अनुक्रम (Contents)
शिक्षा के उद्देश्यों को निर्धारित करने की आवश्यकता
किसी विद्वान ने ठीक ही कहा है कि “उद्देश्यों के ज्ञान के बिना शिक्षक एक ऐसे नाविक के समान है जिसे अपने लक्ष्य या इष्ट का पता नहीं हैं तथा बालक एक पतवारविहीन नौका के समान है जो किनारों पर भटकता रहता है।”
इसका अभिप्राय यह है कि वह शिक्षा प्रणाली जिसे अपने उद्देश्यों का उचित ज्ञान नहीं, वह अवश्य ही असफल होगी। हमारी सभी शिक्षण विधियाँ, पाठ्यक्रम, मूल्यांकन प्रणाली को शिक्षा के उद्देश्यों के अनुसार ही आकार दिया जाता है। इसलिए शिक्षा के उद्देश्यों को निर्धारित करने की अत्यधिक आवश्यकता है, इसके बिना कोई भी शिक्षा प्रणाली ठीक प्रकार से कार्य नहीं कर सकती। उद्देश्य शिक्षा प्रणाली को सही स्वरूप प्रदान करने में निम्न प्रकार से सहायता करते हैं-
1. उद्देश्य शिक्षा को दिशा प्रदान करते हैं (Aims Provide Direction to Education)- उद्देश्य विद्यार्थियों तथा अध्यापकों को दिशा प्रदान करते हैं। उद्देश्यों के बिना शिक्षा ‘पतवार विहीन नौका’ के समान है। यह केवल पतवार ही है जो नाविक को अपनी नाव को उचित दिशा में ले जाने में सहायता करती है, नहीं तो यह हवा की दया पर थपेड़े खाती रहेगी। इसी प्रकार उद्देश्य अध्यापक को उसके कार्य संचालन हेतु मार्गदर्शन की दिशा प्रदान करते हैं। साथ ही, यह शैक्षिक प्रक्रिया को अस्पष्ट तथा अव्यवस्थित होने से बचाते हैँ ।
2. शैक्षिक प्रक्रिया का मूल्यांकन करने हेतु (To Evaluate Educational Process)- उद्देश्यों की सहायता से, जो हमने ऐच्छिक लक्ष्यों की प्राप्ति तक पहुँचने के लिये साधन बनाये हैं, का उचित मूल्यांकन किया जा सकता है। इसकी सहायता से हम इसके सुधार के बारे में सोच सकते हैं। मूल्यांकन के क्षेत्र में उद्देश्य बैरोमीटर का काम करते हैं। वास्तव में उद्देश्य एक ऐसा साधन है जिसके आधार पर शैक्षिक प्रक्रिया की सफलता या असफलता का मापन किया जा सकता है।
3. उचित ढंग से कार्य करना (To Act in a Rational Manner)— उद्देश्य हमारी उचित तथा निर्णयात्मक ढंग से कार्य करने में सहायता करते हैं। ये शिक्षाशस्त्रियों को अपने निर्णयों का औचित्य जानने में सहायता करते हैं, जो उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में लिये हैं तथा किसी भी कार्य को बुद्धिमतापूर्ण ढंग से तथा अर्थपूर्ण ढंग से करने में हमारी सहायता करते हैं। जॉन ड्यूवी का कथन है “सोउद्देश्य क्रिया ही बुद्धिपूर्ण क्रिया है।” उद्देश्यों से आप इस बात को सहजता से जान जाते हैं कि आप क्या कर रहे हैं और क्यों कर रहे है।
4. कुशल स्कूल प्रशासन प्रदान करने हेतु (To Provide Efficient School Administration)- स्कूल प्रशासन सम्बन्धी प्रबंधन के विभिन्न पक्षों, जैसे- अध्यापकों का उचित चुनाव, उचित पाठ्यक्रम की योजना, उचित प्रयोगशाला की व्यवस्था, पाठ्य क्रियाओं तथा पाठ्य सहगामी क्रियाओं का उचित आयोजन आदि की शिक्षा के उद्देश्यों के द्वारा ही मार्गदर्शन होता है। ठीक ही कहा गया है कि महान उद्देश्यों से ही अच्छे स्कूलों का निर्माण होता है।
5. शिक्षा को अर्थपूर्ण बनाने हेतु (To Make Education Meaningful)- उद्देश्य के बिना शिक्षा का कोई अर्थ नहीं है। शिक्षा एक उद्देश्य पूर्ण तथा संगठित क्रिया है जिसके द्वारा एक निश्चित लक्ष्य को ध्यान में रखकर विद्यार्थी के व्यवहार को परिवर्तित करने का प्रयास किया जाता है। किसी ने आज के विद्यार्थी की मनःस्थिति का आकलन करते हुए कहा है-
“निकले थे कहाँ जाने के लिये, पहुँचे हैं कहाँ मालूम नहीं ।
अब उनके बहके कदमों को, मंजिल का निशा मालूम नहीं ॥”
6. अधिगमकर्त्ता को उद्देश्यों की अनुभूति की प्रेरणा देने हेतु (To Motivate Learners to Realize to Aims)- शैक्षिक उद्देश्यों की अनुभूति के लिये अधिगमकर्त्ता को प्रेरणा देने का कार्य उद्देश्यों के द्वारा पूरा किया जाता है। अधिगमकर्ता के द्वारा की गई क्रियायें शिक्षा के उद्देश्यों के द्वारा प्रभावित होती हैं। उद्देश्य मूल्य हैं। यदि वे ऐच्छिक हों तो उनको पूरा करने के लिये अधिगमकर्त्ता को अपनी शक्तियों का प्रयोग करने की प्रेरणा मिलती हैं।
7. राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने हेतु (To Achieve National Goals)- किसी भी देश की शिक्षा के उद्देश्य राष्ट्रीय लक्ष्यों के द्वारा प्रभावित होते हैं। यदि शैक्षिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये प्रयत्न किये जाते हैं तो इसका अभिप्राय है कि हम राष्ट्रीय लक्ष्य भी प्राप्त कर रहे हैं। राष्ट्रीय लक्ष्यों में परिवर्तन के परिणामस्वरूप शिक्षा के उद्देश्य में भी परिवर्तन हो जाते हैं। यही कारण है कि समय, काल, परिस्थितियों के अनुरूप शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन करने के प्रयास किये जाते हैं।