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संचार का अर्थ और संचार के साधनों की उपयोगिता
संचार का अर्थ स्पष्ट करते हुए संचार के विभिन्न साधनों की उपयोगिता बताइए।
अथवा
किन्हीं दो संचार साधनों के नाम लिखिए और उनकी उपयोगिता का उल्लेख कीजिए।
संचार का अर्थ
संचार का अर्थ-संचार से तात्पर्य शब्दों, पत्रों, सूचनाओं या संदेशों द्वारा विचारों एवं सम्मतियों के विनिमय से होता है। संचार एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। संचार में सभी चीजें शामिल हैं जिनके माध्यम से व्यक्ति अपनी बात दूसरे व्यक्ति के मस्तिष्क में डालता है। संचार का अर्थ पुल है, इसके अन्तर्गत कहने, सुनने और समझने की व्यवस्थित तथा निरन्तर प्रक्रिया सम्मिलित होती है। संचार द्वि-मार्गीय प्रक्रिया है।
संचार के साधनों की उपयोगिता
सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी द्वारा प्रदत्त विभिन्न साधन लाभदायक हैं-
(1) इण्टरनेट (Internet)
इण्टरनेट सुविधा के माध्यम से आप प्राथमिक स्तर से लेकर उच्च स्तर की शिक्षा से सम्बन्धित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। आधुनिक समय में यह सूचना (जानकारी) प्राप्ति का मुख्य साधन बन गया है। वर्तमान समय में प्रत्येक विद्यालय, शिक्षा-कक्ष या प्रत्येक ऐसा संस्थान जहाँ शिक्षा प्राप्ति से सम्बन्धित क्रियाकलाप किया जा रहा है, में इसकी अनुपस्थिति अनिवार्य हो गयी। प्रत्येक प्रशिक्षक अपने शिक्षण कार्य में इस सुविधा का प्रयोग कर रहा है। कभी-कभी छात्रों को नवीनतम सूचनाओं से सम्बन्धित गृह कार्य दिया जाता है जिसे पूरा करने के लिए छात्र इण्टरनेट की सहायता लेते हैं। इण्टरनेट से आप सूचनाओं को खोजकर उन्हें पढ़ सकते हैं। यदि आप चाहें तो उसे सुरक्षित (Save) भी कर सकते हैं जिससे पुनः आवश्यकता पड़ने पर उसे तुरन्त प्राप्त किया जा सके।
(2) वीडियो-डिस्क (Video Disc)-
वीडियो-डिस्क सुविधा द्वारा छात्र अध्ययन से सम्बन्धित पाठ्य-सामग्री को इस वीडियो-डिस्क में संग्रहीत कर लेते हैं जिससे आवश्यकता पड़ने पर एक छात्र द्वारा दूसरे छात्र को अध्ययन हेतु दी जा सके। वर्तमान समय में शिक्षक भी इस सुविधा का प्रयोग कर रहे हैं।
(3) कम्प्यूटर (Computer)-
शिक्षण अनुदेशन की प्रक्रिया को कम्प्यूटर के प्रयोग द्वारा बिल्कुल परिवर्तित कर दिया गया है। आज प्रदेश के प्रत्येक माध्यमिक विद्यालय से लेकर इंस्टीट्यूशन, नवोदय विद्यालय, यहाँ तक कि प्रत्येक प्राइवेट विद्यालयों की कक्षाओं में इनका प्रयोग किया जा रहा है। कम्प्यूटर को शिक्षण पाठ्यक्रम का एक महत्वपूर्ण अंश माना जाने लगा है।
(4) दूरदर्शन (Television)-
हमारे देश में टेलीविजन परिदृश्य में हुए परिवर्तन हो रहे हैं, वर्तमान में प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा तक के यू.जी.सी. के शैक्षणिक कार्यक्रमों का दूरदर्शन प्रसारण कर रहा है। दूरदर्शन तथा अन्य संगठन; जैसे- इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय खुला विश्वविद्यालय, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान तथा प्रशिक्षण परिषद् (एन.सी.ई.आर.टी.), शिक्षा विभाग दूरदर्शन को एक शिक्षा के माध्यम के रूप में प्रयोग कर रहे हैं। टेलीविजन का शैक्षणिक कार्यक्रम एक जनसेवा के रूप में अपनी स्थापना से लेकर आधुनिक समय में व्यापक रूप ले चुका है। लोग अपनी रुचि के अनुसार कार्यक्रम देखते हैं। दूरदर्शन के माध्यम से उ.प्र. सरकार तथा भारत सरकार के शैक्षणिक तथा विभिन्न क्षेत्रों में सामाजिक चेतना जाग्रत करने वाले कार्यक्रम नियमित रूप से प्रसारित होते रहते हैं।
