अनुक्रम (Contents)
जापान में मेईजी पुनर्स्थापन,मेईजी-पुनर्स्थापना के कारण,मेईजी पुनःस्थापना का महत्त्व
जापान में मेईजी पुनर्स्थापन,मेईजी-पुनर्स्थापना के कारण,मेईजी पुनःस्थापना का महत्त्व-मेइजी पुनर्स्थापना उन्नीसवीं सदी में जापान में घटित एक घटनाक्रम था, जिससे जापान के राजनैतिक और सामाजिक वातावरण में महत्त्वपूर्ण बदलाव आए, जिनसे जापान तेज़ी से आर्थिक, औद्योगिक तथा सैन्य विकास की ओर बढ़ने लगा। इस क्रांति द्वारा सैद्धांतिक रूप से सम्राट की सत्ता को पुनः स्थापित किया गया तथा नए सम्राट ने ‘मेइजी’ की उपाधि धारण की।
जापान में मेईजी पुनर्स्थापन
पश्चिम की सामुद्रिक शक्तियों से व्यापारिक संबंधों की नयी नीति नवीन जापान के उदय की द्योतक थी। 1868 में जापान में तोकूगावा शोगुनों की शक्ति का अंत हुआ और अभी तक निष्क्रिय रहे जापान के सम्राट ने राजशक्ति को अपने हाथ में ले लिया। जापान के जिस सम्राट के शासनकाल में यह महत्त्वपूर्ण परिवर्तन हुआ उसका नाम मुत्सुहितो था। वह 1867 में सिंहासना रूढ़ हुआ था। उसने 1868 में मेईजी (प्रकाशपूर्ण शांति) की उपाधि धारण की। सत्ता परिवर्तन की इस घटना को जापान के इतिहास में ‘मेईजी ईशीन‘ अथवा ‘मेईजी पुनर्स्थापना’ के नाम से जाना जाता है
READ THIS–भारतीय महापुरूषो के कथन और उनके नारे PDF Download
मेईजी-पुनर्स्थापना के कारण
जापान में मेईजी-पुनर्स्थापना के अनेक कारण थे-
1. जापान के सामंतों में असंतोष-
विदेशियों के आगमन के समय जापान में घोर राजनीतिक अव्यवस्था थी। इस समय जापान में अनेक सामंत थे जो शोगून परिवार के विरोधी थे। शोगून की दंडात्मक नीतियों के कारण अन्य सामंतों में उसके प्रति असंतोष था। जापान के कानून “सन्किन कोताई” के अनुसार सामंतों को राजाज्ञा के बिना किलों के निर्माण व उनमें
सुधार करने का अधिकार नहीं था। वे न तो जहाजों का निर्माण करा सकते थे और न ही अपने सिक्के ढलवा सकते थे। इसके अतिरिक्त विवाह के लिए भी उन्हें शोगून से अनुमति लेनी पड़ती थी। सभी सामंतों के लिए यह अनिवार्य था कि वे दो वर्षों में एक बार शोगून की राजधानी येदा की यात्रा करें और वापसी के दौरान अपने परिवार को वहाँ बंधक के रूप में रखें। यह सामंतों के लिए बड़ा अपमान-जनक था| अत: सभी सामंत शोगुन व्यवस्था से असन्तुष्ट थे।
2. व्यापारिक वर्ग का प्रादुर्भाव-
उन्नीसवीं शताब्दी उद्योग-धन्धों का अत्यधिक विकास हुआ जिसके कारण समाज में एक नवीन व्यापारिक वर्ग
का उदय हुआ, जिसके पास धन और बुद्धि दोनों थे। सामन्त वर्ग के लोग प्रायः अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए इन व्यापारियों से पैसा उधार लिया करते थे परन्तु समाज में सामन्त वर्ग को उच्च स्थान प्राप्त था जिसके कारण व्यापारी वर्ग इनसे ईष्ष्या करता था। अपनी हीन अवस्था को समाप्त करने के लिए वह जापान में सामाजिक परिवर्तन चाहते थे।
READ THIS–हिटलर के उत्कर्ष के कारण-जर्मनी में हिटलर और उसके नात्सीदल के उत्कर्ष के कारण
3. किसानों में असन्तोष-
जापान के कृषक करो से अत्यधिक भारग्रस्त होने के कारण अपनी स्थिति से सन्तुष्ट नहीं थे। सामन्ती व्यवस्था और करों के बोझ से उसकी दशा दयनीय जापान के व्यापार और होती जा रही थी। पाश्चात्य सभ्यता के सम्पर्क के कारण उनमें जाग्रति आ रही थी। अतः उन्होंने विद्रोह करने आरम्भ कर दिये थे। वे शोगून व्यवस्था को समाप्त करके अपने सुख और समद्धि में वृद्धि करना चाहते थे। जापानी समाज अपनी वर्तमान स्थिति से असंतुष्ट वह शोगन व्यवस्था को इसके लिए उत्तरदायी मानता था और उससे छुटकारा पाना चाहता था| विदेशियों के जापान में प्रवेश से स्थिति और भी बदतर हो गयी और जापान के लोग तत्कालीन व्यवस्था के विरोध में आवाज उठाने लगे।
