लोम्ब्रोसो के अपराधी सिद्धान्त
लोम्ब्रोसो के अपराधी सिद्धान्त- लोम्ब्रोसो इटली के एक सैनिक चिकित्सक थे जिन्होंने अपराध के प्रत्यक्षवादी सिद्धान्त को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लोम्ब्रोसो ने प्रत्यक्षवादी आधार पर यह अनुभव किया कि सेना में अनुशासनहीन और उत्पाती सैनिकों की शारीरिक बनावट अनुशासित और शिष्ट सैनिकों से भिन्न होती है। आरम्भिक अवलोकन से ही उन्हें ज्ञात हुआ कि उत्पाती सैनिकों के शरीरों पर गुदे हुये चित्र बहुत मददे, घटिया और अश्लील थे जबकि ईमानदार सैनिकों की गुदाइयाँ सामान्य और सरल थीं। इससे लोम्ब्रोसो की यह धारणा बनने लगी कि शारीरिक विशेषताओं और मानसिक प्रवृत्तियों के बीच कुछ सम्बन्ध अवश्य होता है। इस सामान्य धारणा से प्रभावित होकर लोम्ब्रोसो ने इटली की अनेक जेलों में कैदियों का अध्ययन करना आरम्भ किया लेकिन काफी समय बाद लोम्ब्रोसो को कुछ सफलता तब मिली जब उन्हें ‘विलेला’ नाम के एक कुख्यात डाकू की मृत्यु होने पर उसके शव परीक्षण के लिये बुलाया गया। लोम्ब्रोसो को ‘विलेला’ की खोपड़ी की बनावट में कुछ अनोखापन दिखाई दिया। इससे उत्साहित होकर लोम्ब्रोसो ने बाद में 383 मृत अपराधियों की खोपड़ियों का परीक्षण किया। इसके साथ ही लोम्ब्रोसो ने अपराधी और गैर-अपराधी लोगों की शारीरिक विशेषताओं का भी अध्ययन करके, सन् 1876 में एक लम्बा लेख लिखकर कुछ प्रमुख निष्कर्ष प्रस्तुत किये। इनमें से चार निष्कर्षों को बहुत तार्किक ढंग से प्रस्तुत किया गया –
1. अपराधी जन्म से ही एक ऐसा व्यक्ति होता है जिसके कपाल की रचना और शारीरिक विशेषताएँ गैर-अपराधियों से भिन्न होती हैं।
2. जब तक व्यक्ति की परिस्थितियों में बहुत अधिक परिवर्तन न हो जाए, तब तक असामान्य शारीरिक विशेषताओं वाले लोग अपने आपको अपराध करने से नहीं रोक सकते।
3. असामान्य शारीरिक विशेषताएँ स्वयं अपराध का कारण नहीं होती बल्कि अपराधी प्रवृत्ति के फलस्वरूप शरीर में इस तरह के लक्षण विकसित हो जाते हैं जिनके आधार पर एक अपराधी व्यक्ति को पहचाना जा सकता है।
4. अपराधियों की शारीरिक रचना में जो विशिष्ट लक्षण देखने को मिलते हैं, उनमें चौड़े और फैले हुए जबड़े, संकुचित अथवा अंदर को दबा हुआ माथा, अधिक छोटी अथवा चपटी नाक, चेहरे पर अकारण पड़ने वाली शिकने, लम्बे कान, घनी भौहें, वक्रदृष्टि, हाथों की अधिक लम्बाई और बाएँ हाथ की हैं। सक्रियता तथा असन्तुलित कपाल आदि प्रमुख हैं। लोम्ब्रोसो के अनुसार, जिन व्यक्तियों में इनमें से पाँच अधिक विशेषताएँ होती हैं, साधारणतया वह अपराधी प्रवृत्ति वाले लोग होते हैं।
