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विलियम एडम की शिक्षा योजना
विलियम ऐडम बेप्टिस्ट मिशनरी था। तत्कालीन गर्वनर जनरल लार्ड विलियम बैण्टिक ने उसे बंगाल प्रान्त में शिक्षा की स्थिति की जाँच करने का महत्त्वपूर्ण कार्य सौंपा था। समसामयिक समाज सुधारक राजा राममोहन राय तथा ईश्वरचन्द्र विद्यासागर आदि महापुरुषों के सम्पर्क में आने पर वह भारतीय संस्कृति से काफी प्रभावित था। उसने 1835 से 1838 के मध्य तीन प्रतिवेदन विलियम बैण्टिक के सामने प्रस्तुत किये, जो कि निम्नलिखित प्रकार हैं-
1. प्रथम प्रतिवेदन (First Report)- ऐडम ने इस प्रतिवेदन में बंगाल की तात्कालिक भारतीय शिक्षा के प्रसार सम्बन्धी आँकड़े प्रस्तुत किये हैं। डॉ. ए. एन. बसु ने उसके एक अंश को उद्धृत करते हुए लिखा है- “प्राथमिक शिक्षा जनसामान्य के लिए थी। यह एक ऐसा विशाल आयोजन था, जिसमें असंख्य पाठशालाएँ सम्पूर्ण देश में फैली हुई थीं। प्रायः प्रति गाँव में अपना अलग स्कूल या पाठशाला थी। ऐसा माना जाता है कि 1838 में केवल बंगाल में ही लगभग एक लाख पाठशालाएँ उपलब्ध थीं। “
2. द्वितीय प्रतिवेदन (Second Report) – ऐडम की यह रिपोर्ट काफी व्यापक है। इसके अन्तर्गत राजशाही जिले के नाटौर थाने की शिक्षा उपलब्धियों की विस्तृत समीक्षा प्रस्तुत की गयी है।
इसमें प्रस्तुत किये गये आँकड़े निम्नलिखित प्रकार थे-
(1) कुल जनसंख्या | 1,95,296 |
(2) कुल ग्रामों की संख्या | 458 |
(3) प्राथमिक विद्यालय |
27 (10 फारसी, 4 अरबी, 11 बंगला तथा 2 मिश्रित स्कूल ) |
(4) विद्यार्थियों की संख्या | 262 |
(5) शिक्षकों की संख्या | उपयुक्त |
(6) शिक्षकों का वेतन | रुपये 5-8 तक। |
(7) शिक्षा व्यवस्था | अधिकांश रूप से व्यक्तिगत रूप में प्रदान की जाती थी। |
(8) स्त्री शिक्षा | लगभग शून्य थी। |
3. तृतीय प्रतिवेदन (Third Report) – ये उपर्युक्त दोनों प्रतिवेदनों की तुलना में अधिक विस्तृत है, क्योंकि इसमें बंगाल के काफी जिलों की शिक्षा समीक्षा प्रस्तुत की गयी है। उपर्युक्त वर्णनात्मक सर्वेक्षणों के आधार पर ऐडम ने जो शिक्षा के स्वरूप के सन्दर्भ में सुझाव प्रस्तुत किये, वे निम्नलिखित हैं-
(1) शिक्षा की उचित व्यवस्था हेतु क्षेत्रीय भाषाओं को प्राथमिकता दी जाय। इस कार्य के लिए देशी एवं विदेशी विद्वान् मिल-जुलकर पाठ्य-पुस्तकों का क्रमबद्ध (Graded) रूप से प्रकाशन एवं मुद्रण करें।
(2) विद्यालयों एवं शिक्षकों के कार्यों का निरन्तर निरीक्षण करने के लिए प्रत्येक जिले में एक निरीक्षक की नियुक्ति की जाय।
(3) शिक्षकों के प्रशिक्षण हेतु ‘नॉर्मल स्कूलों’ (Normal School’s) की स्थापना की जाय।
(4) सभी स्कूलों में परीक्षाएँ एक निश्चित समय पर ही आयोजित की जायें।
(5) ग्रामीण विद्यालयों का व्यय भूमिदान से प्राप्त किया जाय।
(6) कृषि शिक्षा हेतु इन विद्यालयों में कृषि फॉर्म स्थापित किये जायें।
दुर्भाग्यवश विलियम बैण्टिक के जाने के बाद जब लॉर्ड ऑकलैण्ड के समक्ष यह योजना मैकॉले ने अपनी नकारात्मक टिप्पणी के साथ प्रस्तुत की तो इस योजना पर पानी फिर गया और यह एक मात्र ऐतिहासिक दस्तावेज बनकर ही रह गयी।