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राष्ट्रीय सद्भावना से आप क्या समझते हैं?
राष्ट्रीय सद्भावना का तात्पर्य एक राष्ट्र के निवासियों की उस भावनात्मक या आन्तरिक एकता से है, जिसमें वे अपनी एक विशिष्ट जाति, वर्ग, धर्म, संस्कृति, सम्प्रदाय तथा प्रान्त के संकीर्ण हितों को भूलकर सम्पूर्ण राष्ट्र की एक सामान्य संस्कृति, सामान्य भाषा, सामान्य भौगोलिक तथा राजनैतिक परिस्थिति तथा सामान्य जीवन-शैली को अपनाते हैं और सम्पूर्ण राष्ट्र की प्रगति की उत्कृष्ट आकांक्षा करते हैं।
राष्ट्रीय एवं भावात्मक एकता सम्मेलन के अनुसार – “राष्ट्रीय एवं भावात्मक सद्भावना एक मनोवैज्ञानिक तथा शैक्षिक प्रक्रिया है, जिसके अन्तर्गत जनता के हृदय में एकता, संगठन और संशक्ति की भावना, एक समान नागरिकता की अनुभूति तथा राष्ट्र के प्रति वफादारी की भावना का विकास होता है।” राष्ट्रीय सद्भावना का तात्पर्य एक राष्ट्र के निवासियों की उस भावात्मक या आन्तरिक एकता से है, जिसमें वे अपनी एक विशिष्ट जाति, वर्ग, धर्म, संस्कृति, सम्प्रदाय तथा प्रान्त के संकीर्ण हितों को भूलकर सम्पूर्ण राष्ट्र की एक सामान्य संस्कृति, सामान्य भाषा, सामान्य भौगोलिक तथा राजनैतिक परिस्थिति तथा सामान्य जीवन-शैली को अपनाते हैं। और सम्पूर्ण राष्ट्र की प्रगति की उत्कृष्ट आकांक्षा रखते हैं। राष्ट्रीय सद्भावना के स्वरूप को सुन्दरतम् बनाने में शिक्षा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आज हमें ऐसी शिक्षा की आवश्यकता है जो समस्त प्राणी मात्र को एकरूप में संगठित करे। वह अपने और पराये के भेद को समाप्त कर दे। ऊँच-नीच की खाई को सदैव के लिये पाट दे। भारत की बदलती हुई परिस्थितियों में शिक्षा ही एक ऐसा अभीष्ट साधन है, जिसके द्वारा राष्ट्र की एकता को सबल तथा संगठित किया जा सकता है।
सद्भावना दिवस क्यों मनाया जाता है?
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी के जन्म दिवस को सद्भावना दिवस के रूप में हर साल 20 अगस्त को मनाया जाता है. सद्भावना मतलब एक दुसरे के प्रति अच्छी भावना रखना. राजीव गाँधी भारत देश के एक युवा नेता एवं प्रधानमंत्री थे. इन्होने भारत देश के विकास के लिए अनेकों कार्य किये, इनकी सरकार का एक ही उद्देश्य था, कि देश के सभी जाति धर्म के लोग एक दुसरे से प्यार करे, एक दुसरे के प्रति अच्छी भावना रखें.