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सम्राट अशोक का विजय अभियान
चन्द्रगुप्त के पश्चात् उसका पुत्र बिन्दुसार मगध के सिंहासन पर बैठा। अशोक विन्दुसार का ही पुत्र था। अशोक की माता चम्पा निवासी एक ब्राह्मण कन्या थी, जिसका नाम ‘धम्मा’ था। अशोक की अनेक पत्नियाँ थीं। जिसमें ‘देवी’ सबसे अधिक प्रसद्धि थी। महेन्द्र तथा संघमित्रा उसी से उत्पन्न हुए थे। अशोक को दूसरी पत्नी का नाम पूद्मावती था, जिसके पुत्र का नाम कुणाल था। वह अवन्ति और तक्षशिला का प्रान्तपति रह चुका था। इन दोनों पदों पर उसने बड़ी निपुणता और योग्यता का परिचय दिया।
सिंहासनारोहण (Enthronment) – अशोक ने अपने 99 सौतेले भाइयों की हत्या कर राज्य प्राप्त किया था परन्तु अनेक इतिहासकारों द्वारा इस हत्या काण्ड को केवल कपोल कल्पित माना गया है। यह हो सकता है कि अशोक को अपने बड़े भाई सुसीम से संघर्ष करना पड़ा हो।
अशोक की विजय (Victory of Ashoka ) – सिंहासन पर बैठने के पश्चात् अशोक ने अपने बाबा की साम्राज्यवादी नीति को अपनाया। अभी तक कश्मीर मौर्य साम्राज्य से बाहर था। अतः अशोक ने सर्वप्रथम कश्मीर को अपने साम्राज्य में मिलाया।
कलिंग विजय (Victory of Kalinga) – उसने राज्याभिषेक के आठवें वर्ष अपनी विशाल सेना लेकर कलिंग के ऊपर आक्रमण कर दिया। कलिंग की सेना बड़ी वीरता के साथ लड़ी परन्तु अशोक की विशाल सेना के आगे नहीं ठहर सकी। कलिंग को अशोक ने अपने साम्राज्य का अंग बना लिया।
‘कलिंग युद्ध के परिणाम (Consequences of Kalinga War)
कलिंग विजय का परिणाम अशोक के हृदय का परिवर्तन था। इस युद्ध में भीषण हत्या काण्ड हुआ था। इस भीषण रक्तपात के परिणामस्वरूप असंख्य नारियाँ विधवा हो गर्यो तथा भयंकर महामारियाँ फैलीं। अशोक के हृदय पर इस भयंकर रक्तपात का गहरा प्रभाव पड़ा। उसने निश्चय कर लिया कि अब वह कभी भी भविष्य में युद्ध नहीं करेगा तथा युद्ध यात्राओं के स्थान पर धर्म यात्राएँ करेगा।
उसने केवल भारत ही नहीं, वरन् विदेशों में भी बौद्ध धर्म के प्रसार में महान् योगदान दिया।
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