इतिहास

अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह द्वितीय|मुगल साम्राज्य के विघटन पश्चात् विदेशी आक्रमण

अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह द्वितीय|मुगल साम्राज्य के विघटन पश्चात् विदेशी आक्रमण
अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह द्वितीय|मुगल साम्राज्य के विघटन पश्चात् विदेशी आक्रमण

अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह द्वितीय|मुगल साम्राज्य के विघटन पश्चात् विदेशी आक्रमण

अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह द्वितीय|मुगल साम्राज्य के विघटन पश्चात् विदेशी आक्रमण– हेलो दोस्तों आप सब छात्रों के समक्ष “अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह द्वितीय|मुगल साम्राज्य के विघटन पश्चात् विदेशी आक्रमण,”इत्यादि के बारे में बतायेंगे. जो छात्र SSC, PCS, IAS, UPSC, UPPPCS, Civil Services  या अन्य Competitive Exams की तैयारी कर रहे है है उनके लिए ये ‘ अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह द्वितीय|मुगल साम्राज्य के विघटन पश्चात् विदेशी आक्रमण पढना काफी लाभदायक साबित होगा. 

बहादुर शाह द्वितीय (1837 ई. – 1857 ई.)

  • यह अंतिम मुगल बादशाह था। जफर इसका उपनाम था। 1857 ई. के विद्रोह के  बाद इसे बन्दी बना लिया गया, लेकिन कानूनी रूप से मुगल साम्राज्य 1 नवम्बर 1858 ई. को महारानी विक्टोरिया के घोषणा पत्र से समाप्त हो गया।
  • 1857 के विद्रोह में भाग लेने के कारण अंग्रेजों ने गिरफ्तार (अंग्रेज़ लेफ्टीनेंट हड़सन) कर मुक़दमा चलाया और अंत में बहादुरशाह जफ़र को निर्वासित कर रंगून भेज दिया गया वहां पर 1862 ई. में उसकी मृत्यु हो गई| इस प्रकार मुग़ल वंश का अंत हो गया।

मुगल साम्राज्य का पतन|मुगल साम्राज्य के पतन के कारण


 न किसी की आंख का नूर हूं, न किसी के दिल का करार हूं।
जो किसी के काम न आ सका, वों मै बुझता हुआ चिराग हूं।।

मुगल साम्राज्य के विघटन पश्चात् विदेशी आक्रमण

  • मुगल साम्राज्य के विघटन के साथ उत्तरी-पश्चिमी सीमा पर सुरक्षा प्रबंध कमजोर हो गये थे। इसी दौरान भारत पर पश्चिम से 2 आक्रमण हुए।

    1. नादिरशाह का आक्रमण

  • नादिरशाह (ईरान का नेपोलियन) फारस का शासक था। नादिरशाह भारत के प्रति आपार धन के कारण आकर्षित हुआ। उसकी इच्छा भारत के धन को लूटने की थी।
  • नादिरशाह, तहमास्यशाह की मृत्यु के बाद 1736 ई. में फारस का शासक बना था| उसने 1739 ई. में भारत पर आक्रमण किया| उसे कुछ मुग़ल दरबारियों का भी आक्रमण करने के लिए आमंत्रण मिला था |
  • नादिरशाह ने 11 जून, 1738 ई. को गजनी नगर में प्रवेश किया और 29 जून, 1738 ई. को काबुल पर अधिकार कर लिया। काबुल के मुगल शासक नासिर खां ने बिना प्रतिरोध के अधीनता स्वीकार कर ली और क्षमा याचना कर नादिरशाह से काबुल व पेशावर की गवर्नरी प्राप्त कर ली।
  • नादिरशाह ने अटक के स्थान पर सिंधु नदी पार किया ओर लाहौर के गवर्नर को हरा दिया। उसने भी उनकी अधीनता स्वीकार कर ली। इसके बाद फरवरी, 1739 ई. में नादिरशाह ने पंजाब पर आक्रमण किया।
  • परिणामस्वरूप मुहम्मदशाह अपने मीरबख्शी खाने दौरान, निजामुलमुल्क तथा सआदत खां आदि को लेकर पंजाब पहुंचा और करनाल का युद्ध हुआ।