4. पक्षपातपूर्ण नीतियाँ-
शोगुन की नीतियाँ पक्षपातपूर्ण थीं । राज्य के सभी बड़े पद तोकूगावा सामंत-वर्ग के व्यक्तियों द्वारा भरे जाते थे । अन्य सामंतों के लोगों को इन पदों से वंचित रखा जाता था। इस भेदभावपूर्ण नीति के कारण अन्य सामंतवर्ग के लोग बड़े नाराज थे और इसीलिए वे शोगुन को हटाना चाहते थे ।
5. सामुराइयों का विरोध-
शोगून अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर अन्य सामंतों का आर्थिक शोषण करते थे । इससे उनकी आर्थिक स्थिति खराब होती जा रही थी ऐसी स्थिति में सामंतों को अपने आवश्यक खर्चों में कटौती करनी पड़ रही थीं । खर्च में कटौती के उद्देश्य से उन्होंने सामुराई-सैनिकों को सेवा से अलग कर दिया जिससे बेरोजगार सामुराई सैनिकों में असंतोष व्याप्त हो गया। भूमिरक्षकों को सुमराई कहा जाता था उनका काम सामंतों की जागीरों की रक्षा तथा देखभाल करना था। ऐसी स्थिति में समुराइयों ने अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए डकैती और लूटमार करना आरम्भ कर दिया जिससे देश में चारों ओर और अव्यवस्था व्याप्त हो गयी।
6. शोगुन का विरोध-
पश्चिमी लोगों के खतरे से निपटने के लिए जापान के अन्य सामन्तों तथा शक्तिशाली वर्ग ने शोगून-व्यवस्था का अन्त करना चाहा। उनका कहना था कि शोगुन का अदूरदर्शिता से जापान की स्वतंत्रता और सम्प्रभुता खतरे में है विदेशियों के प्रति शोगून शासन की नरम नीति को लेकर उन्होंने जनता को अपने पक्ष में करने का प्रयास किया। वे समझते थे कि इस बहाने शोगून के चंगुल से निकला जा सकता है किन्तु शोगूनों के विरोधियों में आपस में मेल नहीं था । अतएव, उनको सम्राट् को अपनी गतिविधि का केन्द्र बनाना पड़ा। उन्होंने ‘बर्बरों’ को निकालो, शोगून को हटाओ तथा ‘सम्राट की शक्ति बढ़ाओ का नारा बुलन्द किया। उसका वास्तविक उद्देश्य सम्राट के बहाने अपने ऊपर शोगून शासन द्वारा लगाये गये प्रतिबंधों को दूर करना था।
7. विदेशियों के प्रति आक्रोश –
जापान में विदेशियों के विरुद्ध भावना तीव्र है रही थी। सामन्तों ने इस विरोधी भावना को बढ़ावा दिया। सम्राट् कोमेई भी विदीशियां के विरुद्ध हो गया था। चोशू के सामन्तों के प्रभाव में आकर उसने शोगन को आदेश दिया कि 25 जून, 1863 तक सभी विदेशियों को देश से बाहर निकालने की व्यवस्था की जाए किन्तु, शोगून शासन के अधिकारी इसे असंभव मानते थे। चोश लोगों का विचार इसके विपरीत था। वे मानते थे कि विदेशियों को जापान से खदेडा जा सकता है और उन्होंने स्वयं इसका बेडा उठाया। चोशू कुल के सामंतों का प्रभाव तथा शासन शिमोनोसेकी के जलडमरूमध्य के आसपास के क्षेत्रों पर था जहाँ विदेशियों के जहाज आते-जाते रहते थे। चोशू सामन्त ने अपने कर्मचारियों को विदेशियों को नुकसान पहुँचाने तथा शिमोनोसेकी के पास से गुजरने वाले विदेशी जहाजों पर गोलाबारी का आदेश दिया और 25 जून, 1863 को एक अमरीकी जहाज जलडमरू मध्य से गुजरा। इस जहाज पर गोलाबारी कर इसे नष्ट कर दिया गया। अमरीकी युद्धपोत ने भी 16 जुलाई को जापानी किलों पर वार किया और दो युद्धपोत डुबो दिए। इस कार्य में फ्रांस और हालैंड ने अमरीकियों का साथ दिया और जापानी किलों को भारी क्षति पहुँचायी। शोगून ने स्थिति सँभालने का प्रयास किया, लेकिन कट्टरपंथियों के समक्ष उनकी नहीं चली।