(5) टेलीकॉन्फ्रेंसिंग (Teleconferencing)-
टेलीकॉन्फ्रेंसिंग एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके द्वारा दो या दो से अधिक क्षेत्रों से कई व्यक्ति किसी समस्या एवं विषय पर एक-दूसरे से संचार के द्वारा अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं। इस तकनीकी में टेलीविजन, रेडियो, उपग्रह, इलेक्ट्रॉनिक बोर्ड, वीडियो टैक्स्ट आदि का प्रयोग किया जाता है।
(6) रेडियो (Radio)-
आधुनिक संचार के समस्त माध्यमों में रेडियो सर्वसुलभ माध्यम है। सन् 1962 में भारत में एक नियमित प्रसारण सेवा के लिए भारत सरकार तथा एक निजी संस्था इण्डियन ब्रॉडकास्टिंग कम्पनी के मध्य एक समझौता हुआ, इसके अन्तर्गत रेडियो लाइसेंस बनवाना आवश्यक कर दिया तथा लाइसेंस शुल्क के रूप में 60 प्रतिशत सरकार को तथा 40 प्रतिशत ब्राडकास्टिंग कम्पनी को मिलना निश्चित हुआ। उसी समय मुम्बई केन्द्र का उद्घाटन 23 जुलाई, सन् 1927 तथा कोलकाता केन्द्र का उद्घाटन 26 अगस्त सन् 1927 को हुआ।
(7) विभिन्न उपग्रह (Satellites)-
आधुनिक समय में उपग्रह का प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में विस्तृत रूप से हो रहा है। उपग्रह के प्रयोग से इण्टरनेट, दूरदर्शन, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग तथा टेलीकॉन्फ्रेंसिंग जैसी कई सुविधाओं का विकास हुआ है। प्रारम्भ में इन सभी व्यवस्थाओं का उपयोग शिक्षा के क्षेत्र में कम होता था, परन्तु वर्तमान समय में इनका प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में पूर्ण रूप से होने लगा है। शैक्षिक दूरदर्शन पर कई प्रकार के शैक्षिक कार्यक्रम प्रसारित किये जाते हैं। ज्ञान दर्शन कार्यक्रम के माध्यम से विभिन्न प्रकार के विषय-गणित, विज्ञान तथा पर्यावरण आदि विषयों को सरल तथा प्रभावी ढंग से छात्रों के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग तथा टेलीकॉन्फ्रेंसिंग उपग्रहों की ही देन है। इनसे कई प्रकार के शैक्षिक विषयों तथा विचारों का आदान-प्रदान सम्भव होता है। इसमें विद्यार्थी अपनी जिज्ञासा को विषय विशेषज्ञों से प्रश्न करके शान्त कर सकता है। उपग्रह के माध्यम से ही छात्र अनेक शिक्षाशास्त्रियों के विचारों को घर बैठकर ही सुन सकता है।
संचार साधनों का शिक्षा में बड़े स्तर पर उपयोग का श्रेय उपग्रह को ही जाता है। क्योंकि रेडियो, इण्टरनेट, टेलीफोन, दूरदर्शन आदि में उपग्रह का प्रयोग प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से अवश्य होता है। उपग्रह व्यवस्था ने छात्रों के वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। दूरस्थ शिक्षा के क्षेत्र में भी उपग्रहों का प्रयोग व्यापक स्तर पर किया जा रहा है। वर्तमान समय में विश्व के किसी भी स्थान पर बैठकर इण्टरनेट के द्वारा अपनी आवश्यकता के अनुसार शिक्षण अधिगम सामग्री को प्राप्त किया जा सकता है।
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