अनुक्रम (Contents)
राजनीतिक विचारधारा का अर्थ
‘विचारधारा’ शब्द का प्रयोग दो अर्थों में किया जाता है। पहले अर्थ में विचारधारा विचारों एवं विश्वासों का ऐसा समुच्चय है जो एक सुनिश्चित विश्वदृष्टि पर आधारित हो और अपने को अपने आप में पूर्ण मानता हो। यह संसार की सारी वास्तविकता की व्याख्या का आधार प्रदान करने का दावा करती है। इस अर्थ में विचारधारा मनुष्य की प्रकृति के बारे में कुछ मान्यताएँ लेकर चलती हैं और उनके आधार पर मानव इतिहास का एक सिद्धान्त, आचरण की एक नैतिक नियमावली और कर्म का एक कार्यक्रम पेश करती है। दूसरे अर्थ में विचारधारा को अपने राजनीतिक उद्देश्य छिपाने का एक आवरण कहा जा सकता है। इस अर्थ में औचित्य पूर्णता या वैधता प्राप्ति के लिए विभिन्न विचारधाराओं की रचना और प्रचार किया जाता है।
विचारधारा शब्द का अंगेजी पर्यायवाची शब्द है-आइडियोलोजी जिसका पहली बार प्रयोग 23 मई 1797 को एक फ्रैंच सिद्धान्त वेत्ता डेस्टुट डि ट्रेसी द्वारा किया गया। इस शब्द से उसका तात्पर्य ‘विचारों के विज्ञान’ से था— एक ऐसा विज्ञान जिसमें एकदम नयी सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था का आधार बनने की सामर्थ्य हो ।
आजकल “विचारधारा एक प्रकार का राजनीतिक सिद्धान्त है जो (इसके व्यापक अर्थों में) किसी राजनीतिक व्यवस्था का और साथ ही उन मूल्यों और आदर्शों का समर्थन करती है जो इसे मानव मन की अन्तिम निकटता के रूप में में एक आदर्श व्यवस्था के साथ में बना रखते है और यह दावा करते है कि यह अन्तिम रूप तक उसे प्राप्त करने का प्रयास करती है। “
वेब्स्टर शब्दकोष में विचारधारा को विचारों का विज्ञान बताया गया है। यह भी कहा गया है कि राजनीतिक सामाजिक कार्यक्रम बनाने वाले एकीकृत कथनों, सिद्धान्तों और लक्ष्यों से वियारधारा बनती है, प्रायः इनका निहितार्थ झूठा प्रचार फैलाना है जैसे- जर्मनी में नाजी विचारधाराओं को प्रभावी बनाने के लिए फासीवाद को संशोधित किया गया नेपोलियन युग में इसका अभिप्राय किसी प्रकार का गणतन्त्रीय या क्रान्तिकारी विश्वास हो गया। ऐसा विश्वास जिसे नेपोलियन स्वयं अपना विरोधी कहता लेकिन जिसे मार्क्स व एंजिल विचारधारा कहते हैं उसमें केवल ज्ञान या राजनीति का सिद्धान्त ही नहीं बल्कि आध्यात्म की आचार-शास्त्र, धर्म और वास्तव में चेतना का ऐसा रूप शामिल है जो किसी सामाजिक वर्ग के मूल रुझानों या प्रतिबद्धताओं को अभिव्यक्त करता है।
अपने व्यापकतम अर्थों में विचारधारा शब्द विचारों का एक ऐसा पुंज है जिसमें प्रचलित व्यवस्था में किसी प्रकार के परिवर्तन से लेकर समाज के सम्पूर्ण कायाकल्प का आह्वान तक सभी शामिल होता है। इसमें विचारों के अन्य समुच्चय की निन्दा और दूसरे समुच्चय को औचित्य प्रदान किया जाता है कि आलोचक किसी विशेष प्रकार की विचारधारा को यूटोपिया या मिथ्याचेतना कह सकता है। ये विचार किसी तथ्य की व्याख्या या किसी तर्क के औचित्य या किसी सत्य की तलाश या किसी आस्था की अभिव्यक्ति के रूप में हो सकते हैं।
