता (महत्व)
राजनीतिक सामाजीकरण की उपयोगिता को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया जा गया है-
1. राजनैतिक प्रक्रिया की प्रकृति का विश्लेषण करने में उपयोग– राजनीतिक सामाजीकरण की धारणा (संकल्पना) की प्रमुख उपयोगिता यह बताई जाती है कि इसके आधार पर राजनीति शास्त्री राजनीतिक प्रक्रिया की प्रकृति का विश्लेषण व्यवस्थित ढंग से कर पाने के योग्य हुए हैं। इसकी सहायता से वे इन प्रश्नों का उत्तर प्राप्त करते हैं-
(i) राजनीति में लोग कैसे शामिल हो जाते हैं? (ii) वे राजनीतिक संस्कृति के मूल्यों को कैसे प्राप्त करते हैं? (iii) वे राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में कैसे आगे आते हैं? आदि।
2. राजनैतिक सामाजीकरण राजनैतिक संस्कृति की निरन्तरता है- राजनीतिक सामाजीकरण राजनीतिक संस्कृति की निरन्तरता है। साथ ही यह जागरूक नागिरकता, सांस्कृतिक प्रसारण, राजनीतिक व्यवस्था के लिए समर्थन तथा राजनीतिक प्रक्रिया में स्थिरता का एक साधन है। एक सार राजनीतिक सामाजीकरण संस्थाओं की स्थिरता तथा उनके वांछित विकास का स्रोत होता है।
3. राजनीतिक स्थायित्व और परिवर्तन के अध्ययन के लिए उपयोगी- राजनीतिक सामाजीकरण के माध्यम से राजनीतिक संस्कृति को बनाए रखा तथा परिवर्तित किया जाता है। राजनीति के विद्यार्थियों के लिए राजनीतिक व्यवस्था की कार्यशीलता के विश्लेषण का यह एक महत्वपूर्ण साधन है। आमण्ड तथा पावेल के अनुसार, ‘राजनैतिक स्थायित्व तथा परिवर्तन के अध्ययन के लिए राजनीतिक सामाजीकरण का अध्ययन एक बहुत महत्वपूर्ण एवं वायदापूर्ण दृष्टिकोण है। विभिन्न समकालीन समाजों में हो रहे परिवर्तनों के अध्ययन की आवश्यकता ने इस धारणा के महत्व को और भी अधिक बढ़ा दिया है। नये देशों के उदय, संचार साधनों में निरन्तर वृद्धि ने तथा तकनीकी विकास के सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक क्षेत्रों पर प्रभाव ने ऐसी परिस्थिति उत्पन्न कर दी है जिसमे कि झुकाव बनाने वाले प्राचीन साधन अब उचित नहीं रहे। राजनीतिक सामाजीकरण इसके अध्ययन में उपयोगी साबित हो रहा है।
4. राजनीतिक व्यवस्था तथा सामाजिक व्यवस्था के सम्बन्धों का अध्ययन- राजनैतिक सामाजीकरण संकल्पना की एक अन्य उपयोगिता यह बताई जाती है कि यह राजनैतिक व्यवस्था तथा सामाजिक व्यवस्था के मध्य सम्बन्धों के अध्ययन में भी सहायक रहता है।
5. व्यक्ति तथा उसके राजनैतिक व्यवहार का समग्र अध्ययन सम्भव- राजनैतिक सामाजीकरण के अध्ययन में व्यक्ति तथा उसके राजनैतिक व्यवहार, मूल्यों तथा क्रियाओं पर सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक तत्वों के प्रभाव का परीक्षण भी सम्मिलित होता है। इस प्रकार इसमें व्यक्ति के व्यापक राजनैतिक व्यवहार का अध्ययन सम्भव है।
निष्कर्ष-उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि राजनैतिक सामाजीकरण की संकल्पना राजनीतिक प्रक्रिया के अध्ययन की एक नवीन तथा व्यापक संकल्पना है।
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