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भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं-पूरी जानकारी-प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए

भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं-पूरी जानकारी-प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए

भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं-HellO friends आप सभी छात्रों के लिए हमने आज बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी आप  के लिए शेयर कर रहे हैं| दोस्तों यह जानकारी जो हम नीचे आप सभी के लिए शेयर कर रहे हैं वह “भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं-” से सम्बंधित है| Friends आप सभी की जानकारी के लिए हम बता दें की प्रतियोगी परीक्षाओं में इस Topic से प्रश्न जरुर पूछे जाते हैं|  दोस्तों यह जानकरी आप सभी अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करें आप सभी के शेयर करने से उनको भी यह जानकारी पढने और याद करने को मिलेगा| आप इसे अधिक से अधिक शेयर करे |


 भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं

भारतीय संविधान भारतीयों की इच्छा अनुसार ही होगा 

15 अगस्त 1947 का दिन हमारे लिए अत्यंत गौरवशाली है |क्योंकि इसी दिन भारत अंग्रेजो के औपनिवेशिक पंजों से मुक्ति पाया |नव स्वतंत्र भारत के लिए प्रथम चुनौती एक संविधान निर्माण करना था लेकिन इस चुनौती की चिंता भारतीयों को बहुत पहले से ही थी |1922 में ही महात्मा गांधी जी ने यह कहा था कि “भारतीय संविधान भारतीयों की इच्छा अनुसार ही होगा और ठीक 2 वर्ष पश्चात 1924 में मोतीलाल नेहरू द्वारा इंग्लैंड सरकार से मांग की गई कि भारतीय संविधान निर्माण के लिए एक ‘संविधान सभा’ का गठन किया जाए |प्रमुख साम्यवादी एम. एन. रॉय द्वारा लगभग इसी समय संविधान के निर्माण की बात कही गई और यह धीरे-धीरे भारतीय जनमानस की मांग बन गई|


अंतरिम सरकार

1964 में लार्ड पैथिक लारेंस की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय ‘कैबिनेट मिशन‘ भारत आया | इसके दो अन्य सदस्य सर स्टेफोर्ड क्रिप्स व ए. वी.एलेग्जेंडर थे| कैबिनेट मिशन योजना के आधार पर संपूर्ण भारत में संपूर्ण भारत के संविधान निर्माण के लिए एक ‘संविधान सभा‘ के गठन की बात कही गई |संविधान सभा की प्रथम बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई और इसकी अध्यक्षता डॉ सच्चिदानंद सिन्हा जी ने किया | इसके पूर्व संविधान सभा के गठन के संबंध में जो प्रस्ताव थे | उनमें यह कहा गया था कि प्रत्येक प्रांत की 10 लाख की जनसंख्या पर एक सदस्य निर्वाचन होगा| प्रांतों को आवंटित स्थानों में निवास करने वाली प्रमुख जातियों के आधार पर विभाजित किया जाएगा| देशी रियासतों के प्रतिनिधि भी संविधान सभा में भाग ले सकेंगे और प्रत्येक रियासत 10लाख की जनसंख्या पर मात्र 1 प्रतिनिधि भेज सकेंगे | प्रस्ताव में भी यह भी कहा गया कि प्रांतों के लिए अलग संविधान का निर्माण किया जाएगा | कांग्रेस ने इस योजना को स्वीकार कर लिया | लेकिन मुस्लिम लीग इसके विरोध पर उतरी थी संभवतः इसका मुख्य कारण यह रहा होगा कि इस योजना में मुस्लिम लीग के पाकिस्तान के निर्माण की मांग को नहीं रखा गया था | 31 दिसंबर 1946 में भारत के विभिन्न प्रांतों के संविधान सभा के सदस्यों की संख्या घोषित की गई जिसमें सर्वाधिक 55 सदस्य संयुक्त प्रांत(अब उत्तर प्रदेश) से थे | इस सभा को ‘अंतरिम सरकार‘ घोषित किया गया और पंडित जवाहरलाल नेहरु की अध्यक्षता में इस सरकार का गठन हुआ |

