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सूचना एवं संप्रेषण तकनीकी के शैक्षिक लाभ एवं उपादेयता
सूचना एवं संप्रेषण तकनीकियाँ सूचना एवं संप्रेषण कार्य को वैसा ही आसान तथा प्रभावशाली बनाने में अपनी भूमिका निभा सकती हैं जैसी कि अन्य तकनीकियों द्वारा हमारे जीवन के अन्य कार्यकलापों के संपादन में निभाई जाती हैं। देखा जाए तो सूचना एवं संप्रेषण तकनीकियों ने हमारे जीवन के विविध क्षेत्रों जैसे उद्योग, व्यापार, बैंकिंग, कृषि, मैडीएन, ट्रांसपोर्ट, पोस्टल एवं टेलीकम्यूनिकेशन, सेवा प्रतिष्ठान तथा हमारे दिन प्रतिदिन के जिंदगी को प्रभावित करने वाली बहुत से बातों में एक अजीब सी क्रांति ला दी है हमारे सोचने विचारने, बातचीत करने, एक दूसरे के साथ संपर्क और संप्रेषण करने सभी बातों में एकदम बदलाव ला दिया है। ऐसा कोई क्षेत्र या हमारे जीवन की कोई गतिविधि ऐसी नहीं। जो इन तकनीकियों के प्रभाव से अछूती रही हो शिक्षा का क्षेत्र कोई अपवाद नहीं है अतः यहाँ भी सूचना एवं संप्रेषण तकनीकी का उपयोग जोर-शोर से होने लगा है। इसके इस प्रकार के उपयोग की चर्चा दो विभिन शीर्षकों के अंतर्गत अलग-अलग ढंग से की जा सकती हैं।
A. शिक्षा से जुड़े व्यक्तियों को इसका लाभ एवं उपयोगिता – इस दृष्टि से सूचना एवं संप्रेषण तकनीकी के लाभ एवं उपयोगिता का वर्णन निम्न प्रकार से किया जा सकता है-
1. विद्यार्थियों के लिए उपयोगी (Useful to the Students)- सूचना एवं संप्रेषण तकनीकी के उपयोग से विद्यार्थियों को सूचना के स्रोतों से परिचित होने, उनके द्वारा सूचना इकट्ठी करने, उन्हें ठीक ढंग से संग्रहित करने तथा व्यवस्थित कर भविष्य में आवश्यकतानुसार उपयोग में लाने का उचित अवसर और प्रशिक्षण मिलता है। जो कुछ भी उन्हें ज्ञान प्राप्ति, अपेक्षित व्यवहार परिवर्तन तथा व्यक्तित्व विकास के लिए और विश्वसनीय सूचनाओं तथा संप्रेषण के रूप में चाहिए वह सब कुछ सूचना एवं संप्रेषण तकनीकी के सहयोग से उन्हें प्रभावी ढंग से प्राप्त हो सकता है। सूचना एवं संप्रेषण तकनीकी के द्वारा उन्हें मात्र सूचना या ज्ञान प्राप्ति का द्वार ही नहीं खुलता बल्कि समस्या समाधान योग्यता, निर्णय क्षमता आदि का भी प्रशिक्षण मिलता है।
2. शिक्षकों के लिए उपयोगी (Useful to the Teachers)- सूचना एवं संप्रेषण तकनीकी शिक्षकों को अपने शिक्षण दायित्वों को निभाने हेतु विभिन्न प्रकार से सहायता कर सकती है। उपयुक्त शिक्षण हेतु उन्हें विभिन्न प्रकार की सूचनाएं, ज्ञान तथा आंकड़े चाहिए इन सबको ठीक प्रकार से दिलाने में सूचना एवं संप्रेषण तकनीकी बहुमूल्य सहयोग दे सकती है विभिन्न प्रकार के सूचना स्रोतों से परिचित कराना, उनसे आवश्यक सूचनाएं प्राप्त करके अपने शिक्षण कार्य हेतु उपयोग में लाने के कार्य में सूचना एवं संप्रेषण तकनीकी उन्हें भलीभाँति सहायता कर सकती हैं। वे अपने विद्यार्थियों को भी ज्ञान और सूचना के उपलब्ध स्रोतों से परिचित कराकर अपना बहुत कुछ कार्यभार हल्का कर सकते हैं क्योंकि जिन बातों को उन्हें विद्यार्थियों को बार-बार बताना पड़ सकता है वे सभी बातें उन्हें बहुत ही व्यापक और गहन अर्थों में सूचना एवं संप्रेषण तकनीकी के सहारे आसानी से उपलब्ध हो सकती है अभिक्रमित पाठ्य पुस्तकों, शिक्षण मशीन तथा कंप्यूटर निदेशित स्व अधिगम सामग्री यहाँ अध्यापकों को अपने शिक्षण कार्यों को बेहतर ढंग से पूरा कर बालकों को ज्यादा से ज्यादा फायदा करने के कार्य में आ सकती है।
