अधिगम की प्रकृति क्या है? | अधिगम की सम्पूर्ण प्रकृति का वर्णन | What is the nature of learning in Hindi? | Description of the entire nature of learning in Hindi
अनुक्रम (Contents)
अधिगम की प्रकृति
1.अधिगम एक सार्वभौमिक प्रक्रिया है-
अधिगम न तो किसी विशिष्ट व्यक्ति एवं समाज तक सीमित है और न ही केवल व्यक्तियों तक, अपितु समस्त विश्व के समस्त प्रकार के प्राणी अधिगम के माध्यम से विकास करते हैं।
2.अधिगम विकास की अविरल प्रक्रिया है-
घटनाओं, आवश्यकताओं, विभिन्न समस्याओं आदि की विविधता एवं निरन्तरता वश प्रत्येक प्रणाली निरन्तर कुछ-न-कुछ सीखता है। मात्र उसके अधिगम की क्षमता या ग्रहण करने में अन्तर होता है।
3. अधिगम वातावरण से अनुकूलन की प्रक्रिया है-
विभिन्न अधिगमों से जनित अनुभवों को प्राप्त करके बालक को यह सुनिश्चित करने में सहायता मिलती है कि वह अपनी आवश्यकता, इच्छा, ,संवेगों आदि के अनुसार किस प्रकार समायोजन करे।
4. अधिगम विकास की प्रक्रिया है-
अधिगम से बालक को अनेक अनुभव प्राप्त होते हैं। इन अनुभवों का प्रत्यक्ष प्रभाव व्यवहार परिवर्तनों के रूप में दिखाई देता है। ये परिवर्तन बालक के विकास के सूचक हैं।
5. अधिगम उद्देश्यपूर्ण प्रक्रिया है-
उद्देश्य के अभाव में अधिगम की प्रक्रिया सही ढंग से नहीं चल सकती। अत: बालक किसी-न-किसी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष उद्देश्य के आधार पर ही सार्थक अधिगम की दिशा में प्रेरित होता है।
6. मानव प्रकृति मुख्य आधार-
प्रत्येक बालक में उसकी रुचि, बुद्धि, क्षमता के अनुसार ही वातावरण से क्रिया-प्रतिक्रिया होती है व उनके अनुरूप ही उसके अधिगम व प्राप्त अनुभवों की मात्रा व स्वरूप निर्धारित होता है।
7. अधिगम एक मानसिक प्रक्रिया है-
विभिन्न मानसिक शक्तियों की क्रिया प्रतिक्रिया की अवबोध आदि क्षमता ही व्यक्ति को अधिगम हेतु सक्षम बनाती है। अभिकरण, धारणा, प्रत्यास्मरण, शक्तियों के माध्यम से क्रमानुसार अधिगम सम्भव होता है।
8. अधिगम वातावरण की उपज है-
बालक एक सामाजिक प्राणी है और वह समाज के वातावरण में रहकर ही सीखता है। वातावरण की भिन्नता या सामाजिक मूल्यों, मान्यताओं, व्यवहारों, प्रेरकों, विचारों के अनुरूप ही अधिगम का भी निर्धारण होता है।
9. अधिगम व्यावहारिक परिवर्तन है-
समाज या वातावरण में रहकर व्यक्ति अपनी क्रिया-प्रतिक्रिया से जो कुछ भी सीखता है, वह उसमें अनुभव के रूप में शामिल हो जाता है। अधिगम इन अनुभवों को व्यवस्थित भी करता है।
10. अधिगम व्यवहार परिवर्तन है-
बालक को कुछ भी सीखता है, उसका प्रभाव जहाँ एक ओर उसकी अमूर्त शक्तियों पर पड़ता है, वहीं उसका व्यवहार भी परिवर्तित होने लगता है। उसकी भावनाओं, रुचियों,जीवन-शैली परिवर्तित हो जाती हैं।
इसके अतिरिक्त, अधिगम विवेक एवं सक्रियता पर आधारित खोज की ऐसी व्यक्तिगत व सामाजिक प्रक्रिया भी कही जाती है जो परिणामजन्य तथा समस्या समाधान में सहायक होती है। अधिगम की यह प्रक्रिया सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों प्रकार की हो सकती है।
- अधिगम का अर्थ एवं परिभाषा | Meaning and Definitions of Learning in Hindi
- अधिगम के नियम, प्रमुख सिद्धान्त एवं शैक्षिक महत्व
इसी भी पढ़ें…
- थाईडाइक के सीखने के सिद्धांत
- पुनर्बलन का सिद्धांत/ हल का सिद्धांत
- बान्डुरा का सामाजिक अधिगम सिद्धांत
- क्रिया-प्रसुत का अधिगम् सिद्धांत
- पावलव का अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धांत
- कोहलर का अर्न्तदृष्टि या सूझ का सिद्धांत
- जीन पियाजे का संज्ञानवादी सिद्धांत
इसी भी पढ़ें…
- शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ, परिभाषा ,क्षेत्र ,प्रकृति तथा उपयोगिता
- वैश्वीकरण क्या हैं? | वैश्वीकरण की परिभाषाएँ
- संस्कृति का अर्थ एवं परिभाषा देते हुए मूल्य और संस्कृति में सम्बन्ध प्रदर्शित कीजिए।
- व्यक्तित्व का अर्थ और व्यक्तित्व विकास को प्रभावित करने वाले कारक
- शैशवावस्था का अर्थ एवं परिभाषाएं,विशेषताएं,शैशवावस्था में शिक्षा
- बाल्यावस्था का अर्थ एवं परिभाषाएं,विशेषताएं,बाल्यावस्था में शिक्षा
- किशोरावस्था का अर्थ एवं परिभाषाएं,विशेषताएं,समस्याएं,किशोरावस्था में शिक्षा
- अधिगम का अर्थ एवं परिभाषा,अधिगम के नियम, प्रमुख सिद्धान्त एवं शैक्षिक महत्व
- वर्तमान शिक्षा प्रणाली में कम्प्यूटर के प्रयोग | कंप्यूटर के उपयोग
- समाजमिति क्या है? समाजमिति की परिभाषा,समाजमिति विधि के उपयोग
- UGC NET PAPER 1 SYLLABUS 2020 PDF IN HINDI
- UGC NET PAPER 1 SYLLABUS 2020 PDF IN ENGLISH