पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी का जीवन परिचय (chandradhar sharma guleri biography in hindi)- ये प्रसिद्ध साहित्यकार एवं कई भाषाओं के ज्ञाता रहे। चंद्रधर शर्मा गुलेरी का जन्म 1883 में जयपुर में हुआ था। इनके पिता पंडित शिवराम शर्मा संस्कृत के प्रकांड ज्ञाता रहे, एवं जयपुर राजा के दरबार में थे। चंद्रधर ने शुरुआती शिक्षा अपने पिता से प्राप्त की और सात वर्ष की अल्पायु में ही भली प्रकार से संस्कृत उच्चारण करने लगे थे। प्रयाग विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् ये अजमेर के ‘मेयो कॉलेज’ में शिक्षक नियुक्त हुए और फिर वहीं संस्कृत प्राचार्य भी बने।
जीवन परिचय बिंदु | guleri biography in hindi |
पूरा नाम | पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी |
जन्म | 7 जुलाई, 1883 |
जन्म स्थान | जयपुर, राजस्थान |
पहचान | कथाकार, व्यंगकार तथा निबन्धकार |
मृत्यु | 12 सितम्बर 1922, काशी, उत्तर प्रदेश |
यादगार कृतियाँ | उसने कहा था. |
प्रतिभासंपन्न चंद्रधर शर्मा गुलेरी ने अपनी लेखनी से संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी, पाली, प्राकृत व अपभ्रंश भाषाओं पर असामान्य अधिकार प्राप्त किया। इन्हें / थी। मराठी, बंगला, लैटिन, फ्रेंच व जर्मन इत्यादि भाषाओं की भी खासी समझ इनके अध्ययन का क्षेत्र बेहद व्यापक रहा। साहित्य, दर्शन, भाषाविज्ञान, प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्त्व ज्योतिष तमाम विषयों के ये ज्ञाता रहे। इनमें से कोई भी विषय ऐसा नहीं, जिस पर गुलेरी जी ने अधिकारपूर्वक लिखा न हो। ये अपनी रचनाओं में प्रत्येक वांछित स्थान पर वेद उपनिषद्, सूत्र, पुराण, रामायण और महाभारत के संदर्भों का बखान किया करते थे। इस कारण इन ग्रंथों से परिचित पाठक ही इनकी रचनाओं को ठीक प्रकार से समझ सकता था। ग्रंथ रचना की बजाय स्फुट लेखों के माध्यम से ही इन्होंने ज्यादा साहित्य-सृजन किया।
हिंदी साहित्य में इनकी सर्वाधिक प्रसिद्धि 1915 में ‘सरस्वती’ मासिक में प्रकाशित कहानी ‘उसने कहा था’ के कारण हुई। यह कहानी शिल्प एवं विषय-वस्तु की दृष्टि से आज भी बेजोड़ मानी व कही जाती है। इनकी अन्य कहानियां हैं ‘सुखमय जीवन’, ‘बुद्ध का कांटा’ इत्यादि।
गुलेरी जी की योग्यता से प्रभावित होकर मालवीय जी इन्हें प्राच्य विद्या और धर्म विज्ञान महाविद्यालय का प्राध्यापक बनाकर हिंदू विश्वविद्यालय में ले आए थे। गुलेरी जी की ज्यादातर रचनाएं हिंदी में हैं। जयपुर के ‘समालोचक’ नामक पत्र का संपादन भी इन्होंने किया। 1922 में महज 39 वर्ष की अल्पायु में ही गुलेरी जी ने इस संसार को अलविदा कह दिया।
अनुक्रम (Contents)
चंद्रधर शर्मा की रचनाएं
यह सबसे अधिक प्रसिद्ध अपने निबंधों की वजह से हुए। इसलिए लोग इन्हें प्रसिद्ध निबंधकार कहते थे, क्योंकि इनके द्वारा 90 से अधिक निबंध की रचना की गई थी।
साल 1903 में जब जयपुर से जैन वैद्य के जरिए समालोचक पत्र प्रकाशित होना शुरू हुआ था तो उसमें यह संपादक के तौर पर भी काम करने लगे और सही प्रकार से इन्होंने समालोचक पत्रिका में अपने निबंध और अपनी टिप्पणी लिखी। इनके द्वारा लिखे गए निबंध में मुख्य तौर पर इतिहास, दर्शन, धर्म, मनोविज्ञान और पुरातत्व संबंधी वस्तुएं होती थी।
पंडित चंद्रधर शर्मा जी के द्वारा कुछ प्रमुख निबंध लिखे गए थे, जिनके नाम निम्नानुसार है।
1: निबंध
- शैशुनाक की मूर्तियाँ
- देवकुल
- पुरानी हिन्दी
- संगीत
- कच्छुआ धर्म
- आँख
- मोरेसि मोहिं कुठा
पंडित चंद्रधर शर्मा जी के द्वारा लिखित कुछ प्रमुख कविताओं के नाम निम्नानुसार है।
2: कविताएँ
- एशिया की विजय दशमी
- भारत की जय
- वेनॉक बर्न
- आहिताग्नि
- झुकी कमान
- स्वागत
- ईश्वर से प्रार्थना
- कहानी संग्रह
- उसने कहा था
- सुखमय जीवन
- बुद्धु का काँटा
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