3. मार्गदर्शन प्रदान करने वालों लिए उपयोगी (Useful to the Counsellers)- निदेशन एवं परामर्श सेवाओं के संचालन में चाहे वह विद्यालय परिसर में चले या अन्य संस्थाओं द्वारा समुदाय में चलाए जाएं, सूचना एवं संप्रेषण तकनीकी का सहयोग विभिन्न प्रकार से लाभप्रद सिद्ध हो सकता है निदेशन एवं परामर्श सेवाओं के लिए तरह-तरह की सूचनाएं, जानकारी, आंकड़ों तथा संप्रेषण की लगातार जरूरत रहती है। व्यक्तिगत, व्यावसायिक या शैक्षणिक कैसा भी निदेशन और परामर्श दिया जाए परामर्शदाताओं को सूचनाओं और आंकड़ों के बारे में पूरी तरह जानकारी चाहिए जो सही और विश्वसनीय हो, जिसे आसानी से प्राप्त किया जाता रहे तथा उसका उचित भंडारण कर समय पर प्रयोग में लाया जा सके कहना न होगा ये सभी बातें, सूचना एवं संप्रेषण तकनीकी के सहयोग से ही अच्छी तरह संभव है।
4. शैक्षिक नियोजनकर्त्ता और प्रशासकों के लिए उपयोगी (Useful for the Educational Planners and Administrations)- शैक्षिक कार्यक्रमों के नियोजन और शैक्षिक गतिविधियों के ठीक प्रकार प्रबंधन हेतु भी सूचना एवं संप्रेषण तकनीकी का सहयोग विभिन्न प्रकार से मूल्यवान सिद्ध हो सकता है विद्यालय का प्रशासन चलाना है। तो आपको विद्यालय की सभी प्रकार की गतिविधियों तथा मानव और भौतिक संसाधनों के कार्यकलापों की भलीभाँति जानकारी तथा संबंधित आंकड़े उचित रूप से उपलब्ध होने ही चाहिए सूचना एवं संप्रेषण तकनीकी का सहयोग यहाँ प्रशासकों के लिए वरदान सिद्ध हो सकता है इसी तरह किसी भी तरह का नियोजन कार्य बिना उचित सूचनाओं, जानकारी आंकड़ों तथा संप्रेषण के बिलकुल भी आगे नहीं बढ़ सकता विद्यालय में चाहे परीक्षाएं करानी हो या विद्यार्थियों को किसी भी पाठ्यक्रम में प्रवेश देना हो, सभी के नियोजन हेतु उचित सूचना संप्रेषण एवं आंकड़े, सूचना एवं संप्रेषण तकनीकी की सहायता से भलीभाँति प्राप्त हो सकते हैं।
5. शैक्षिक अनुसंधानकत्ताओं के लिए उपयोगी (Useful for the Education Researchers)- जो भी शिक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान करना चाहता है उसे विषय विशेष से संबंधित विभिन्न प्रकार की सूचनाएं तथा आवश्यक संप्रेषण आंकड़े चाहिए। ये सूचनाएं, आंकड़े तथा संप्रेषण अनुसंधानकर्ताओं को यथार्थ एवं विश्वसनीय रूप से उनकी सुविधा के हिसाब से ठीक प्रकार प्राप्त होते रहने चाहिए। किस प्रकार का अनुसंधान कार्य हो चुका है तथा देश-विदेश में इस बारे में क्या कुछ हो रहा है यह जानकारी भी अनुसंधानकर्ताओं को चाहिए कहना नहीं होगा कि इस प्रकार की जानकारी और सूचनाओं को उचित रूप में उपलब्धि उन्हें सूचना एवं संप्रेषण तकनीकी के सहयोग से ही भलीभाँति प्राप्त होती रह सकती है।