संविधान सभा में कुल सदस्यों की संख्या 389 थी इसमें वर्ग चार व्यवस्था अधोलिखित थी-

ब्रिटिश प्रांत- 296
इन 296 में से –
सामान्य- 213
मुस्लिम- 079
सिख -04
जुलाई 1946 में संविधान सभा चुनाव हुआ जिसके परिणाम अधोलिखित रहे- कांग्रेस- 208
मुस्लिम लीग- 73
युनिपनिस्ट दल -01
,युनिपनिस्ट मुस्लिम-1
.युनिपनिस्ट अनुसूचित जाति-1
कृषक प्रजा पार्टी-1
अछूत जाति संघ -1
सिख-1
साम्यवादी-1
निर्दलीय-1
: कुल 298


संविधान सभा  का गठन

इस चुनाव में सबसे तगड़ा झटका मुस्लिम लीग को लगा | अतः उसने संविधान सभा का बहिष्कार किया | मुस्लिम लीग पाकिस्तान के लिए पृथक संविधान सभा के गठन की मांग की |3 जून 1947 को पाकिस्तान के लिए अलग से संविधान सभा गठित कर दी गई| बंगाल,सिंध , पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत, असम का सिलहट जिला जनमत संग्रह द्वारा पाकिस्तान में शामिल हुए इस प्रकार इन प्रान्तों के प्रतिनिधि भारतीय संविधान सभा के सदस्य नहीं रह गए|


मुख्य बिंदु.

 भारतीय -संविधान सभा के सदस्य भी अलग-अलग विचारधारा दलों के थे वहीं कुछ सदस्य ऐसे भी रहे जिन्होंने संविधान सभा की सदस्यता को स्वीकार नहीं किया  | जिसमें जयप्रकाश नारायण व तेज बहादुर सप्रू मुख्य थे| हालांकि उन्होंने यह स्वास्थ्य कारणों से ऐसा किया | कांग्रेसी सदस्यों में मुंशी के. एम. टी. टी. कृष्णमचारी, पुरुषोत्तम दास टंडन, गोविंद बल्लभ पंत, चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, मौलाना अबुल कलाम आजाद, पंडित जवाहरलाल नेहरू’ सरदार वल्लभ भाई पटेल, व डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद इत्यादि प्रमुख थे | वही गैर कांग्रेसी सदस्यों में- श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित हृदयनाथ कुंजरू, टेकचंद बख्शी, के.टी. शाह , डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन व भीमराव अंबेडकर प्रमुख थे | महिला सदस्यों में- दुर्गाबाई देशमुख, श्रीमती हंसा मेहता व श्रीमती सरोजिनी नायडू इत्यादि थी |


11 दिसम्बर 1946 को डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद जी को संविधान सभा का अध्यक्ष चुन लिया गया | उपाध्यक्ष पद पर एच. सी. मुखर्जी का चयन किया गया | 13 दिसंबर को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने अपना प्रसिद्ध उद्देश्य प्रस्तुत किया | प्रस्ताव में भारत को गणराज्य बनाना, भारत संघ का निर्माण, समानता ,अल्पसंख्यको और पिछड़ों को संरक्षण देने जैसी बातें सम्मिलित थी | पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा प्रस्तुत किए गए उद्देश्य प्रस्ताव 8 दिनों तक संविधान सभा ने गहन विचार -विमर्श किया, और 22 दिसंबर 1946 को पारित कर दिया गया |