उपर्युक्त विशेषताओं के आधार पर लोम्ब्रोसो ने लिखा है कि, “अपराधी एक अविकसित प्रारू का और फलस्वरूप केवल आंशिक मानव होता है। इसी आधार पर लोम्ब्रोसो के विचारों को प्रारूपवादी सिद्धान्त भी कहा जाता है। जैविकीय लक्षणों के आधार पर अपराध के कारणों की खोज करने के साथ ही लोम्ब्रोसों ने यह भी स्वीकार किया कि अपराधी नैतिक रूप से एक विक्षिप्त अथवा पागल प्राणी होता है। ‘विक्षिप्त’ शब्द से सम्भवतः उनका तात्पर्य एक ऐसे व्यक्ति से है जो नैतिक रूप से दुर्बल होता है। इन सभी मान्यताओं के आधार पर लोम्ब्रोसो ने अपराधियों के चार मुख्य प्रकारों की विवेचना की-
1. जन्मजात अपराधी (Born Criminal)- लोम्ब्रोसो के अनुसार, अपराधियों का सबसे बड़ा भाग उन व्यक्तियों का होता है जो अपराधी लक्षणों को जन्म से ही प्राप्त करते हैं। इन्हें आनुवंशिक अपराधी भी कहा जा सकता है। साधारणतया इन अपराधियों पर अपनी परिस्थितियों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
2. विक्षिप्त अपराधी (The Insane Criminal) – यह अपराधी वे हैं जो जन्म से ही मानसिक रूप से दुर्बल होते हैं। विवेक की कमी होने के कारण ऐसे अपराधी न तो अपराध के परिणाम को जानते हैं और न ही इनके व्यवहारों में किसी तरह का सुधार लाना सम्भव होता है।
3. उन्मादी अपराधी (The Passionate Criminal) – लोम्ब्रोसो के अनुसार इस वर्ग में वे अपराधी आते हैं जिनमें जन्म से ही भावावेश या उत्तेजना में आकार अपराध करने की प्रवृत्ति होती है। राजनीतिक अपराध करने वाले अधिकांश सनकी लोग इसी श्रेणी से सम्बन्धित होते हैं।
4. आकस्मिक अपराधी (Occasional Criminal) – अचानक उत्पन्न होने वाली दशाओ में कोई भी व्यक्ति अपराधी इरादे के बिना कोई अपराध कर सकता है। इसके विपरीत लोम्ब्रोसो के अनुसार आकस्मिक अपराधियों को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है-
(अ) आभासी अपराधी- ये वे अपराधी हैं जो अपने सम्मान या अधिकार के प्रति जरूरत से अधिक चेतन होते हैं। किसी भी व्यक्ति के द्वारा इनके अधिकारों पर अतिक्रमण होने से यह आपराधिक व्यवहार कर बैठते हैं।
(ब) अभ्यस्त अपराधी- ऐसे अपराधी एक आदत के रूप में तनिक सा अवसर मिलने पर भी – अपराध कर बैठते हैं।
(स) सामान्य अपराधी- इन्हें एक जन्मजात अपराधी और सामान्य व्यक्ति के बीच की श्रेणी का अपराधी कहा जा सकता है। जन्म से इनमें अपराधी प्रवृत्तियाँ बहुत कम होती हैं। यही कारण है कि ऐसे अपराधियों को सुधारना अधिक सरल होता है।
वास्तव में लोम्ब्रोसो द्वारा अपराधियों का उपर्युक्त वर्गीकरण फेरी, गैरोफेलो, चार्ल्स गोरिंग तथा अनेक दूसरे विचारकों की आलोचना का परिणाम है। इन विचारकों ने यह स्पष्ट किया था कि न तो सभी अपराधी जन्मजात होते हैं और न ही शारीरिक दोषों का अपराध से कोई प्रत्यक्ष सम्बन्ध होता है इसी के सन्दर्भ में लोम्ब्रोसो ने अपने बाद के लेखों में यह स्वीकार किया कि कुछ अपराधी लक्षण जन्मजात रूप से अपराधियों में पाये जाते हैं लेकिन सभी अपराधी जन्मजात नहीं होते। एक सामान्य नियम के रूप में लगभग 40% अपराधी ही जन्मजात होते हैं।
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