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आदत क्या है? | आदत की परिभाषा | आदतों के प्रकार | आदतों का निर्माण

आदत क्या है
आदत क्या है

आदत क्या है? (What is habit?)

जो कार्य हमें पहले कठिन जान पड़ता है, वह सीखने के बाद सरल हो जाता है। हम उसे जितना अधिक दोहराते हैं, उतना ही अधिक वह सरल होता चला जाता है। कुछ समय के बाद, हम उसे बिना ध्यान दिये, बिना प्रयास किये, बिना सोचे-समझे, ज्यों का त्यों करने लगते हैं। इसी प्रकार के कार्य को आदत कहते हैं। दूसरे शब्दों में, आदत एक सीखा हुआ कार्य या अर्जित व्यवहार है, जो स्वतः होता है।

आदत की परिभाषा 

हम ‘आदत’ के अर्थ को और अधिक स्पष्ट करने के लिए तीन परिभाषाएँ दे रहे हैं; यथा-

गैरेट के अनुसार ” आदत उस व्यवहार को दिया जाने वाला नाम है, जो इतनी अधिक बार दोहराया जाता है कि यंत्रवत् हो जाता है।”

लैडेल के अनुसार – “आदत, कार्य का वह रूप है, जो आरम्भ में स्वेच्छा से और जान-बूझकर किया जाता है, पर जो बार-बारी किए जाने के कारण स्वतः होता है।”

मरसेल के अनुसार- ” आदतें, व्यवहार करने की और परिस्थितियों एवं समस्याओं का सामना करने की निश्चित विधियाँ होती हैं।”

विलियम जेम्स के अनुसार- “प्राणी के पूर्वकृत व्यवहारों की पुनरावृत्ति आदत है।”

गैरेट के अनुसार-” बराबर दोहराये जाने वाले स्वचालित व्यवहार का नाम आदत है।”

आदतों के प्रकार (Kinds of Habits)

आदतें, अच्छी और बुरी—दोनों प्रकार की होती हैं। इनका सम्बन्ध – जानने, सोचने, कार्य करने और अनुभव करने से होता है। वैलेनटीन ने इनका वर्गीकरण निम्न प्रकार किया है-

1. यान्त्रिक आदतें (Mechanical Habits) – इनका सम्बन्ध शरीर की विभिन्न गतियों से होता है और हम इनको बिना किसी प्रकार के प्रयास के करते हैं; जैसे- कोट के बटन लगाना या जूते के फीते बाँधना।

2. शारीरिक अभिलाषा सम्बन्धी आदतें (Habits of Physiological Graving)-  इनका सम्बन्ध शरीर की अभिलाषाओं की पूर्ति से होता है; जैसे-सिगरेट पीना या पान खाना।

3. नाड़ी-मंडल सम्बन्धी आदतें (Nervous Habits) – इनका सम्बन्ध मस्तिष्क के किसी प्रकार से होता है। ये व्यक्ति के संवेगात्मक असन्तुलन को व्यक्त करती हैं; जैसे नाखून या कलम चबाना।

4. भाषा सम्बन्धी आदतें (Habits of Speech) – इनका सम्बन्ध बोलने से होता है। जिस प्रकार दूसरे बोलते हैं, उसी प्रकार बोलकर हम इन आदतों का निर्माण करते हैं। यदि शिक्षक शब्दों का गलत उच्चारण करता है, तो बालकों में भी वैसी ही आदत पड़ जाती है।

5. विचार-सम्बन्धी आदतें (Habits of Thought) – इनका सम्बन्ध आंशिक रूप से व्यक्ति के ज्ञान और आंशिक रूप से उनकी रुचियों एवं इच्छाओं से होता है; जैसे समय-तत्परता, तर्क या कारण-सम्बन्धी विचार।

6. भावना सम्बन्धी आदतें (Habits of Feeling) – इनका सम्बन्ध भी भावनाओं से होता है; जैसे—प्रेम, घृणा या सहानुभूति की भावना।

7. नैतिक आदतें (Moral Habits)- इनका सम्बन्ध नैतिकता से होता है। जैसे- सत्य बोलना या पवित्र जीवन व्यतीत करना ।

आदतों का निर्माण (Formation of Habits)

आदतों का निर्माण करने के लिए अनेक नियम, उपाय या सिद्धान्त हैं, जिनमें से मुख्य दृष्टव्य हैं-

1. संकल्प (Resolution) – हम जिस कार्य को करने की आदत डालना चाहते हैं, उसके बारे में हमें दृढ़ संकल्प करना चाहिए। यदि हम प्रातः काल व्यायाम करने की आदत डालना चाहते हैं, तो हमें यह प्रतिज्ञा करनी चाहिए कि हम व्यायाम अवश्य करेंगे, चाहे कुछ भी क्यों न हो । जेम्स का परामर्श है- “हमें नये कार्य को अधिक-से-अधिक सम्भव दृढ़ता और निश्चय से आरम्भ करना चाहिए।”

2. क्रियाशीलता (Activity) – हम जिस कार्य को करने की आदत डालना चाहते हैं, उसके लिए केवल संकल्प ही पर्याप्त नहीं है। संकल्प को कार्य रूप में परिणत करना भी आवश्यक है। जेम्स का कथन है— ” जो संकल्प आप करें, उसे पहले अवसर पर ही पूर्ण कीजिए। “

3. निरन्तरता (Continuity) – हम जिस कार्य को करने की आदत डालना चाहते हैं, उसे हमें निरन्तर करते रहना चाहिए। उसमें कभी भी किसी प्रकार का विराम या शिथिलता नहीं आने देनी चाहिए जेम्स के अनुसार – ” जब तक नई आदत आपके जीवन में पूर्ण रूप से स्थायी न हो जाय, तब तक उसमें किसी प्रकार का अपवाद नहीं होने देना चाहिए।”

4. अभ्यास (Exercise)- हम जिस कार्य को करने की आदत डालना चाहते हैं, उसका हमें प्रतिदिन अभ्यास करना चाहिए। जेम्स का मत है- “प्रतिदिन थोड़े से ऐच्छिक अभ्यास द्वारा कार्य करने की शक्ति को जीवित रखिए।” इस मूल मंत्र को सदैव याद रखिए―” करत-करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान।”

5. अच्छे उदाहरण (Good Examples) – अच्छी आदतों का निर्माण करने के लिए अच्छे उदाहरण परम आवश्यक हैं। अतः शिक्षक को अच्छी आदतों के सम्बन्ध में उपदेश देने के बजाय बालकों के समक्ष अच्छे उदाहरण प्रस्तुत करने चाहिए । जेम्स का शिक्षक को परामर्श है—“अपने छात्रों को बहुत अधिक उपदेश मत दीजिए।”

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shubham yadav

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