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कला शिक्षक एवं शिक्षक के कार्य The Art Teacher In Hindi
कला शिक्षक – शिक्षा एक त्रिध्रुवीय प्रक्रिया है जिसके शिक्षक, छात्र एवं पाठ्यक्रम महत्वपूर्ण कारक है| कल निर्देशक होना चाहिए जिसके लिए अंतर्दृष्टि और कौशल की आवश्यकता है, क्योंकि उसे बालक की रूचि और आवश्यकता तथा सामाजिक प्रवृत्ति दोनों को ध्यान में रखकर बालक का निर्देशन करना होता है कलात्मक अनुभव के निर्देशन हेतु शिक्षक में निम्नलिखित व्यक्तिगत एवं व्यवसायिक गुण होने चाहिए-
(क) व्यक्तिगत गुण
1. बालकों के प्रति शिक्षा के अभिवृत्ति एक मित्र एवं साथी की होनी चाहिए| इससे छात्रों का शिक्षक में विश्वास बढ़ेगा और सहभागिता को प्रोत्साहन मिलेगा|
2. शिक्षक की कला में रुचि होनी चाहिए, इससे एक रुचिकर वातावरण का सृजन होगा|
3. शिक्षा को उत्साह पूर्ण होना चाहिए, क्योंकि एक उत्साही शिक्षक ही छात्रों को प्रेरित कर सकता है|
4. शिक्षक को कल्पनाशील होना चाहिए| कल्पना का धनी शिक्षक अधिक जिज्ञासु होगा और उसकी रूचि एवं लगन सर्वदा बनी रहेगी|
5. शिक्षक को भावात्मक और बौद्धिक रूप से परिपक्व होना चाहिए|
(ख) व्यवसायिक गुण-
1. शिक्षक को द्वि आयामी कार्य करने में पूर्णता कुशल होना चाहिए|
2. शिक्षकों का रूपांकन पूर्ण ज्ञान होना चाहिए और उसकी पसंद संवेदना पूर्ण होनी चाहिए|
3. शिक्षक को ऐतिहासिक कलात्मक प्रयासों की जानकारी होनी चाहिए|
4. शिक्षक को शिक्षण कला की जानकारी होनी चाहिए|
5. शिक्षक को कलात्मक अनुभव में प्रयुक्त होने वाली सामग्री की विशेषताओं और सीमाओं की पूर्ण जानकारी होनी चाहिए|
शिक्षक के कार्य-
1. शिक्षण योजना का निर्माण करना|
2. प्रत्यक्षीकरण का अवसर प्रदान करना|
3. बालकों की कलात्मक अभिवृत्ति को जानना|
4. आलेखन की चेतना विकसित करना|
5. प्रेरणा देना|
6. सामग्री प्रदान करना|
7. स्वतंत्र वातावरण प्रदान करना|
8.छात्रों के रुझान का अध्ययन करना|
9. बालकों को सही निर्देशन देना|
10. छात्रों के कार्यों में सहभागिता होना|
11. प्रदर्शनियों, नाटकों एवं मेलों का आयोजन करना|
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