व्यक्तित्व का अर्थ एवं परिभाषा –दोस्तों आज के इस आर्टिकल में व्यक्तित्व का अर्थ एवं परिभाषा, Personality Meaning and Definition in hindi, व्यक्तित्व विकास को प्रभावित करने वाले कारक के बारे में बतायेंगे. जिसके अंतर्गत हम व्यक्तित्व का अर्थ एवं परिभाषा. Personality Meaning and Definition in hindi, व्यक्तित्व विकास को प्रभावित करने वाले कारक व्यक्तित्व का वर्गीकरण, इत्यादि के बारे में विस्तार से बतायेंगे.प्रतिवर्ष uptet,ctet,stet,kvs,dssb,btc आदि सभी एग्जाम में इससे प्रश्न पूछे जाते है।
अनुक्रम (Contents)
व्यक्तित्व का अर्थ और व्यक्तित्व विकास को प्रभावित करने वाले कारक
व्यक्तित्व
(Personality) लैटिन भाषा के Persona (परसोना) से बना है जिसका अर्थ होता है। बाहरी आवरण/नकली चेहरा/नकाब/मास्क
प्राचीन समय में बाह्य रूप रेखा के आधार पर व्यक्तित्व परिभाषित किया जाता था।
लेकिन आज परिभाषा बदल चुकी हैं। वर्तमान समय में बाह्य व आन्तरिक गुणों के समावेश को व्यक्तित्व कहा गया हैं।
ऑलपोर्ट के अनुसार :- व्यक्तित्व उन मनोदैहिक व्यवस्थाओं का गत्यात्मक संगठन हैं। जो वातावरण के साथ समायोजन स्थापित कर लेता हैं।
कैटल के अनुसार:- व्यक्तित्व वह है जिसके द्वारा हम भविष्यवाणी कर सकते हैं। कि कोई व्यक्ति किस परिस्थिति में कैसा कार्य करेगा या क्या करेगा।
व्यक्तित्व का वर्गीकरण :-
1. पाश्चात्य दृष्टिकोण
क्रेशमर/क्रेचमर के अनुसार :- क्रेचमर ने शारीरिक संरचना के आधार पर व्यक्तित्व का पहला वर्गीकरण
किया। जिसके 4 प्रकार बताए।
(1.) स्थूलकाय – नाटे व्यक्ति (पिकनिक)
(2.) सुण्डौलकाय – खिलाड़ी प्रवृत्ति (एथेलेटिक)
(3.) क्षीणकाय – दुर्बल शरीर वाले (एसथेनिक)
(4.) मिश्रित काय – मिले-जुले (डिस्प्लास्टिक)
→ शारीरिक संरचना के आधार पर दुसरा वर्गीकरण शैल्डन के आधार किया गया।
1. गोलाकार (एडोमोरफिक) शारीरिक सन्तुलन, शारीरिक स्वस्थ, फुर्तीला होता है।
2. आयताकार (मिसोमोफिक) :-
3. लम्बाकार (एक्टोमोर्फिक) :- शक्तिहीन
स्वभाव के आधार पर शैल्डन द्वारा स्वभाव का वर्गीकरण
1. विसेरोटॉनिक :- मस्त मोला, खाना-पीना पसन्द, आराम करना पसन्द, प्रेम पसन्द
2. सोमेटोटॉनिक :- कर्मठ, शक्तिशाली, साहसी, स्पष्ट भाषी और अधिकार प्रिय।
3. सेरिब्रोटॉनिक :- हैरान, परेशान, दुःखी, संकोची, शर्मीले एवं अर्तमुखी।
हिप्पोक्रेटस का वर्गीकरण :-
द्रव्य व स्वभाव के आधार पर :-
1. कफ प्रवृति वाले :- (- +) सुस्त, चिडचिड़ा, संवेगात्मक रूप से कमजोर व शारीरिक रूप से शक्तिशाली रूधिर की मात्रा अधिक व आशावादी।
2. काले पित्त वाले :- (–) निराशावादी, शक्तिहीन, दुःखी व शारीरिक और संवेगात्मक रूप से कमजोर ।
3. पिले पित्त वाले :- (+ +) शारीरिक व संवेगात्मक रूप से स्थिर व सन्तुलित ।
4. अधिक रूधिर वाले (+ -) संवेगात्मक रूप से सशक्त परन्तु कमजोर ।
समाज शास्त्री के आधार पर वर्गीकरण :-
स्प्रेन्गर के अनुसार – स्प्रेगर ने समाज शास्त्रिय आधार व्यक्तित्व का छ: भागों में वर्गीकरण किया
1. सैद्धान्तिक प्रवृति वाले
2. सामाजिक प्रवृति वाले
3. राजनैतिक प्रवृति वाले
4. सैन्दर्य / कलात्मक प्रवृति वाले
5. आर्थिक प्रवृति वाले
6. धार्मिक प्रवृति वाले
युंग या जुंग के अनुसार :-
मनौवैज्ञानिक आधार पर वर्गीकरण :-
→ युगं द्वारा किया गया वर्गीकरण सबसे प्रसिद्ध माना जाता है।
→ इन्होंने मनौवैज्ञानिक आधार पर वर्गीकरण किया।
इन्होने 3 प्रकार बताएँ।
1. अतमुखी व्यक्तित्व :- लेखक बनने की योग्यता रखता हो एकान्तप्रिय, विचारशील
2. बर्हिमुखी :- शिक्षक व नेता बनने की योग्यता रखता हो
3. उभयमुखी उचित व्यक्तित्व इसमें अर्तमुखी व बर्हिमुखी दोनों प्रकार के व्यक्तित्व के गुण पाए जाते हैं।
भारतीय दृष्टिकोण से वर्गीकरण :-
तीन प्रकार से सतोगुणी, रजोगुणी, तमोगुणी
1. सतोगुणी -ईश्वर व धर्म में विश्वास रखने वाला
2. रजोगुणी :- कर्म में विश्वास ।
3.. तमोगुणी :- सुख प्राप्ति, विलासी प्रवृति वाला।
आधुनिक दृष्टिकोण से वर्गीकरण :-
तीन प्रकार से- भावुक, कर्मशील, विचारशील
1.भावुक :-
2. कर्मशील :- अपने कर्म में विश्वास।
3. विचारशील :- हर कार्य को विचार करके करने वाला
नोट :- संवेगिय रूप से स्थिरता वाले व्यक्ति का उचित व्यक्तित्व होता है।
व्यक्तित्व विकास को प्रभावित करने वाले कारक :-
1. वंशानुक्रम
2. वातावरण
3. शारीरिक संरचना का प्रभाव
4. मानसिक योग्यता का प्रभाव
5. विशिष्ट रूचि का प्रभाव
6. सांस्कृतिक वातावरण
7. परिवार व विद्यालय का वातावरण
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