इस प्रकार से निष्कर्ष में यह कहा जा सकता है कि सूचना एवं संप्रेषण तकनीकी से प्राप्त सुविधाओं से शिक्षा के प्रयास और परिणामों से जुड़े हुए सभी पक्षों को विविध रूपों में सहायता मिल सकती है। सूचना प्राप्ति ही सही अर्थों में ज्ञानार्जन की सीढ़ी है। इसी से आगे जाकर सभी प्रकार के अधिगम अर्जन में सहायता मिलती है। इस दृष्टि से सूचना एवं संप्रेषण तकनीकी द्वारा सूचना प्राप्ति को ठीक तरह नियमित करने का कार्य सभी प्रकार से शिक्षा के विभिन्न कार्यों में सहायक बनकर शैक्षिक उद्देश्यों की उचित प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
B. शिक्षा तंत्र में व्यापक परिवर्तन लाने से संबंधित लाभ एवं उपादेयता (Uses and Advantages in Revolutionizing the System of Education)- सूचना एवं संप्रेषण तकनीकी का प्रयोग औपचारिक तथा अनौपचारिक शिक्षा तंत्र में व्यापक परिवर्तन लाने हेतु निम्न प्रकार की भूमिका निभा सकता है-
1. अपने उन्नत उपकरणों, तकनीक तथा साजो सामान के साथ यह टैक्नोलोजी वर्तमान शिक्षा तंत्र को आधुनिक ज्ञान आधारित समाज और ज्ञानवान दुनिया के साथ ढलने में पर्याप्त मदद कर सकती है।
2. परंपरागत धारणाओं तथा शिक्षण-अधिगम तकनीकों एवं विधियों में प्रगतिशील वांछनीय परिवर्तन लाने में यह निम्न प्रकार की भूमिका निभा सकती हैं-
(i) अधिगम के ब्रोडकास्ट मॉडल (Broadcast model of learning) को (जिसमें अध्यापक अपने भाषण द्वारा विद्यार्थी को अधिगम अर्जित कराना चाहता है) इंटरएक्टिव मॉडल (Interactive model) (जिसमें छात्र तथा अध्यापक दोनों की पारस्परिक अंतःक्रिया विद्यार्थियों के अधिगम में सहायक होती है) में परिवर्तित करने के कार्य में होती है।
(ii) अध्यापक केंद्रित अनुदेशन को विद्यार्थी केंद्रित अनुदेशन में परिवर्तित करने की भूमिका इसके द्वारा अच्छी तरह निभाई जा सकती है। इस टैक्नोलोजी के उपयोग ने आज यह संभव कर दिया है कि विद्यार्थी अपनी इच्छित सूचनाएं तथा ज्ञान को स्वतः ही अपने ढंग से प्राप्त कर सके अतः उनके सामने अब ज्ञान भंडार के नए स्रोत खुल गए हैं और इस तरह शिक्षा और अनुदेशन ग्रहण करने की चाबी छात्रों के पास आ गई है और फलस्वरूप उसका स्वरूप विद्यार्थी केंद्रित होता जा रहा है।
(iii) इस टैक्नोलोजी ने अब शिक्षण की बजाय अधिगम को शिक्षण अधिगम प्रक्रिया का मुख्य केंद्र बिंदु बना दिया है। इससे अब शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में शिक्षक और छात्रों के बीच बहुत ही सक्रिय एवं प्रयोजनपूर्ण अंतःक्रिया होने की संभावना हो गई है। विद्यार्थी विषय के बारे में आवश्यक प्रारंभिक ज्ञान इस टैक्नोलोजी की मदद से पहले ही प्राप्त कर सकते हैं। अतः वे कक्षा में अच्छी तरह विषय विशेष में गहराई तक पहुँचने हेतु शिक्षक से प्रश्न पूछने तथा आवश्यक विचार विमर्श में भाग लेने के लिए सदैव तत्पर रह सकते हैं। इसलिए कक्षा का वातावरण अब एक तरफा और अरुचिकर नहीं बना सकता और फलस्वरूप शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया प्रभावपूर्ण ढंग से चलती रह सकती है।
