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कक्षागत सामान्य समस्याएँ तथा कक्षागत सामान्य समस्याओं को दूर करने हेतु सुझाव | Class-room General Problems in Hindi |

कक्षागत सामान्य समस्याएँ
कक्षागत सामान्य समस्याएँ

कक्षागत सामान्य समस्याएँ (Class-room General Problems)

कक्षागत सामान्य समस्याएँ – शिक्षा मनोविज्ञान में शिक्षक द्वारा अपना अधिकांश समय विद्यार्थियों के साथ कक्षागत व्यवहार को जानने, जाँचने व बनाने मे लगाया जाता है। कक्षा की व्यवहारगत समस्याओं का सामना करने तथा उनका समाधान करने हेतु शिक्षक को हमेशा तैयार रहना होता है। कक्षागत सामान्य समस्याएँ निम्नलिखित हैं

1. व्यक्तिगत अन्तर (Individual Differences) – कक्षागत व्यवहार सम्बन्धी मुख्य समस्या वि आर्थियों का व्यक्तिगत अन्तर होता है। विद्यार्थियों के शारीरिक आकार व स्वरूप, शारीरिक कार्यो, ति सम्बन्धी क्षमताओं, बुद्धि, उपलब्धि, ज्ञान, रुचि, अभिवृत्ति एवं व्यक्तित्व की विशेषताओं में पाये जाने वाले अन्तरों को सिद्ध किया जा चुका है। कक्षा में विद्यार्थियों की शारीरिक, मानसिक, संवेगी भिन्नता के कारण विद्यार्थी के समक्ष समस्या आती है। इसका प्रभाव उनके निष्पादन पर होता है।

2. कक्षा से भाग जाना (Escaping from the Class) – कुछ विद्यार्थियों की कक्षा से भाग जाने की आदत पड़ जाती है तथा ये अन्य सहपाठियों को भी कक्षा से भागने की सलाह देते हैं। इससे कक्षा का वातावरण ठीक नहीं रह पाता।

3. अच्छी योग्यता की समस्या (Problem of Good Worthiness) – कक्षा के छात्रों की योग्यता का स्तर अलग-अलग होता है तथा शिक्षण सामान्य होता है। बहुत कम ज्ञान रखने वाले विद्यार्थी सामान्य शिक्षण की दशा में पिछड़ने लगते हैं। शिक्षक द्वारा पूरी कक्षा को एक ही गति से पढ़ाया जाता है। शिक्षक के सामने समस्या यह आती है कि छात्र समान गति से नहीं सीख पाते। एक ही आयु वर्ग के विद्यार्थियों में अधिगम की तत्परता का समान स्तर होना आवश्यक नहीं होता। उनके अधिगम में अन्तर होने के कारण उनकी परिपक्वता की गति में अन्तर होता है।

4. गृहकार्य का भार (Load of Home Work)- छात्रों को प्रत्येक कालांश में गृहकार्य किये जाने के कारण कक्षागत अधिगम में उनकी रुचि नहीं रहती तथा उनका मन गृहकार्य करने में लगा रहता है। इससे उनकी निष्पत्ति पर कुप्रभाव पड़ता है।

5. भय (Fear)- कभी-कभी विद्यार्थी अपने शिक्षकों व साथियों से डरते रहते है तथा उनका भय उनके मन में बैठ जाता है। इसका उनके व्यक्तित्व पर प्रतिकूल प्रभाव होता है। उनका आत्मविश्वास घट जाता है तथा वे हीनभाव से ग्रसित हो जाते हैं।

6. क्रोध (Anger) – कक्षा में असामान्य व्यवहार के कारण विद्यार्थियों को क्रोध आता है। क्रोध का उनके विवेक पर प्रतिकूल प्रभाव होता है। विद्यार्थी की इच्छापूर्ति न हो पाने पर उन्हें क्रोध आ जाता है। इससे उनका कक्षागत व्यवहार असामान्य होने लगता है।