14 सितम्बर, 1862 को विदेशी-विरोधी एक दूसरी घटना घटी। उस दिन सातसूमा के सामन्त का जुलूस निकला। जापान में सामतो या उनके जुलूस को रास्ता देकर उनका सम्मान करने की परम्परा थी किन्तु रिचर्डसन नायक अंग्रेज तथा उसके साथी तीन घुड़सवारों ने इसका पालन नहीं किया। सातसूमा सामंत ने लोगों ने इसे अपमान समझकर रिचर्डसन को मार डाला। ब्रिटिश सरकार ने इसके लिए शोगून से एक लाख पौण्ड का हर्जाना माँगा और सातसुमा को भी हर्जाना देने को कहा। सात अंग्रेजी जहाज हजाना वसूल करने सातसूमा की राजधानी कागोशीमा पहुँचे। उन्होंने नगर पर गोलाबारी की और एक जापानी जहाज डुबो दिया। इस घटना से जापान में विदेशियों के विरुद्ध घृणा और आक्रोश चरम सीमा पर पहुँच गया।
चोशू और शोगून में संघर्ष-
चोशू और सातसूमा सामन्तों को विदेशियों के समक्ष नीचा देखना पड़ा था। उन्होंने सैनिक सुधार करने का निश्चय किया और चोशू सामुराई तथा सामान्य जनता की मिली-जुली स्थायी सेना गठित की। यह एक महत्त्वपूर्ण घटना थी, क्योंकि इससे पहले जनसाधारण को सेना में स्थान नहीं दिया जाता था। अब सामन्त और सामान्य जनता एक स्तर पर आ गए। यह सामन्तशाही के अन्त का पूर्व संकेत था।
विदेशियों के प्रति चोशू लोगों की उत्तेजनात्मक नीति से शोगून ने नाराज होकर उनके विरुद्ध एक विशाल सेना भेजी और चोशू सामन्त बुरी तरह कुचल दिए गए। इसी समय सातसूमा लोगों ने इसका विरोध किया। वे चोशूओं की समाप्ति नहीं चाहते इसलिए., शोगन को अपने कड़े रुख में परिवर्तन करना पड़ा, लेकिन चोशू से उसने यह आश्वासन लिया कि वह मिले-जुले नए फौजी दस्ते को भंग कर देगा लेकिन इन फौजी दस्तों ने हथियार डालने से इनकार कर दिया। जनवरी, 1865 में उन्होंने कई प्रशासनिक कार्यालयों पर कब्जा कर लिया और 12 मार्च को राजधानी को अपने अधिकार में ले लिया। इस पर शोगुन शासन ने चोशू पर पुन: आक्रमण कर दिया किन्तु, शोगून की कार्रवाई का समर्थन किसी दूसरे ने नहीं किया। शोगून पर विदेशियों का प्रभाव बढ़ता जा रहा था अत: सबने शोगून का विरोध किया। इस बार चोशू की सेना ने शोगून को बुरी तरह पराजित कर दिया।
इस घटना से चोशू और सातसूमा एक-दूसरे के बहुत करीब आ गए।7 मार्च, 1866 को उनमें एक गुप्त सन्धि हुई जिसके द्वारा शोगून शासन का अन्त करने का निश्चय किया गया।
READ THIS-भारत के वायसराय की सूची एवं उनके कार्य PDF Download in Hindi
सेईजी-शासन की पर्नस्थापना-
1867 में तोकूगावा केईकी नया शोगून बना। वह प्रगतिशील विचारों का एक समझदार व्यक्ति था। उसने सबको साथ लेकर चलने का प्रयास किया, किन्तु चोशू और सातसूमा नेताओं ने उसका विरोध किया। वे उसे सत्ता से हटाना चाहते थे। इसी बीच सम्राट कोमेई की मृत्यु हो गयी और उसका उत्तराधिकारी मुत्सुहितों हुआ। नये सम्राट की अवस्था केवल 15 वर्ष की थी। अत: शोगून विरोधी सरदारों ने उस पर अपना नियंत्रण कायम कर लिया। 1868 में सातसूमा और चोशू के सैनिकों ने राजमहल पर अधिकार स्थापित कर सम्राट की शक्ति की पुनर्स्थापना की। शोगून तोकूगावा केईकी ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। सदियों बाद शोगून के स्थान पर जापान में सम्राट का निरंकुश शासन फिर से स्थापित हो गया| सम्राट ने नवयुवकों की एक सभा बनायी और विधान तैयार कर देश के शासन का संचालन करना आरम्भ कर दिया। इस प्रकार जापान में 1868 में मेइजी पुर्नस्थापना का कार्य सम्पन्न हुआ। इस घटना का जापान के इतिहास में बड़ा महत्त्व है, क्योंकि इसी समय से वह आधुनिकता की ओर अग्रसर हुआ।
मेईजी पुनःस्थापना का महत्त्व
