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विकास एवं अभिवृद्धि का अर्थ-Meaning of growth and development in Hindi

विकास एवं अभिवृद्धि का अर्थ
विकास एवं अभिवृद्धि का अर्थ

विकास एवं अभिवृद्धि का अर्थ बताइए ।

विकास का अर्थ

मुनरों के शब्दो में परिवर्तन शृंखला की वह अवस्था जिसमें बालक भ्रूणावस्था से लेकर प्रौढ़ावस्था तक गुजरता है। विकास कहलाता है अर्थात व्यक्ति के विकास उसके गर्भ में आने की स्थिति से लेकर प्रौढ़ावस्था प्राप्त करने की स्थिति तक होता है। यह स्थिति, जब तक भ्रूण गर्भ में रहता है जहाँ उसका विकास होता रहता है। जब भ्रूण पूर्ण विकसित हो जाता है तब वह गर्भ में भी नहीं रह पाता है और उसे बाहर आना पड़ता है। गर्भ से बाहर आने पर उसके विकास का नया काल शुरू हो जाता है। इसी स्थिति को गर्भोत्तर स्थिति कहते हैं।

विकास का अभिप्राय बड़े होने, कद अथवा भार के बढ़ने से नहीं है। विकास का अर्थ परिवर्तन से है। परिवर्तन एक प्रक्रिया है जो प्रत्येक क्षण चलती रहती है। अतः प्रत्येक क्षण विकास भी होता रहता है। विकास में परिपक्वता की ओर बढ़ने का एक निश्चित क्रम रहता है।

अभिवृद्धि का अर्थ

सामान्य रूप से अभिवृद्धि का अर्थ शरीर और उसके अंगों के भार एवं आकर में होने वाली में वृद्धि से है। इस वृद्धि को नापा व तोला जा सकता है।

अभिवृद्धि एवं विकास की प्रक्रिया गर्भाधान के समय से शुरू हो जाता है जो कि बच्चे के जन्म के बाद तक चलती रहती है परन्तु शरीर की वृद्धि हमेशा विकास से ही सम्बन्धित नहीं होती है, कभी- कभी बिना अभिवृद्धि के भी विकास सम्भव हो जाता है जैसे- बौना व्यक्ति। उसके शरीर की लम्बाई में वृद्धि नहीं होती किन्तु शरीर की अन्य अवयवों की क्षमता में वृद्धि हो जाती है। कभी- कभी ऐसा भी होता है जबकि विकास होता है किन्तु अभिवृद्धि नहीं होती है। जैसे प्रौढ़ावस्था में शारीरिक वृद्धि रूक जाती है तब भी विकास प्रक्रिया जारी रहती है।

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shubham yadav

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