सी.बी. मैक्फर्सन के अनुसार “मैं विचारधारा की प्रकृति, समाज और इतिहास में मनुष्य की स्थिति के बारे में विचारों का व्यवस्थित पुंज समझता हूँ। इस दृष्टि से उदारवाद, अनुदारवाद, लोकतन्त्र, मार्क्सवाद, राष्ट्रवाद आदि सभी विचारधाराएँ है । विचारधाराओं में विभिन्न अनुपात में तथ्य और इतिहास की व्याख्या, मांगों का औचित्य और आस्था या विश्वास के तथ्य पाये जाते हैं। वे राजनीतिक सिद्धान्तों और राजनीतिक दर्शनों से प्रभावित होते हैं। वे किसी प्रभावी राजनीतिक आन्दोलन और इसलिए किसी क्रान्ति के लिए आवश्यक है क्योंकि वे मांग करने, मांग को समर्थन देने और वैधता प्रदान करने के तिहरे कार्य करते हैं। “
विचारधारा के बारे में सबसे महत्त्वपूर्ण लक्षण इसका कार्यान्मुख स्वरूप है। राजनीतिक विचाधारा की वैधता इसके क्रियान्वयन में निहित है। फ्रेंक ठाकुद दास के शब्दों में राजनीतिक विचारधारा की क्षमता इसके अनुप्रयोग में निहित है।
राजनीतिक विचारधारा राजनीतिक व्यवस्था को बनाए रखने वाली वैचारिक व्यवस्था है। चूंकि राजनीतिक विचारधारा राजनीतिक विचारों से जुड़ी हुई अवधारणा है और राजनीतिक विचार राजनीतिक व्यवस्था के इर्द-गिर्द घूमने वाले लोगों के विचार है अतः जब ये राजनीतिक विचार स्पष्ट और व्यवस्थित रूप धारण कर लेते हैं तो उन्हें राजनीतिक विचारधारा कहा जाने लगता है। इसीलिए कार्ल जे. फ्रेड्रिक ने इसे ‘विचारों की सक्रियता सम्बद्ध पद्धतियाँ’ कहा है। इस दृष्टि विचारधारा प्रचलित राजनीतिक व्यवस्थाओं के स्थायित्व अथवा उनमें परिवर्तन अथवा उनकी रक्षा से सम्बन्धित विचारों का पुँज होती है। मैक्फर्सन के अनुसार राजनीतिक विचारधारा शासन द्वारा वैधता प्राप्त करने का एक उपकरण है। रॉबर्ट डहल के अनुसार राजनीतिक विचारधारा स्थापित विचारों और विश्वासों का संगठित रूप है। मोस्का ने विचारधारा को ‘राजनीतिक सूत्र’ कहा है। सोरेल ने इसे सामाजिक एवं राजनीतिक मिथक् के रूप में ग्रहण किया है। वे लिखते है, “राजनीतिक विचारधारा आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक मूल्यों एवं लक्ष्यों से सम्बद्ध उन विचारों का निकाय है उन मूल्यों को प्राप्त करने के लिए कार्यों की योजना या रूपरेखा प्रस्तुत करता है। “
राजनीतिक विचारधारा और राजनीतिक मनोवृत्ति को पर्यायवाची नहीं माना जा सकता। राजनीतिक विचारधारा एक विचार प्रणाली है जिसको बौद्धिक रूप से गढ़ा जाता है और बुद्धिजीवियों और विद्वानों की सहायता से उसे प्रस्तुत किया जाता है; इसके विपरीत मनोवृत्ति, विचार और अनुभव करने की रीति की द्योतक है और तर्कसंगत होने की अपेक्षा भावात्मक अधिक है। इसी प्रकार राजनीतिक विचारधारा कोरा रानीतिक दर्शन भी नहीं है। राजनीतिक दर्शन, विचारशक्ति और सूझबूझ का आह्वान करता है, जबकि राजनीतिक विचारधारा का निहितार्थ प्रतिबद्धता और क्रियात्मकता है। संक्षेप में राजनीतिक विचारधारा राजनीतिक व्यवस्था की क्रियात्मकता का कार्यक्रम है।
