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सूचना के अधिकार से आप क्या समझते हैं? समझाइये ।
सूचना का अधिकार, लोकतन्त्र के सुदृढ़ीकरण की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। सन् 2005 में भारत सरकार ने ‘सूचना का अधिकार अधिनियम 2005’ के द्वारा देश के लोगों को किसी भी सरकारी कार्यालय से जानकारी प्राप्त करने का अधिकार दिया है। देश में विगत अनेक वर्षों से विकास में लोगों की भागीदारी बढ़ाने के अनेक प्रयास किये जाते रहे हैं। पंचायत राज की स्थापना और सार्वजनिक सेवाओं की निगरानी में स्थानीय समुदाय की भागीदारी इसका प्रमुख आयाम है। सार्वजनिक सेवाओं, सुविधाओं और योजनाओं, नियम-कायदों के बारे में जानकारी न होने से लोग विकास योजनाओं और सार्वजनिक कार्यों में भली-भाँति भागीदारी नहीं कर पाते हैं, लेकिन अब सूचना के अधिकार के द्वारा विकास योजनाओं और सार्वजनिक कार्यों में पारदर्शिता लायी जा सकती है। शासकीय तन्त्र में निर्णय लेने की प्रक्रिया में पक्षपात की सम्भावना एवं भ्रष्टाचार को समाप्त करने की दिशा में यह एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
इस अधिकार के द्वारा सरकारी कार्यालयों से अनेक प्रकार की जानकारियाँ प्राप्त की जा सकती हैं। ग्राम पंचायत, गाँव में स्थित सेवाओं जैसे-आँगनबाड़ी, राशन की दुकान, स्वास्थ्य केन्द्र एवं सरकार अस्पताल, तहसील कार्यालय, जमीन का रिकॉर्ड, पुलिस थाना, वन विभाग, कृषि विभाग, कृषि उपज मण्डी, बैंक, पोस्ट ऑफिस, रेल विभाग, लोक स्वास्थ्य, यान्त्रिकी विभाग, ग्रामीण यान्त्रिकी विभाग, न्यायालय, स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, जनपद पंचायत, जिला पंचायत, कलेक्टर कार्यालय, एस. पी. ऑफिस आदि सभी कार्यालयों से किसी भी प्रकार की जानकारी माँगी जा सकती है। गाँवों और शहरों के सभी निकायों से लेकर जनपद, जिला तथा राजधानी में स्थित किसी भी कार्यालय से जानकारी माँगने का अधिकार अब लोगों को प्राप्त है।
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