अनुक्रम (Contents)
लय की परिभाषा
लय की परिभाषा- रट के अनुसार, “लय निरन्तर होने वाली संगठित गति है। यह नियमित, दोहराव वाली गतियों और विभिन्न अन्तरों वाली गतियों से प्राप्त की जा सकती है। यह कला और प्रकृति में महत्वपूर्ण होती है।”
गोल्डस्टेन एवं गोल्डस्टेन के अनुसार, “कला में लय का अर्थ है रेखा, स्वरूप या रंग द्वारा निर्मित ऐसी व्यवस्था जिस पर आँखें यात्रा करती हैं। लय गति से सम्बन्धित होती हैं।” डिजाइन में सभी गतियाँ आवश्यक रूप से लयपूर्ण नहीं होती। कभी-कभी गति अविचलित भी करती है।”
क्रेग और रश के अनुसार, “यह वह डिजाइन का सिद्धान्त है जो लगातार गतियों की सिफारिशें करता है।”
लय के प्रकार
लय दो प्रकार की होती है- (1) नियमित लय एवं (2) स्वच्छन्द लय।
(1) नियमित लय- इस प्रकार की लय एकरूपता और क्रम प्रस्तुत करने की सबसे पुरानी और आसान विधि है। यह संगीत, नृत्य और कविता में आधार तत्व होती है। साथ ही यह वास्तुकला, आन्तरिक सज्जा और परिधान में भी महत्वपूर्ण होती है। यह नियमित रेखाओं की प्रणाली होती है जैसे दोहरे कॉलम की पंक्ति या धारीदार वस्त्र।
(2) स्वच्छन्द लय- यह अनियमित अन्तरों से या असमान भागों में पायी जाती है। इस प्रकार की लय में आँखें आसानी से घूमने वाली रेखाओं पर विचरण करती हैं या इसमें किसी भी स्थान पर इधर और उधर इस प्रकार दबाव द्वारा उत्तेजना उत्पन्न की जाती है ताकि इच्छित संवेगात्मक प्रभाव उत्पन्न किया जा सके। इस प्रकार की लय में किसी भी वस्तु का पूर्ण रूप में महत्व होता है। इस प्रकार की लय द्वारा फर्नीचर के समूह में सभी फर्नीचर को एकता प्रदान की जाती है साथ ही प्रत्येक समूह को पास वाले समूह से सम्बन्धित किया जाता है।
लय उत्पन्न करने के तरीके
लय विभिन्न गतियों द्वारा प्राप्त की जाती है। यह गतियाँ इस प्रकार हो सकती हैं-
1. दोहराव द्वारा – एक निश्चित अन्तर पर विभिन्न आकारों को दोहराने से एक गति उत्पन्न होती है। यह गति आँखों को एक इकाई से दूसरी इकाई में इस प्रकार ले जाती है जिससे वह वस्तु एकरूप हो जाती है और उसमें लय उत्पन्न हो जाती है। इस विधि से उत्पन्न लय द्वारा विश्राम का प्रभाव उत्पन्न होता है। कुछ आकारों को अकेले उपयोग में लाने में कठिनाई उत्पन्न होती है जबकि समूह में उन्हें आसानी से उपयोग में लाया जा सकता है।
2. अनुक्रम द्वारा- वस्तुओं के आकार में उत्तरोत्तर वृद्धि द्वारा भी लय प्राप्त की जा – सकती है। जैसे यदि केन्द्र में बड़ी लेस व दोनों ओर उससे छोटे आकार की लेस व पुनः उसके नीचे उससे छोटे आकार की लेस लगाने में सीढ़ीनुमा व्यवस्था हो जाती है और आँखे एक स्थान से गति करके ऊपर की ओर जाती है व पुनः दूसरी ओर से नीचे आ जाती है। आकार में उत्तरोत्तर वृद्धि का परिणाम कभी-कभी बुरा भी होता है क्योंकि इसमें आँखें तीव्र गति से यात्रा करती हैं। कई बार इसमें आँखें एक स्थान से गति करके गलत स्थान पर लौटती हैं।
3. लगातार रेखीय गतियों द्वारा- लगातार रेखीय गतियों द्वारा भी आकर्षक – तरीके से लय उत्पन्न की जा सकती है। इनमें आँखे बिना अन्त के लगातार गति करती है। कई बार इन रेखाओं की गलत दिशाओं के कारण लय का अभाव उत्पन्न हो जाता है और आँखें इन पर गति करने से थक जाती हैं। कभी-कभी बड़ी योजनाओं में जैसे हस्तशिल्प की लेस में उपर्युक्त तीनों प्रकार की विधियों को मिश्रित करके लय उत्पन्न की जाती है।
4. विकिरण द्वारा- जब किसी अक्ष में कई रेखाएँ एक साथ निकलती हैं तो इस प्रकार की लय उत्पन्न होती है। सामान्यतः आन्तरिक सज्जा में इसका प्रयोग कम ही देखा जाता है।
परिधान में लय का महत्व
लयपूर्ण रेखाओं की गति का सिद्धान्त परिधान की डिजाइन बनाने के उपयोग में लाया जाता कई बार कुछ नमूने छोटे स्थान पर बड़े लयपूर्ण दिखाई देते हैं, किन्तु जब इसे बड़े क्षेत्र में दोहराया जाता है तो यह बहुत अधिक क्रियाशीलता दर्शाते हैं और परिधान के आकर्षण में कमी करते हैं। अतः परिधान की पृष्ठभूमि को या तो सादा रखना चाहिए या बहुत शांत एवं सौम्य डिजाइन का उपयोग करना चाहिए ताकि अन्य परिसज्जाओं को एक अच्छी पृष्ठभूमि मिल सके। अच्छी डिजाइन की प्रथम आवश्यकता होती है कि यह उसके उद्देश्य के अनुरूप हो और इस बात को डिजाइन के प्रकार का चुनाव करने से पूर्व ही ध्यान रखना आवश्यक होता है।
Important Links
- मणिपुरी की कढ़ाई | Manipuri embroidery in Hindi
- लखनऊ की चिकनकारी कढ़ाई | Chikankari embroidery of Lucknow
- बंगाल की कांथा कढ़ाई | Kantha of Bengal in Hindi
- कश्मीर की कसीदा कढ़ाई | Kashida of Kashmir embroidery in Hindi
- चम्बे की रुमाल पंजाब की कढ़ाई | Chamba Rumals In Hindi
- कर्नाटक की कसूती | Kasuti of Karnataka in Hindi
- काठियावाड़ की कढ़ाई | Kathiawar Embroidery in Hindi
- कढ़ाई कला के विभिन्न चरण | Different Steps of Embroidery in Hindi
- घरेलू हिंसा के प्रमुख कारण | घरेलू हिंसा रोकने के सुझाव
- अन्तर पीढ़ी संघर्ष की अवधारणा
- संघर्ष का अर्थ एवं परिभाषा, विशेषताएँ या प्रकृति
- जातीय संघर्ष- कारण, दुष्परिणाम तथा दूर करने का सुझाव
- तलाक या विवाह-विच्छेद पर निबन्ध | Essay on Divorce in Hindi
- दहेज प्रथा पर निबंध | Essay on Dowry System in Hindi
- अपराध की अवधारणा | अपराध की अवधारणा वैधानिक दृष्टि | अपराध की अवधारणा सामाजिक दृष्टि
- अपराध के प्रमुख सिद्धान्त | Apradh ke Siddhant