इस संविधानसभा ने संविधान निर्माण के कार्यों को लगभग अलग-अलग 27 को सौप दिया गया | जिसमें सभा समिति, गैलरी समिति, प्रक्रिया नियम समिति, हिंदी अनुवाद सहित, उर्दू अनुवाद समिति, रियासत वार्ता समझौता समिति, मूल अधिकार समिति, अल्पसंख्यक समिति,थी | एवं  संघीय संविधान से संबंधित समिति, प्रांतीय संविधान से संबंधित समिति, संचालन समिति, झंडा समिति व प्रारूप समिति इत्यादि थी |


वी. एन. राव द्वारा संविधान का प्रारूप तैयार किया गया और 29 अगस्त 1947 को प्रारूप समिति का गठन कर दिया गया | इस समिति में- एन. गोपाल स्वामी अयंगर, अल्लादी कृष्णास्वामी अय्यर, के. एम. मुंशी, सैयद मोहम्मद सादुल्ला, डी. पी. खेतान, एन. माघवरा व डॉक्टर भीमराव अंबेडकर थे | डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर को इस समिति के अध्यक्ष चुना गया | सभी समितियों के प्रारूप समिति सबसे प्रमुख समिति थी | इसने 21 फरवरी 1948 को अपनी रिपोर्ट संविधान सभा के समक्ष प्रस्तुत की | संविधान सभा का प्रथम वाचन 4 नवंबर 1948 को शुरू हुआ तथा दूसरा वाचन 15 नवंबर 1948 को शुरू हुआ 17 नवंबर 1949 तक चला | इस संविधान में कुल 7635 संशोधन प्रस्तुत किए गए | एच. वी कामत जी ने सर्वाधिक संशुद्धियां प्रस्तुत की | संविधान सभा के एकमात्र सदस्य के.टी.शाह की मांग भारत में राष्ट्रपति शासन प्रणाली की मांग रही फिरहाल 2437 प्रस्तावों को स्वीकार किया गया जिस पर संविधान सभा ने व्यापक विचार विमर्श किया |


हम गणतंत्र दिवस  क्यों मनाते हैं?

 अपने संविधान सभा का अंतिम तीसरा वाचन 14 नवंबर 1949 से प्रारंभ होकर 26 नवंबर 1949 तक चला | और इसी दिन संविधान सभा के कुल 299 सदस्यों में से 284 सदस्यों ने हस्ताक्षर करके, संविधान को 26 नवम्बर 1949 को पारित किया | इस संविधान के प्रारूप पर कुल 114 दिन बहस हुई | हमारा संविधान 2 वर्ष 11 माह और 18 दिनों में बनकर तैयार हुआ तथा इसके निर्माण पर लगभग कुल ₹64 लाख खर्च हुए | संविधान 26 नवंबर 1949 को पारित कियागया लेकिन इसे पूर्णतः 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया लेकिन इसके कुल 15 अनुच्छेदों- 5,6, 7,8,9,60, 324, 366, 367, 372, 380, 388, 391 392 393 को 24 नवंबर 1949 को ही लागू कर दिया गया था | भारत संविधान को 26 जनवरी 1950 को लागू इसलिए किया गया कि 26 जनवरी 1930 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की थी | यही कारण है कि 26 जनवरी को हम गणतंत्र दिवस मनाते हैं


मूल संविधान

इसकी अंतिम बैठक 24 जनवरी 1950 को हुई और उसी दिन डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद जी को भारत का प्रथम राष्ट्रपति चुना गया | मूल संविधान में कुल 395 अनुच्छेद व 8 अनुसूचियां थी जबकि वर्तमान में हमारे संविधान में 395 अनुच्छेद 22 भाग व 12 अनुसूचियां हैं | समय-समय पर परिस्थितियों की माग के अनुसार इसमें संशोधन होते रहे हैंऔर हमारा संविधान सफलतापूर्वक कार्य कर रहा है |अवश्य ही कुछ अड़चने व समस्याएं आ रही लेकिन मेरी दृष्टि में वह समस्याएं संविधान की ओर से नहीं बल्कि हमारे द्वारा उत्पन्न की जा रही है |

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shubham yadav

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