जापान के इतिहास में मेईजी पुन:स्थापना का विशेष महत्त्व है आधुनिक जापान के निर्माण की शुरुआत मेईजी पुन: स्थापना से ही शुरू होती है। इस काल में जापान के राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में अनेक महत्त्वपूर्ण बदलाव हुये। जापान से सामन्त प्रथा का अंत हो गया जापान में सामन्तवाद से जापान की उन्नति रुक गयी थी, लेकिन सामन्तवाद का अंत होते ही उन्नति का रास्ता भी खुल गया। पुन:स्थापना ने जापान को विदेशी साम्राज्यवाद के चंगुल में फॅसने से बचा लिया। पुन:स्थापना के कारण जापान में अपूर्व राष्ट्रीयता का विकास हुआ। इसके कारण जापान के लोग शुरू से ही विदेशियों के इरादे के विरुद्ध सतर्क हो गए और उन्होंने देश को पराधीनता से बचा लिया।
पुन:स्थापना के फलस्वरूप जापान में साम्राज्यवादी भावना का विकास हुआ। जापान की आन्तरिक दशा में कई ऐसे परिवर्तन हुए, जिनसे वहाँ का शासन अत्यन्त दृढ़ और कुशल हो गया। जापान का औद्योगिकीकरण बड़ी तेजी से हुआ और जापान के सैन्यबल में अपार वृद्धि हुई। कुछ ही दिनों में वह अत्यन्त शक्तिशाली देश बन गया । इस शक्ति के आधार पर उसने साम्राज्य-विस्तार की नीति अपनाई और देखते-देखते वह भी एक साम्राज्यवादी देश के रूप
में परिवर्तित हो गया।
पुन:स्थापना के कारण जापान का शासन व्यवस्थित हुआ। अब शासन चलाने के लिए एक संसद की स्थापना हुई और नया संविधान भी बना। नागरिकों को कई तरह के अधिकार प्रदान किए गए। जापान की सेना भी नए ढंग से संगठित की गयी। इस दृष्टिकोण से भी पुन:स्थापना को बहुत अधिक
महत्व दिया जा सकता है ।
पुन: स्थापना ने जापान की प्रगति का मार्ग प्रशस्त कर दिया। इतिहासकार एच. एम. बिनाके ने ‘ए हिस्ट्री आफ दे फारईस्ट इन माडर्न टाइम्स’ में लिखा है कि जापानियों के पश्चिमी सभ्यता-संस्कृति का अनुशीलन कर विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति करना आरम्भ किया। जापान को पश्चिमी देशों के बराबर बनना था, इसलिए जापान में बड़ी तेजी के साथ कल- कारखानों का विकास हुआ, नए-नए वैज्ञानिक हथियार बने, उच्च शिक्षा प्राप्त करने की व्यवस्था हुई तथा पाश्चात्य ढंग पर नई सेना का संगठन हुआ। इन परिवर्तनों को सरकार की देखरेख में किया गया था, ये योजनाबद्ध तरीके से राष्ट्रहित को ध्यान में रखकर किये गये थे, ये व्यक्तिगत लाभ तथा दलीय राजनीति से अछूते थे। देश का सर्वांगीण विकास करने के लिये प्राचीन संकीर्णता तथा अकेल चलने की नीति का परित्याग कर दिया गया । 1874 में सामुराइयों ने विद्रोह किया जिसे दबा दिया गिया। 1876 में कूमामोतो प्रदेश के विद्रोह का भी दमन कर दिया गया राष्ट्र मेईजी पुनर्स्थापन के बाद हुये सुधारों के कारण अंधकार के मध्य युग से निकलकर प्रकाश के आधुनिक युग में आ गया।
द्वितीय विश्व युद्ध क्यों हुआ था, इसके कारण व परिणामप्र
थम विश्व युद्ध के कारण,परिणाम,युद्ध का प्रभाव,प्रथम विश्व युद्ध और भारत
पुनर्जागरण का अर्थ और पुनर्जागरण के कारण
- मध्यकालीन भारत का इतिहास PDF में डाउनलोड करें प्रतियोगी परीक्षाओ के लिए
- History of Modern India Handwritten Notes in Hindi by Raj Holkar
- चन्द्रगुप्त मौर्य का इतिहास व जीवनी Chandragupta Maurya History in Hindi
- भारत का आर्थिक इतिहास(Economic History of India)सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में
- भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं-पूरी जानकारी-प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए
- SBI Clerk Syllabus 2020 & Previous Year Question Papers PDF (2009-2019)
- Puja Samanya Hindi pdf (With Short Tricks) For All Competitive Exams PDF
- उपनिवेशों में प्रबोधन का प्रसार (Spread of Enlightenment in the colonies)
- द्वितीय आंग्ल-मराठा युद्ध(Second Anglo-Maratha War) 1803-1806 ई.
