अनुक्रम (Contents)
ज्ञान का अधिगम (Learning of Knowledge)
बालक में ज्ञान का विकास निम्न चरणों में होता है, जो उसके उच्च स्तरीय मानसिक विकास में परिवर्तित होता है।
1. ज्ञान (Knowledge)- ज्ञान में हम विशिष्टताओं का ज्ञान, शब्दावली का ज्ञान, विशिष्ट तथ्यों का ज्ञान, परम्पराओं का ज्ञान, प्रचलन तथा तारतम्य का ज्ञान, पद्धति, सार्वभौमिकता, तथ्यों तथा सामान्यीकरण, सिद्धान्तों तथा संरचनाओं का ज्ञान बालक को देते है। इस स्तर पर ज्ञान की प्राप्ति केवल स्मृति तथा प्रत्यास्मरण स्तर तक सीमित होती तथा बालक परीक्षा देने के उपरान्त उस याद किये गये तथ्यों को शीघ्र विस्मृत कर देता है।
2. बोध (Understanding)- बोध में हम अनुवाद, अर्थापन एवं बहिर्वेशन आदि क्रियाओं को बालकों द्वारा करवाते हैं, जिससे उसमें प्राप्त ज्ञान की समझ, बोध उत्पन्न होता है।
3. प्रयोग (Application)- इस स्तर पर बालक सीखे व समझे गये ज्ञान का वास्तविक परिस्थितियों में प्रयोग करता है। इसमें हम तथ्यों व प्रत्ययों आदि का वास्तविक परिस्थितियों में सामान्यीकरण करवाते हैं।
4. विश्लेषण (Analysis)- इस स्तर पर बालक पूर्व में सीखे गये व समझे गये ज्ञान, तथ्यों अथवा प्रत्ययों का विश्लेषण करना सीखता है। इसमें प्रायः शिक्षक द्वारा तत्त्वों का विश्लेषण, सम्बन्धों का विश्लेषण तथा व्यवस्थित सिद्धान्तों का विश्लेषण कराया जाता है।
5. संश्लेषण (Synthesis) — इसमें तत्त्वों को नई संरचना में संगठित किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप वातावरण में उपस्थित किसी समस्या का समाधान, नवीन विन्यास या योजना का निर्माण करना बालक सीखता है।
6. मूल्यांकन (Evaluation) — इस स्तर पर बालक सीखे, समझे गये ज्ञान का विश्लेषण व संश्लेषण कर उसका मूल्यांकन करता है तथा उस विशेष ज्ञान के सार को ग्रहण करता है । इस स्तर पर प्रायः आन्तरिक व बाह्य प्रमाण के आधार पर निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है।
कौशल अधिगम (Skill Learning)
कौशल शब्द का सामान्य अर्थ क्षमता अर्थात् अच्छी तरह से कुछ करने के लिये एक ज्ञान, अभ्यास और योग्यता से है। कौशल से तात्पर्य प्रदर्शन में सक्षम उत्कृष्टता, विशेषज्ञता, निपुणता से है। यह क्षमता प्रशिक्षण द्वारा अधिगृहीत एक कार्य में विशेष योग्यता है । साधारणतः कौशल शब्द का अर्थ निपुणतापूर्वक किसी कार्य को करने से है। कौशल का सम्बन्ध बालक के मनोगत्यात्मक पक्ष से होता है, जिसके अन्तर्गत वह शारीरिक क्रियाओं का निपुणतापूर्वक संचालन मानसिक नियंत्रण के साथ सीखता है ।
विभिन्न कौशलों के विकास के प्रायः निम्न स्तर होते हैं-
1. प्रत्यक्षीकरण (Perception) – प्रत्यक्षीकरण स्तर पर बालक रुचि, प्रेरणा व संवेदना के आधार पर बाह्य उत्तेजक का प्रत्यक्षीकरण करता है तथा निपुणतापूर्वक अनुक्रिया करने के लिये जागरूक होता है इसमें बालक की तत्परता तथा क्रिया हेतु उसमें मानसिक स्वीकृति आवश्यक है।
2. निर्देशात्मक अनुक्रिया (Guided Response) — इस स्तर पर कौशलों के विकास हेतु शिक्षक अथवा प्रशिक्षक द्वारा अनुक्रियाओं का प्रदर्शन किया जाता है, जिसे वह अनुकरण द्वारा सीखता है। जैसे—नृत्य, तैरना, टाइपिंग आदि ।
3. सामान्य कौशल (Simple Skill) — इस स्तर पर बालक में किसी कार्य को निपुणतापूर्वक करने का आत्मविश्वास तथा कौशल उत्पन्न हो जाता है।
4. जटिल कौशल (Complex Skill) — बालक आत्मविश्वास व निपुणतापूर्वक जटिल कौशलों का संपादन कर सकता है।