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सौरमण्डल या सौर परिवार क्या है? सौर परिवार के विभिन्न ग्रह
आकाशगंगा का वह भाग जिसमें हम सभी रहते हैं, सौर परिवार कहलाता है। सौर परिवार में सूर्य के आठ ग्रह, कुछ उपग्रह, लघु ग्रह तथा बड़ी संख्या में धूमकेतु सम्मिलित हैं। इसे सौर मण्डल भी कहते हैं। सूर्य हमारे सबसे समीप का तारा है। यह सौरमण्डल का मुखिया है। यह लगभग 500 करोड़ वर्ष पूर्व बना है तभी से यह निरन्तर प्रकाश तथा ऊष्मा उत्सर्जित कर रहा है। यदि इसी प्रकार यह अपनी ऊष्मा का उत्सर्जन करता रहा तो लगभग 500 करोड़ वर्ष और अस्तित्व में रहेगा। इसके चारों ओर परिक्रमा करने वाले सभी ग्रहों की ऊष्मा तथा प्रकाश का स्रोत सूर्य ही है।
ग्रह (Planets)
जब हम रात के समय आकाश में देखते हैं तो कुछ पिण्ड तारों के समान दिखायी देते हैं। इनमें से कुछ तो तारों की तुलना में अधिक चमकदार एवं बड़े दिखायी देते हैं।
समय के साथ तारों के सापेक्ष, इनकी स्थितियों में परिवर्तन होता रहा है। ये खगोलीय पिण्ड ग्रह कहलाते हैं। ग्रह ऐसे खगोलीय पिण्ड हैं जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं। वे स्वयं प्रकाश उत्सर्जित नहीं करते। ग्रह हमें तारों की भाँति चमकीले इसलिये दिखायी देते हैं क्योंकि ये अपने ऊपर पड़ने वाले सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करते हैं।
वैज्ञानिकों द्वारा सौरमण्डल में उपस्थित निम्नलिखित ग्रहों को वर्णित किया गया है-
1. बुध (Mercury) – बुध ग्रह सूर्य के सबसे निकट का ग्रह है। यह पृथ्वी से बहुत छोटा ग्रह है। इस ग्रह पर वायु नहीं है, इस कारण इस पर जीवन सम्भव नहीं है। इसका व्यास 4878 किमी. और सूर्य से दूरी 5.7 करोड़ किमी. है। यह 88 दिन में सूर्य की परिक्रमा कर लेता है। बुध अपने दीर्घ वृत्तीय कक्ष में 1 लाख 76 हजार किमी. प्रति घण्टे की गति से घूमता है। यहाँ दिन अति गर्म और रातें बर्फीली होती हैं।
2. शुक्र (Venus) – यह ग्रह बुध तथा पृथ्वी के बीच में स्थित है। अतः यह रात के समय समस्त आकाशीय पिण्डों में सबसे अधिक चमकीला दिखायी देता है। इसका आकार लगभग पृथ्वी के आकार के समान है। इसका व्यास 12102 किमी. और सूर्य से दूरी 10-82 करोड़ किमी. है। यह सूर्य की परिक्रमा 225 दिन में पूरी करता है। शुक्र गर्म और तपता हुआ ग्रह है।
3. पृथ्वी (Earth) – पृथ्वी एक ऐसा ग्रह है जिस पर ऑक्सीजन, पानी तथा अनुकूल तापमान है। इस कारण पृथ्वी पर जीवन सम्भव है। सूर्य से दूरी के क्रम में पृथ्वी तीसरा ग्रह है। पृथ्वी का केवल एक प्राकृतिक उपग्रह (चन्द्रमा) है। पृथ्वी एक काल्पनिक अक्ष के सापेक्ष घूर्णन करती है जो कि इसके उत्तर तथा दक्षिणी ध्रुवों से गुजरता है। पृथ्वी का यह घूर्णन अक्ष इसकी कक्षा के तल से 232° कोण पर झुका हुआ है। पृथ्वी अपने अक्ष पर एक सम्पूर्ण चक्कर (घूर्णन) के लिये लगभग 24 घण्टे का समय लेती है। पृथ्वी का व्यास 12756 किमी. है और सूर्य से