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हमारे सौरमण्डल में पाये जाने वाले आकाशीय पिण्ड
ग्रहों के अतिरिक्त हमारे सौर मण्डल में पाये जाने वाले आकाशीय पिण्ड निम्नलिखित प्रकार हैं-
(1) क्षुद्र ग्रह। (2) धूमकेतु तथा (3) उल्काएँ एवं उल्का पिण्ड आदि ।
1. क्षुद्र ग्रह – ग्रहों तथा उपग्रहों के अतिरिक्त कुछ अन्य छोटे आकाशीय पिण्ड भी होते हैं। मंगल और बृहस्पति ग्रहों के मध्य सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने वाले छोटे-छोटे मिश्रित धातु एवं पत्थरों के आकाशीय पिण्डों को क्षुद्र ग्रह कहते हैं। ये अनियमिताकार होते हैं। क्षुद्र ग्रह सौर मण्डल के नौ ग्रहों को दो समूहों में विभाजित करते हैं।
2. धूमकेतु – सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने वाले लम्बी पूँछ युक्त आकाशीय पिण्डों को धूमकेतु कहते हैं। लम्बी पूँछ के कारण रात्रि के अँधेरे में आकाश में ये आसानी से पहचाने जा सकते हैं। धूमकेतु के मुख्य रूप से दो भाग होते हैं- (1) सिर तथा (2) पूँछ। धूमकेतु का सिर धातु के टुकड़ों, पत्थरों एवं धूल के कणों का बना होता है।
3. उल्काएँ- सौरमण्डल में छोटे-छोटे आकाशीय पिण्ड जो सूर्य के चारों ओर अत्यन्त तेज गति से परिक्रमा करते हैं, ज्यों ही तेज गति के साथ पृथ्वी के वायुमण्डल में आते हैं तो घर्षण के कारण एक चमकीली रेखा ऊपर से नीचे की ओर बनती हुई दिखायी देती है। यह वास्तविक उल्काएँ कहलाती हैं।
4. उल्का पिण्ड – कुछ उल्काएँ जो आकार में बहुत बड़ी होती हैं, वह तेज गति के कारण पृथ्वी के वायुमण्डल में प्रवेश करके, घर्षण द्वारा चमकीली सीधी रेखा बनाते हुए पृथ्वी की सतह पर बहुत वेग के साथ टकराती हैं, इन्हें उल्का पिण्ड कहते हैं।