समय तथा परिस्थितियों में परिवर्तन एवं समाज में वर्गों की स्थिति के अनुसर विचारधाराओं का उदय होता है और उनमें परिवर्तन होता रहता है। हर राजनीतिक विचारधारा एक वर्ग विशेषज्ञ के वर्गहित तथा मूल्यों के दार्शनिक विश्लेषण पर आधारित होती है और इसी आधार पर वैज्ञानिक विधि से समझी जा सकती है। जैसे-जैसे वर्गों की स्थिति में परितर्वन होता जाता है वैसे-वैसे विचारधारा के स्वरूप में भी परिवर्तन आता जाता है। राजनीतिक विचारधाराएँ वर्गों की सामाजिक आर्थिक आवश्यकतानुसार तथा वर्गों के विकास के अनुसार बदलती तथा विकसित होती रहती है। समय, परिस्थितियों तथा वर्ग की भूमिका के अनुसार ही विचारधारा प्रगतिशील या प्रगतिविरोधी, क्रांतिकारी या क्रांतिविरोधी बन जाती हैं। आज की प्रगतिशील तथा क्रांतिकारी विचारधारा आने वाले काल में प्रगतिविरोधी व क्रांतिविरोधी भी बन सकती है।
राजनीतिक विचारधारा का लक्षण या राजनीतिक विचारधारा की विशेषता
मानव जीवन में विचारों का विशिष्ट महत्त्व है। विचारों ने ही व्यक्ति को कार्य करने के लिए प्रेरित किया है और उसे विकास के मार्ग पर आने बढ़ने के लिए उद्वेलित किया है। जब विचारों का सम्बन्ध राजनीतिक व्यवस्था से हो जाता है तो राजनीतिक विचारधारा अस्तित्व में आती है। जब किसी राजनीतिक समाज में लोगों की राजनीतिक आस्थाओं और विश्वासों को जनस्वीकृति के आधार पर वैधता प्राप्त हो जाए तो वे आस्था और विश्वास राजनीतिक विचारधारा का रूप धारण कर लेती है। राजनीतिक विचारधारा के निम्नलिखित लक्षण हैं:
1. राजनीतिक विचारों का समुच्चय – राजनीतिक विचारधारा राजनीतिक विचारों का ऐसा पुँज है जो सामाजिक जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के बारे में तर्कसंगत व्याख्या प्रस्तुत करती है। यह विचारों, मतों, मूल्यों और दृष्टिकोणें के संगठन की द्योतक है । मनुष्य और समाज के बारे में एक चिन्तन पद्धति है।
2. राजनीतिक व्यवस्था की क्रियात्मकता का कार्यक्रम- राजनीतिक विचारधारा को विचारों का समुच्चय ही नहीं होता अपित यह एक तरह से विचारों की क्रियात्मकता का कार्यक्रम है। प्रेस्टन किंग के शब्दों में, “राजनीतिक विचारधारा का महत्त्व इसके अनुप्रयोग में निहित है। यह प्रत्यक्ष राजनीतिक कार्यवाही के लिए एक मागदर्शक है।”
3. प्रतिबद्धता – राजनीतिक विचारधारा का मतलब आस्थाओं के व्यवस्थाबद्ध संग्रह से है-ऐसे विचार जिन्हें कोई अपना लेता है। राजनीतिक विचारधाराओं के आधार पर ही लोगों की प्रतिबद्धता को समूहबद्ध किया जाता है। विचारों का समुच्चय होने के नाते आस्था एवं प्रतिबद्धता से विलग होने पर विचारधारा जीवित नहीं रह सकती। मैक्फर्सन के अनुसार “राजनीतिक विचारधारा वे समूह विश्वास होते हैं जिन्हें लोग ग्रहण करते हैं, अधिकांश लोग किसी राजनीतिक समूह के साथ तादात्म्य या अतादात्म्य करके कोई विचारधारा प्राप्त करते हैं। “
4. राजनीतिक प्रश्नों के निर्धारण की क्षमता- राजनीतिक विचारधारा इन प्रश्नों का समाधान करती है कि शासक कौन होंगे? शासकों का चयन कैसे किया जायेगा ? किन सिद्धान्तों के आधार पर वे शासन करेंगे?
