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दृष्टिबाधित बालक
दृष्टिबाधित बालक वे होते हैं जो ठीक प्रकार से देख पाने में असमर्थ होते हैं जिससे वे सामान्य शिक्षण विधियों द्वारा शिक्षा ग्रहण नहीं कर सकते हैं। जबकि कुछ बालक ऐसे होते हैं जो मोटे अक्षरों वाली पुस्तक को पढ़ सकते हैं तथा कार्य करने में समर्थ होते हैं दृष्टि बाधिता का मापन स्नेलन चार्ट के माध्यम से किया जाता है। ऐसे बालकों की दृष्टिबाधिता का परिणाम पूर्ण या आंशिक हो सकता है। वे बालक जो पूर्णतया देखने में अक्षम होते हैं वे अन्धेपन के रोग से प्रभावित होते हैं। वे बालक जो आंशिक रूप से देखने में सक्षम होते हैं उनके नेत्रों में प्रतिबिम्ब की तीव्रता बहुत कम होती है। इनकी दृष्टि क्षमता 20/70 होती है अर्थात् सामान्य बालक यदि किसी वस्तु को 70 फीट की दूरी से देख सकते हैं तो दृष्टि बाधित 20 फीट पर रखी हुई वस्तु को देखने के योग्य होते हैं दृष्टि बाधितों की परिभाषित दृष्टि दोष के रूप में की जाती है। आँखों की दृष्टि योग्यता से तात्पर्य दूर की वस्तुओं को स्पष्ट रूप में देखने से हैं। दृष्टि बाधितों का परीक्षण ‘स्नैलन-चार्ट’ द्वारा किया जाता है। शिक्षा की दृष्टि से दृष्टि बाधित बालकों की परिभाषा की गई है-
“दृष्टिबाधित बालक उन बालकों को कहते हैं जिनकी दृष्टि खो चुकी हों और ब्रेल लिपि तथा अन्य श्रवण शिक्षण सामग्री का लाभ उठा सकते हैं। आंशिक रूप से बाधित बालक उन्हें कहते हैं, जो चश्में की सहायता से मुद्रित पाठ्यवस्तु तथा दृश्य शैक्षिक सामग्री का उपयोग कर लेते हैं। “
दृष्टिबाधित बालकों के लिए आवश्यकता एवं शैक्षिक प्रावधान (Need and Educational Provisions for Visually Impaired Children)
दृष्टिबाधित बालकों को शिक्षा देने के लिए विशेष कक्षा का आयोजन करना चाहिए। विद्यालय में ऐसे बालकों की संख्या कितनी हो इस बात का निर्णय अध्यापक कर सकता है। साथ ही साथ वह इन बालकों के लिए विशेष कक्षा का आयोजन तथा कौन-कौन सी सुविधाएँ प्रदान की जाए इसका भी निर्णय ले सकता है। इन कक्षा में विभिन्न श्रेणियों के बालक हो सकते हैं, गाँवों में भी आंशिक रूप से देखने वाले बालकों के लिए विशेष कक्षा का प्रबन्ध होना चाहिए। राज्य के शिक्षा निदेशक को भी चाहिए कि गाँवों में ऐसे अध्यापकों की सहायता करें जिनकी कक्षा में आंशिक रूप से देखने वाले बालक हों। बड़े विद्यालय में प्रत्येक कक्षा में कम से कम एक बालक कम देखने वाला होता है। ऐसी अवस्था में सबसे पहले प्राथमिक श्रेणियों के विद्यार्थियों के लिए शिक्षा का आयोजन करना चाहिए। जितनी जल्दी कम देखने वाले बालकों को शैक्षिक सुविधाएँ दी जाएँगी उतनी ही अधिक सफलता की अपेक्षा होगी। दृष्टिबाधित बालकों के लिए शैक्षिक प्रावधान निम्न प्रकार से दिए जा सकते हैं-
1. कक्षा व्यवस्था की विधि- आधुनिक शैक्षिक सिद्धान्तों के अनुरूप अब पृथक्कीकरण नहीं है। अतः वर्तमान समय में एक ऐसी सहकारिता योजना का विकास किया जाता है। जिसके द्वारा कम देखने वाले बालक अपने कार्य को विशेष कक्षा में विशेष शिक्षक के अन्तर्गत करते हैं।
2. सहकारिता – उपर्युक्त योजना यदि सफलतापूर्वक चलती है तो बालक के स्वास्थ्य तथा शिक्षा का उत्तरदायित्व अधीक्षक, प्रधानाध्यापक, अध्यापक तथा विशेष स्वास्थ्य सेवा अध्यापक एवं बालक के माता-पिता पर है। इस सहयोग को प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक है कि सभी को शिक्षा के विशेष उद्देश्य से परिचित होना चाहिए। सभी को समस्या समाधान में पूर्ण सहयोग देना चाहिए।
3. पाठ्यक्रम – कम देखने वाले और औसत बालकों का पाठ्यक्रम एक सा होता है। अध्यापकों को इस ओर ध्यान देना चाहिए कि ऐसा कोई भी कार्य अधिक न करवाया जाए कि जिससे दृष्टिबाधित बालक पर अधिक दबाव पड़े।