अनुक्रम (Contents)
संचार प्रणाली के प्रमुख प्रतिमान
संचार प्रणाली के प्रमुख प्रतिमान – विभिन्न संचार विचारकों ने संचार प्रणाली को स्पष्ट करने के दृष्टिकोण से प्रतिमान या मॉडल बनाये हैं। इनके माध्यम से संचार प्रक्रिया को समझने में सहायता मिलती है। ये इस प्रकार हैं-
1. अरस्तू मॉडल
वक्ता ↑ भाषण → श्रोता (गण)
अरस्तू के अनुसार संचार के तीन तत्व होते हैं-वक्ता (Speaker), भाषण (Speech) तथा श्रोता (गण) (Audience)। इन तीन तत्वों को संचार प्रक्रिया के आवश्यक तत्वों के रूप में अरस्तू ने माना है-वह व्यक्ति जो बोलता है, वह बात या अभिभाषण जो प्रस्तुत किया जाता है। तथा वह श्रोता या वे श्रोतागण जो उसे सुनते हैं। इस प्रकार ये तीन तत्व संचार प्रक्रिया के संगठक हैं। अरस्तू ने प्रत्यक्ष संचार (Direct Communication) की बात कही है। इसके अन्तर्गत प्रदत्त सन्देश कोई विचार या अनुभूति या निजी दृष्टिकोण हो सकता है।
2. केनेथ ब्रूक मॉडल
कार्य (पृष्ठभूमि)→ संचारक→ संचार माध्यम→ उद्देश्य
ब्रूक के अनुसार संचार प्रक्रिया के अन्तर्गत पांच तत्व आते हैं। सन्देश एक पृष्ठभूमि में निहित होता है तथा अनुभूति पर आधारित होता है। संचारक एक वितरक के रूप में अपनी अनुभूतियों का विस्तारण संचार माध्यमों के द्वारा करता है। विस्तारण का उद्देश्य ग्रहणकर्ता तक पहुंचना तथा उसे प्रभावित करना होता है।
3. शेमन वीवर मॉडल
स्रोत→ प्रसारक→ प्राप्तकर्त्ता → गन्तव्य→ संकेत
शेमन वीवर मॉडल में प्रेषक के पास ज्ञान का स्रोत होता है, जिसका प्रेषण वह संकेत या शब्दों के माध्यम से करता है। संचार प्रेषण में निहित उद्देश्य ही इस प्रक्रिया का गन्तव्य होता है। संकेतों को गन्तव्य तक पहुंचाने का कार्य प्राप्तकर्ता करता है।
4. वेसले मैकीन मॉडल
प्रेषक→ संकेतकर्त्ता→ माध्यम→ संकेत-वाचक→ प्राप्तकर्त्ता
शैमन वीवर की भांति वेसले मैकीन ने भी संचार प्रणाली में पांच तत्वों के महत्व पर बल दिया है। सन्देश को प्रेषित करने वाला सन्देश को संकेत में परिवर्तित करते हैं। तथा संकेतकर्ता बनकर उचित माध्यम के द्वारा सन्देश का विस्तारण करते हैं। विस्तारित संकेत जब ग्रहणकर्ता को प्राप्त होता है तो वह संकेतवाचक द्वारा स्पष्ट किया जा चुका होता है। प्रेषक तथा संकेतकर्ता और संकेतवाचक एवं प्राप्तकर्ता संयुक्त इकाई भी हो सकते है। टेलिग्राफी तथा गुपत सन्देशों के भेजने में यह संचार प्रक्रिया विशेष रूप से अपनायी जाती है।
5. बरलो मॉडल
स्रोत संकेतकर्त्ता संदेश माध्यम संकेतवाचक प्राप्तकर्त्ता बरलो मॉडल तथा वेसले और मैकीन मॉडल में तृतीय चरण पर अन्तर देखा जा सकता है। इन्होंने संकेतकर्ता और माध्यम के बीच सन्देश को स्थान दिया है। स्रोत से प्राप्त करके संकेतकर्ता सन्देश को उचित माध्यम के द्वारा संकेतवाचक को पहुंचाते हैं जहां से सन्देश प्राप्तकर्ता को प्राप्त होता है।
6. दहामा प्रतिमान
प्रेषक→ सन्देश→ प्रतिपादन→ माध्यम→ ग्रहणकर्त्ता
दहामा ने उपरोक्त आरेखन द्वारा संचार प्रणाली का वर्णन किया है। इसे हम मॉडल का नाम दे सकते हैं। इन्होंने संदेश के प्रतिमान अर्थात् अच्छी तरह समझाकर प्रमाणपूर्वक कहे जाने पर बल दिया है। संचार तभी सम्भव है जब संचारक कोई सन्देश चुनकर उसे विशेष रूप से अलंकृत करके प्रतिपादित करता है। संचार प्रणाली में सन्देश का स्पष्ट होना अत्यन्त महत्वपूर्ण है, तभी वह प्रभावकारी हो सकता है।
इसी भी पढ़ें…
- प्रसार शिक्षा शिक्षण पद्धतियों को प्रभावित करने वाले तत्व
- प्रसार शिक्षण में सहायक सामग्री के रूप में परिपत्र, पर्चा, लघु पुस्तिका एवं विज्ञप्ति पत्र
- प्रसार शिक्षण में समाचार पत्र की भूमिका | प्रसार शिक्षण में श्यामपट की भूमिका
- सामुदायिक विकास योजना के मूल तत्व, विशेषताएं, क्षेत्र एवं महत्व
- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है? या सामुदायिक विकास योजना
- प्रसार शिक्षा का इतिहास
- निर्धनता का अर्थ, परिभाषा, कारण तथा निवारण हेतु सुझाव
- भारत में घरेलू हिंसा की स्थिति क्या है ?
- घरेलू हिंसा के प्रमुख कारण | घरेलू हिंसा रोकने के सुझाव
- अन्तर पीढ़ी संघर्ष की अवधारणा
- संघर्ष का अर्थ एवं परिभाषा, विशेषताएँ या प्रकृति
- जातीय संघर्ष- कारण, दुष्परिणाम तथा दूर करने का सुझाव
- तलाक या विवाह-विच्छेद पर निबन्ध | Essay on Divorce in Hindi
- दहेज प्रथा पर निबंध | Essay on Dowry System in Hindi
- अपराध की अवधारणा | अपराध की अवधारणा वैधानिक दृष्टि | अपराध की अवधारणा सामाजिक दृष्टि
- अपराध के प्रमुख सिद्धान्त | Apradh ke Siddhant