- बाढ़ आपदा प्रबंधन-भारत में बाढ़-नियंत्रण हेतु किये गये उपाय
- Drishti IAS Geography(भूगोल) Printed Notes -Hindi Medium
- Drishti ( दृष्टि ) History Notes Free Download in Hindi
- भारतीय संविधान एवं राजव्यवस्था By Drishti ( दृष्टि ) Free Download In Hindi
दोस्तों Currentshub.com के माध्यम से आप सभी प्रतियोगी छात्र नित्य दिन Current Affairs Magazine, GK/GS Study Material और नए Sarkari Naukri की Syllabus की जानकारी आप इस Website से प्राप्त कर सकते है. आप सभी छात्रों से हमारी गुजारिश है की आप Daily Visit करे ताकि आप अपने आगामी Sarkari Exam की तैयारी और सरल तरीके से कर सके.
दोस्तों अगर आपको किसी भी प्रकार का सवाल है या ebook की आपको आवश्यकता है तो आप निचे comment कर सकते है. आपको किसी परीक्षा की जानकारी चाहिए या किसी भी प्रकार का हेल्प चाहिए तो आप comment कर सकते है. हमारा post अगर आपको पसंद आया हो तो अपने दोस्तों के साथ share करे और उनकी सहायता करे.
You May Also Like This
- ग्यासुद्दीन तुगलक: 1320-1325 ई. Ghyasuddin Tughlaq 1320-1325 AD.
- Magbook Indian History 2020 By Arihant Publication Pdf Download
- UPTET All Previous Papers and UPTET Study Material 2020
- रक्त की संरचना Structure of Blood in Hindi for Competitive Exam
- सम्पूर्ण राजस्थान इतिहास – Rajasthan History Notes in Hindi PDF Download
- Current Affairs Notes pdf by BY Drsthi Clear Vision PDF Download
- ईसाई धर्म का इतिहास, तथ्य, जानकारी | Christianity History in Hindi
- Annual Current Affairs 2019 Compilation pdf by Disha Publication
- HWB Stipendary Trainee Previous Year Question Papers & Model Papers PDF
- OP Tandon Organic Chemistry for Neet | Free PDF Download
- लोक प्रशासन : अर्थ और परिभाषा-लोक प्रशासन और नवीन लोकप्रशासन की समझ
- GK Hindi 2019-20 | सामान्य ज्ञान 2019-20 for SSC, Railway
- Natasa Stankovic Weight, Age, Boyfriend, Biography, Family and photos
- HWB Stipendary Trainee Previous Year Question Papers & Model Papers PDF
- EBalbharati Homepage : Download Practice Question Paper & Book PDF
- Air Hostess: 12वीं के बाद ऐसे बने एयर होस्टेस, जानिए कोर्स, फीस और ट्रेनिंग के बारे में
अगर आप इसको शेयर करना चाहते हैं |आप इसे Facebook, WhatsApp पर शेयर कर सकते हैं | दोस्तों आपको हम 100 % सिलेक्शन की जानकारी प्रतिदिन देते रहेंगे | और नौकरी से जुड़ी विभिन्न परीक्षाओं की नोट्स प्रोवाइड कराते रहेंगे |
Disclaimer: currentshub.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है ,तथा इस पर Books/Notes/PDF/and All Material का मालिक नही है, न ही बनाया न ही स्कैन किया है |हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है| यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- currentshub@gmail.com