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जन माध्यम की आचार संहिता का अर्थ
जन माध्यम शक्तिशाली माध्यम है। इसकी शक्ति से राजनीतिज्ञ, नौकरशाह, पुलिस तक भयभीत रहती है। ऐसा भी देखा गया है कि अगर समाचार लोगों के पक्ष में न हो तो वे जन माध्यमों में अपना जिक्र तक नहीं चाहते। और जन माध्यम जब किसी की तारीफ करते हैं तो लोग खुश हुए बिना नहीं रहते।
लेकिन जन माध्यमों को यह शक्ति इसलिए मिली है कि उनकी जिम्मेदारियाँ भी तय की गई हैं। उन पर एक आचार संहिता लागू है। अगर वे इसका अतिक्रमण करेंगे तो उन पर कार्रवाई की जा सकती है। अगर जन माध्यम अपना काम इस तरह करने लग जाएँ कि दूसरों को तकलीफ होनी शुरू हो जाए तो तब तो वे अपनी विश्वसनीयता ख़त्म कर लेंगे। जैसे की अन्य पेशों जैसे- वकील, इंजीनियर, भवन निर्माता आदि के कामों पर किया जाने लगा है। जैसे डॉक्टर और वकील के लिए एक आचार संहिता बनाई गई है और अगर उसका उल्लंघन करता है तो उसके विरुद्ध कार्रवाई की जा सकती है उसी प्रकार अगर जनमाध्यम कर्मी अर्थात् पत्रकार आचार संहिता का अतिक्रमण करते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
यह बाद भी ध्यान रखनी चाहिए कि जन माध्यम में काम करने वाले पत्रकारों के लिए कुछ दिशा-निर्देश तय किए गए हैं जिनका हर मीडिया कर्मी को पालन करना है। उनके लिए इतना कठोर दण्ड नहीं है जितना कि डॉक्टर या वकील के लिए तय किया गया है।
जन माध्यम की आचार संहिता में कथित दिशा-निर्देश
जन माध्यमों के लिए आचार संहिता बनाई गई है। उसे हम इस प्रकार समझ सकते हैं।
शुद्धता : मीडियाकर्मी को सूचना सही देनी चाहिए। अगर किसी दुर्घटना में दस ही लोग मरे हैं तो वह दस बताए न कि बीस। इसी तरह अगर वह किसी पर बेईमानी का आरोप लगाता है तो दूसरे व्यक्ति को भी अपना पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर देना जाना चाहिए।
विश्वसनीयता : मीडियाकर्मी को अपने स्रोतों द्वारा बताई गई सूचना की विश्वसनीयता बनाए रखनी चाहिए।
स्रोत का बचाव: जिन स्रोतों से मीडियाकर्मी को सूचनाएँ प्राप्त होती हैं उनको कभी उद्घाटित नहीं करना चाहिए। अगर सरकारी अधिकारी सरकार में फैले भ्रष्टाचार की किसी मीडियाकर्मी को सूचना देता है तो उसका नाम किसी भी स्थिति में उजागर नहीं करना चाहिए।
गोपनीयता का अधिकार : मीडियाकर्मी के पास गोपनीयता का अधिकार है और उसे उस अधिकार का सम्मान करना चाहिए। इसका अर्थ यह है कि मीडियाकर्मी को किसी के व्यक्तिगत जीवन में घटित बातों को सनसनीखेज बनाकर नहीं छापना चाहिए।
हिंसा को उत्तेजित करने का अधिकार नहीं किसी मीडियाकर्मी को ऐसी ख़बरें लिखने का अधिकार नहीं है जिनसे समाज में हिंसा भड़क सकती है। हिंसा को किसी भी प्रकार से महिमामंडित नहीं करना चाहिए।
अस्पष्टता और अश्लीलता न हो : मीडियाकर्मी को इस तरह के समाचारों से बचना चाहिए जो अस्पष्ट हो और जिनका उद्देश्य समाज में अश्लीलता परोसना हो ।
सांप्रदायिक लेखन नहीं : पत्रकारों को निष्पक्ष व संप्रदाय विशेष से जुड़कर लेखन नहीं करना चाहिए। भारत धर्मनिरपेक्ष देश है। यहाँ विभिन्न धर्मों को मानने वाले रहते हैं। ऐसे में इस तरह के समाचारों से बचना चाहिए जिनसे समाज में सांप्रदायिक भावनाएँ भड़क सकती हैं। असल में, जन माध्यम मीडियाकर्मी के पास ऐसा माध्यम है जिनसे इस तरह की भावनाएँ चुटकी बजाते ही भड़क सकती हैं।