(iv) इस टैक्नोलोजी के उपयोग ने शिक्षकों की भूमिका में भी व्यापक बदलाव ला दिया है। अब ये ज्ञान के स्रोत तथा उसके संप्रेषण की परंपरागत भूमिका न निभाकर विद्यार्थियों को स्वयं अपने प्रयत्नों द्वारा ज्ञान प्राप्त करने के कार्य में एक सच्चे सहायक, पथप्रदर्शक तथा उन्हीं के साथ स्वयं सक्रिय रूप से विषय की जानकारी लेने वाले साथी की भूमिका निभाते हुए देखे जा सकते हैं।
(v) इस टैक्नोलोजी के प्रयोग ने अब विद्यार्थियों पर ही यह उत्तरदायित्व लाद दिया है। कि वे स्वयं अपने प्रयत्नों से अधिगम पथ पर आगे बढ़ते हुए आवश्यक ज्ञानार्जन और उसका उचित विश्लेषण, संश्लेषण कर उसे उपयोग में लाने के कार्य में सार्थक एवं सक्रिय भूमिका निभाएं, उसे अन्य साथियों के साथ बाँटे, आवश्यकतानुसार अध्यापक से विचार विमर्श करें तथा इस प्रकार अधिगम उद्देश्यों की प्राप्ति में लगातार संलग्न रहें।
(vi) इस तकनीकी के उपयोग ने विद्यार्थियों को कोरे ज्ञानार्जन की जगह ज्ञान प्राप्ति का ढंग सीखने का मार्ग प्रशस्त करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने का कार्य किया है। इसके उपयोग से विद्यार्थियों के सृजनात्मक एवं रचनात्मक चिंतन को बढ़ावा मिला है। वे स्वयं अपने द्वारा किए गए अधिगम का तर्कपूर्ण ढंग से मंथन और मूल्यांकन कर सकते हैं तथा फिर इसका उपयोग अपनी योग्यता और शक्तियों के समुचित विकास में स्वेच्छा से करते हुए इस ज्ञानवान दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने की क्षमता का प्रदर्शन भी कर सकते हैं।
3. सूचना एवं संप्रेषण तकनीकी के उपयोग ने आज अध्यापक शिक्षा एवं प्रशिक्षण के क्षेत्र में भी नयी क्रांति ला दी है। आज इस तकनीकी का उपयोग सेवाकालीन तथा सेवापूर्ण दोनों प्रकार की शिक्षण प्रशिक्षण गतिविधियों के उचित संचालन हेतु भलीभाँति किया जा सकता है। न केवल इनसे शिक्षकगण को अपनी प्रशिक्षण संबंधी पाठ्यक्रम की आवश्यकताओं को पूरा करने में उचित सहायता मिल सकती है बल्कि वे उन सभी ज्ञान एवं कौशलों से भी भलीभाँति परिचित हो सकते हैं जिनके सहारे सूचना एवं संप्रेषण तकनीकी के माध्यम से अपने विद्यार्थियों का अधिगम अनुभव ग्रहण करने के कार्य में उचित मार्गदर्शन कर उन्हें आज की आधुनिक दुनिया में अपनी प्रभावशाली भूमिका निभाने योग्य बना सकें।
इस प्रकार से सूचना एवं संप्रेषण तकनीकी का प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में काफी उपयोगी संभावनाओं से भरा पड़ा है। अतः यह आवश्यक है कि सभी तरफ से ऐसे गंभीर प्रयास किए जाएं कि इस तकनीकी के उपयोग से जितने फायदे अनुदेशन, शिक्षण-अधिगम और शिक्षा व्यवस्था को प्रभावशाली बनाने हेतु उठाए जा सके उन्हें उठाने में कोई भी कसर शिक्षा से जुड़े हुए व्यक्तियों द्वारा नहीं छोड़ी जाए। विद्यार्थियों, समाज तथा देश का हित इसी में छुपा हुआ है।