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सरकारी व अर्द्ध सरकारी पत्र में अन्तर
1. सरकारी पत्र प्रायः विदेशी सरकारों, राज्य सरकारों, सम्बद्ध तथा मातहत कार्यालयों, सार्वजनिक निकायों आदि को लिखे जाते हैं।
जबकि अर्द्ध सरकारी पत्र प्रायः केन्द्र सरकार द्वारा अपने विभाग के अधिकारियों द्वारा किसी अन्य विभाग के व्यक्ति को व्यक्तिगत ध्यान किसी विशिष्ट मामले की ओर आकृष्ट के लिए लिखे जाते हैं।
2. शासकीय (सरकारी) पत्रों में औपचारिकता अधिक होती है, जबकि अर्द्धसरकारी पत्रों में औपचारिकता एवं अनौपचारिकता दोनों होती हैं।
3. शासकीय पत्रों में भावना का स्थान जरा भी नहीं होता, जबकि अर्द्ध सरकारी पत्रों में भावना का सूक्ष्म स्थान होता है और इन पत्रों में घनिष्ठता का समावेश होता है।
4. शासकीय पत्रों के सम्बोधन में केवल ‘महोदय’ लिखा जाता है, जबकि अर्द्ध सरकारी पत्रों में प्रिय, प्रियवर के साथ नाम अथवा उपनाम आदि का प्रयोग होता है।
5. शासकीय पत्र के कलेवर में ‘मुझे आदेश हुआ है’ या ‘मुझे निर्देश हुआ है’ पदावली का प्रयोग किया जाता है।
6. पत्र की समाप्ति पर स्वनिर्देश के लिए सरकारी पत्र में ‘भवदीय’ या ‘आपका विश्वास भाजन’ लिखा जाता है, जबकि अर्द्ध सरकारी पत्र में ‘आपका सद्भावी’ या ‘आपका ही प्रयोग किया जाता है।
7. सरकारी पत्र में प्रेषक अपने हस्ताक्षर व पद का उल्लेख करता है, जबकि अर्द्ध सरकारी पत्र में प्रेषक अधिकांशतः केवल अपने हस्ताक्षर ही करता है।
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