5. राजनीतिक व्यवस्था को वैधता प्रदान करना- राजनीतिक विचारधारा ऐसा उपकरण है जो नेताओं को राजनीतिक कार्यों में भाग लेने के लिए अनुप्रेरित करता है या वे अपनी राजनैतिक व्यवस्था को वैधता का स्वरूप प्रदान करते हैं। वे अपने राजनीतिक विरोधियों को विचारधारा रूपी छड़ी से ही पीटने का प्रयास करते हैं।
संक्षेप में, राजनीतिक विचारधारा, राजनीतिक यथार्थ की विवेचक और इसकी क्रियात्मकता की रूपरेखा होती है। यह राजनीतिक विचारों, उद्देश्यों और प्रयोजनों का मुखरित समुच्चय है जो राजनीतिक व्यवस्था के सदस्यों को अतीत की व्याख्या, वर्तमान का विश्लेषण और भविष्य का दृष्टिकोण पेश करती है। राजनीतिक विचारधारा में तर्क होता है अर्थात् उनका उद्देश्य अपने विचारों से सहमत कराना और विरोधी विचारों का प्रतिकार करना होता है। यह राजनीतिक व्यवस्था में राजनीतिक सत्ता के वितरण के स्वरूप का निर्धारक होता है। यह राजनीतिक व्यवस्था की वैधता का आधार व मानदण्ड निर्धारित करती है। राजनीतिक विचार अव्यवस्थित मांगों को अधिक संगत प्रतिरूप में एकत्रित करके व्यवस्था तथा समन्वय को जन्म देते है। इन सबसे ऊपर वे सार्थकता और संबद्धता का मापदंड प्रस्तुत करते हैं-ऐसा मापदंड जिससे राजनीतिक आकांक्षाओं तथा कार्यो की परीक्षा की जाती है। आधुनिक समय में राजनीतिक समाजों का आधार ही राजनीतिक विचारधाराएँ हैं।
- नागरिकता के प्रकार एवं नागरिकता प्राप्त करने की विधियाँ
- आदर्श नागरिकता | आदर्श नागरिकता के तत्व | आदर्श नागरिकता के मार्ग में बाधाएं
इसी भी पढ़ें…
- लियो स्ट्रॉस का संरचनावाद
- उत्तर आधुनिकता से आप क्या समझते हैं? | उत्तर आधुनिकता की विशेषताएं
- राजनीति की चिरसम्मत धारणा की विवेचना कीजिए।
- राजनीति की आधुनिक धारणा की विवेचना कीजिए।
- राजनीतिक आधुनिकीकरण का अर्थ व परिभाषा | राजनीतिक आधुनिकीकरण की विशेषतायें
- राजनीतिक आधुनिकीकरण के प्रतिमान से आप क्या समझते हैं। इसके प्रमुख प्रतिमानों की विवेचना कीजिए।
- राजनीतिक समाजीकरण के साधन | राजनीतिक सामाजीकरण के अभिकरण
- संघवाद का अर्थ | संघवाद की परिभाषायें | संघ निर्माण के लिए आवश्यक शर्तें
- संघीय सरकार के गुण | संघीय सरकार के दोष
- विधि के शासन की सीमाएँ | विधि के शासन के अपवाद