7. ज्ञानेन्द्रिय दोषों के कारण कठिनता (Difficulty due to Sense Organs Defects)- यदि कक्षा में कुछ विद्यार्थी दृष्टि एवं श्रवण दोष वाले हैं तो निकट एवं दूरदृष्टि के अनुसार उन्हें आगे या पीछे बैठाना होता है।

8. वाणी विकार (Speech Defects) – वाणी विकार से कक्षा में समस्या आती है। कुछ छात्र तुतलाने, हकलाने, अक्षर लोप, ध्वनि परिवर्तन आदि समस्याओं से ग्रस्त होते हैं। जबड़े, ओष्ठ, जीभ की क्रियाशीलता में कमी आदि के कारण कक्षागत व्यवहार असामान्य होता है।

9.विध्वंसात्मक प्रकृति (DestructiveNature)- कुछ विद्यार्थियों में तोड़-फोड़ की प्रवृत्ति होती है। कठोर अनुशासन, लम्बी बीमारी, असंतुलित भोजन, माता-पिता का अधिक हस्तक्षेप आदि होने से बच्चे विध्वंसात्मक प्रवृत्ति बाले हो जाते हैं।

10. झूठ बोलना (Tell a Lie) – बहाने बनाना, झूठ बोलने का मुख्य कारण होता है। झूठ बोलना, कक्षागत व्यवहार की समस्या का मुख्य कारण होता है। यदि विद्यार्थी गृहकार्य नहीं कर पाते तथा कक्षा में शिक्षक द्वारा पढ़ाये गये विषय-बिन्दु को नहीं समझ पाते तो वे झूठ बोलने लगते हैं।

11. ईर्ष्या (Jealousy) – जब एक विद्यार्थी दूसरे विद्यार्थी को प्रगति करते देखता है तो उसके मन में उसके प्रति ईर्ष्या का भाव उत्पन्न होने लगता है। शिक्षक का पक्षपातपूर्ण व्यवहार इसका कारण हो सकता है।

कक्षागत सामान्य समस्याओं को दूर करने हेतु सुझाव (Suggestions for the Solution of Class room Behavioural Problems )

कक्षागत समस्याओं का समाधान किया जाना आवश्यक होता है क्योंकि यदि इन समस्याओं को हल नहीं किया जाता तो शिक्षण तथा अधिगम प्रभावित होता है। कक्षागत समस्याओं के समाधान हेतु निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं

1. अध्यापक को शिक्षण करते समय छात्रों की व्यक्तिगत भिन्नताओं का ध्यान रखना चाहिए।
2. अधिगम की गति को सामान्य रखना चाहिए।
3. ज्ञानेन्द्रियों सम्बन्धी दोषों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए।
4. छात्रों को गृहकार्य देने से बचना चाहिए।
5. छात्रों की विशेष योग्याताओं का विकास किया जाना चाहिए।
6. छात्रों की विध्वंसात्मक प्रवृत्तियों को रचनात्मक बनाने का प्रयास करना चाहिए।
7. छात्रों को भय नहीं दिखाना चाहिए। उन्हें सामान्य व्यवहार द्वारा कक्षा के कार्यो की प्रेरणा दी जानी चाहिए।
8. छात्रों के कक्षा मे न आने के कारणों की जानकारी करके उन कारणों को दूर किया जाना चाहिए।
9. बालकों को क्रोधी होने से बचाना चाहिए। विद्यार्थियों के शिक्षण में ऐसी दशाएँ व गुण विकसित करने चाहिए जिनसे उनमें क्रोध का भाव न आये।
10. बालकों के तुतलाने या हकलाने पर कक्षा को हँसने से रोकना चाहिए। छात्रों के भाषा विकारों का समाधान करने का प्रयास करना चाहिए।
11. छात्रों की स्मृति को बनाए रखने तथा बढ़ाने के लिए सतत् अभ्यास तथा कंठस्थीकरण पर ध्यान देना चाहिए।
12. बालकों को सत्य बोलने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
13. छात्रों को सहयोग एवं प्रशंसा के लिए प्रेरणा देनी चाहिए।

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shubham yadav

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