    2. अहमदशाह अब्दाली का आक्रमण

  • नादिरशाह का वध 1747 ई. में किए जाने के बाद अहमदशाह अब्दाली कंधार का स्वतंत्र शासक बन बैठा। शीघ्र ही उसने काबुल को जीत लिया और आधुनिक अफगान राज्य की नींव रखी। नादिरशाह के वैध उत्तराधिकारी के रूप में उसने पश्चिमी पंजाब पर अपना दावा किया।
  • अहमदशाह अब्दाली ने हिंदुस्तान के विरूद्ध आक्रमण की थी। मुख्य रूप से इन  आक्रमणों का उद्देश्य भारत के धन को लूटना था, 1748 ई. में उसका पंजाब पर प्रथम आक्रमण असफल रहा। 1749 ई. में उसने पुनः आक्रमण किया और पंजाब के गवर्नर मुईनुलमुल्क को पराजित किया, 1752 ई. में उसने पंजाब पर तीसरा आक्रमण किया।
  • सम्राट अहमदशाह ने अहमदशाह अब्दाली को सिंध तथा पंजाब का प्रदेश  दिया। नवंबर, 1753 ई. में मोइनुलमुल्क की मृत्यु हो जाने पर वजीर इमादुलमुल्क ने अदीना बेग खां को पंजाब का सूबेदार नियुक्त किया।
  • अहमदशाह अब्दाली ने इसे पंजाब के कार्य में हस्तक्षेप बताया और नवंबर, 1756 ई. में वह भारतीय सीमाओं का उलंघन कर उसमें प्रवेश कर गया।
  • जनवरी, 1757 ई. में वह दिल्ली में प्रवेश कर गया और उसने मथुरा तथा आगरा तक लूटमार किया।
  • अपनी वापसी से पहले अब्दाली ने भारत में आलमगीर द्वितीय को सम्राट, इमादुलमुल्क के वीर एवं रुहेला सरदार नजीबुद्दौला को साम्राज्य का मीरबक्शी और अपना मुख्य एजेंट नियुक्त किया।
  • मार्च, 1758 ई. मराठा सरदार रघुनाथ राव दिल्ली पहुंचा और उसने नजीबुद्दौला को दिल्ली से निकाल दिया, फिर पंजाब को लूटा और अंतिम में अदीना बेग खां को पंजाब का गवर्नर नियुक्त कर लौट गया।
  • अहमदशाह अब्दाली ने मराठों से बदला लेने के लिए पुनः भारत पर आक्रमण किया। फलस्वरूप पानीपत का तृतीय युद्ध (14 जनवरी, 1761 ई.) हुआ जिसमें मराठों की पूर्णतया हार हुई।
  • अब्दाली ने 20 मार्च, 1761 ई. को दिल्ली छोड़ने से पहले पुनः शाहआलम-II को सम्राट, नजीबुद्दौला की मीरबक्शी और इमादुलमुल्क को वजीर नियुक्त किया।
  • अहमदशाह अब्दाली भारत में 6वीं बार मार्च, 1763 ई. में आया। अब्दाली का उद्देश्य सिक्खों को सजा देना था जिन्होंने पंजाब में अपनी शक्ति बढ़ा ली थी। परंतु, उसे अफगानिस्तान में आंतरिक अव्यवस्था उत्पन्न हो जाने के कारण वापस लौट जाना पड़ा।
  • अब्दाली का 7वां और अंतिम आक्रमण मार्च, 1767. में हुआ, परंतु यह आक्रमण भी असफल रहा और वह सिक्खों को कुचल नहीं सका|

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