औसत दूरी 14.96 करोड़ किमी. है। पृथ्वी अपने घूर्णन के साथ-साथ सूर्य की परिक्रमा भी कर रही है। पृथ्वी, सूर्य की परिक्रमा लगभग एक वर्ष अर्थात् 365 दिन में पूर्ण करती है। परन्तु वास्तव में पृथ्वी, सूर्य की परिक्रमा 365.25 दिन में पूर्ण करती है। इन दोनों मानों का अन्तर 0.25 दिन अर्थात् 6 घण्टे है। चार वर्षों में यह अन्तर 4 ×6= 24 घण्टे अर्थात् एक दिन हो जाता है। अतः प्रत्येक चौथा वर्ष 366 दिन का मान्य किया गया है। इस चौथे वर्ष को अधिवर्ष (Leap year) कहते हैं। पृथ्वी पर मौसम का परिवर्तन पृथ्वी की घूर्णन अक्ष में झुकाव तथा सूर्य के सापेक्ष इसकी स्थिति में परिवर्तन के कारण होता है।
4. मंगल (Mars) – इसे पृथ्वी से देखा जा सकता है। इसकी त्रिज्या पृथ्वी की त्रिज्या के आधे से कुछ अधिक होती है। इसे लाल ग्रह भी कहते हैं। इसके दो प्राकृतिक उपग्रह है-फोबोस तथा डीबोस । यहाँ चट्टानें और शिलाखण्ड हैं।
5. बृहस्पति (Jupiter) – यह सभी ग्रहों में सबसे बड़ा ग्रह है। शुक्र तथा कभी-कभी मंगल के अतिरिक्त यह सभी ग्रहों से चमकीला दिखायी देता है। यद्यपि यह पृथ्वी तथा मंगल ग्रह की तुलना में बहुत कम सूर्य का प्रकाश प्राप्त करता है। सन् 2003 तक बृहस्पति के 49 प्राकृतिक उपग्रह ज्ञात थे। गिनीमेड बृहस्पति का सबसे बड़ा प्राकृतिक उपग्रह है। इसका व्यास 1 लाख 38 हजार 81 किमी. और सूर्य से औसत दूरी 77.83 करोड़ किमी. है। यह सूर्य की परिक्रमा में 11.9 वर्ष लगाता है।
[8:54 AM, 7/29/2022] Shubham Yadav: 6. शनि (Saturn) – यह ग्रह सूर्य से अत्यधिक दूर स्थित होने के कारण अधिक ठण्डा होता है। टाइटन शनि का सबसे बड़ा प्राकृतिक उपग्रह है। इसका व्यास 1 लाख 20 हजार 500 किमी. है और यह सूर्य से 142.7 करोड़ किमी दूर है। यह सूर्य की परिक्रमा 30 वर्ष में पूरी करता है।
7. अरुण (Uranus)- दूरदर्शी की सहायता से खोजा गया यह पहला ग्रह है। इसकी खोज सन् 1781 में विलियम हर्शल ने की थी। अभी तक इसके 21 प्राकृतिक उपग्रहों की खोज हो चुकी है। इसकी सूर्य दूरी 287 करोड़ किमी. है और व्यास 51400 करोड़ किमी है। यह सूर्य की परिक्रमा में 84 वर्ष का समय लगाता है।
8. वरुण (Neptune) – इस ग्रह के आठ प्राकृतिक उपग्रह हैं, जिनमें से एक ट्राइटॉन उपग्रह सौरमण्डल में सबसे बड़े उपग्रहों में से एक है। वरुण की खोज सन् 1846 में जर्मन खगोलशास्त्री जोहान गाले ने अरुण की कक्षा में विसंगति के फलस्वरूप की। इसका व्यास 48600 किमी. है और यह सूर्य से 497 करोड़ किमी. दूर है। यह सूर्य की परिक्रमा 164.8 वर्षों में पूरी करता है और अपनी धुरी पर 16 घण्टे में पूरा चक्कर लगाता है। यह ग्रह हल्का पीला दिखायी देता है।
पुरानी मान्यताओं के अनुसार नौ ग्रह माने जाते हैं परन्तु 24 अगस्त 2006 को अन्तर्राष्ट्रीय खगोल विज्ञान यूनियन द्वारा पारित प्रस्ताव के अनुसार प्लूटो अब ग्रह की परिभाषा में नहीं आता अतः उसे ग्रहों में नहीं गिना जाता। यह एक बौना ग्रह है।