अनुक्रम (Contents)
अभिप्रेरणा एवं व्यक्तित्व में सम्बन्ध
अभिप्रेरणा क्या है ?
मनोवैज्ञानिक अर्थ में अभिप्रेरणा का सम्बन्ध आन्तरिक उत्तेजकों से होता है जिनके फलस्वरूप हमे कोई कार्य या व्यवहार करते हैं। यद्यपि बाह्य उत्जनाको मनोवैज्ञानिकों ने प्रेरणा के अन्तर्गत सम्मिलित नहीं किया है। जैसे भूख एक ऐसी आन्तरिक उत्तेजना है जिसके परिणामस्वरूप हम खाना खाने के लिए प्रेरित हो सकते हैं अत: भूख को प्रेरणा कहा जा सकता है किन्तु खाने की थाली देखकर कोई व्यक्ति प्रेरित हो सकता है किन्तु खाना खाने का कार्य नहीं हुआ। यह एक बाह्य उत्तेजना है अत: इसे हम प्रेरणा नहीं कह सकते।
अभिप्रेरणा बालक या व्यक्ति की मनोदशा उसके व्यवहार, कार्यक्षमता, कार्य शैली, प्रभाव इत्यादि को प्रभावित करता है। लावेल के अनुसार-“अभिप्रेरणा एक ऐसी उपलब्धियों, मनोवैज्ञानिक या आन्तरिक प्रक्रिया है जो किसी आवश्यकता की उपस्थिति में उत्पन्न होती है। यह ऐसी क्रिया की ओर गतिशील होती है जो उस आवश्यकता को सन्तुष्ट करेगी।”
व्यक्तित्व
‘सामान्य तौर पर व्यक्तित्व का अर्थ व्यक्ति के बाह्य रूप रंग, शारीरिक गठन इत्यादि से लगाया जाता है। आमतौर पर एक अच्छे व्यक्तित्व का अभिप्राय यह है कि उस व्यक्ति की शारीरिक रचना सुन्दर हो वह स्वस्थ व मृदुभाषी हो। उसका स्वभाव व चरित्र अच्छा हो और वह दूसरों को सहज ही अपनी ओर आकर्षित कर लेता हो। निःसन्देह यह गुण एक अच्छे व्यक्तित्व के लक्षण हैं। किन्तु यह व्यक्तित्व का एक पहलू है।
मनोवैज्ञानिक दृष्टि से व्यक्तित्व सम्पूर्ण व्यवहार का दर्पण है। व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति व्यक्ति के आचार-विचार, व्यवहार, क्रियाओं एवं उसकी गतिविधियों द्वारा होती है। व्यक्ति के आचरण में शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक और सामाजिक गुणों का मिश्रण होता है। इस प्रकार व्यक्तित्व व्यक्ति के बाह्य एवं आंतरिक गुणों का समग्र गुण है। ड्रेवर के अनुसार-“व्यक्तित्व शब्द का प्रयोग व्यक्ति के अशारीरिक मानसिक नैतिक और सामाजिक गुणों के सुसंगठित और गत्यात्मक संगठन के लिए किया जाता है जिसे वह अन्य व्यक्तियों के साथ अपने सामाजिक जीवन के आदान-प्रदान में प्रदर्शित करता है।”
अभिप्रेरणा एवं व्यक्तित्व में सम्बन्ध
अभिप्रेरणा तथा व्यक्तित्व में परस्पर सम्बन्ध निम्न प्रकार होता है-
1.जिस प्रकार अभिप्रेरणा बाह्य तथा आन्तरिक उत्तेजना से प्रेरित होती है उसी प्रकार व्यक्तित्व भी बाह्य तथा आन्तरिक गुणों से प्रभावित होता है।
2. बालक के चरित्र का उसके व्यक्तित्व से सीधा सम्बन्ध होता है और अभिप्रेरणा के द्वारा बालक के चरित्र का निर्माण किया जा सकता है।
3. लक्ष्य को प्राप्त करने में प्रेरणा का प्रमुख हाथ होता है तो लक्ष्य का निर्धारण बालक के व्यक्तित्व की पहचान होता है।
4. शिक्षक प्रेरकों का प्रयोग करके बालक को ज्ञानार्जन के लिये प्रेरित कर सकता है इससे बालक के मानसिक विकास में सहायता मिलती है, जबकि व्यक्तित्व का मानसिक विकास से सीधा सम्बन्ध होता है।
5. बालक का व्यक्तित्व उसकी रुचियों को निर्धारित एवं प्रकट करता है अभिप्रेरणा द्वारा बालक में रुचियों का निर्माण एवं विकास किया जा सकता है।
6. जिस प्रकार दूसरों के कार्यों को देखकर प्रेरणा मिलती है उसी प्रकार किसी के व्यवहार से व्यक्तित्व भी प्रभावित होता है।
7. किसी विषय पर ध्यान को केन्द्रित करना व्यक्तित्व की पहचान होती है और ध्यान को केन्द्रित करने में प्रेरणा से सहायक मिलती है।
8. जिस प्रकार स्वाभाविक एवं बाह्य प्रेरणा के द्वारा बालक में अनुशासन की भावना उत्पन्न की जा सकती है उसी प्रकार अनुशासन व्यक्तित्व के बाह्य व आन्तरिक स्वरूप को व्यक्त करता है।
9. व्यक्ति के व्यवहार में स्पष्टता एवं आकर्षण उसके व्यक्तित्व की पहचान कराता है तो शिक्षा के लक्ष्य को स्पष्ट एवं आकर्षक बनाने से छात्रों को अधिगम के लिए प्रेरित किया जा सकता है।
10. कक्षा का वातावरण शिक्षा के व्यक्तित्व तथा उसका छात्रों को प्रेरित करने की कल्पना पर निर्भर करता है।
11. शिक्षार्थी पर शिक्षक के आदर्श, व्यवहार, आचरण और व्यक्तित्व का प्रभाव पड़ता है। शिक्षक का व्यक्तित्व शिक्षार्थी को प्रेरणा प्रदान करने में सहयोग देता है।
- अभिप्रेरणा का अर्थ, परिभाषा एवं प्रकार
- अभिप्रेरणा को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक
- अभिक्रमित अनुदेशन का अर्थ, परिभाषाएं, प्रकार, महत्त्व, उपयोग/लाभ, सीमाएँ
- शाखीय अभिक्रमित अनुदेशन (Branching Programmed Instruction)
- स्किनर का क्रियाप्रसूत अनुबंधन सिद्धांत
- पुनर्बलन का अर्थ | पुनर्बलन के प्रकार | पुनर्बलन की सारणियाँ
- अनुकूलित-अनुक्रिया को नियन्त्रित करने वाले प्रमुख कारक
- पावलॉव का अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त | पावलॉव का सिद्धान्त
- सीखने की विभिन्न विधियाँ | सीखने के क्षेत्र या अधिगम के क्षेत्र | अधिगम के व्यावहारिक परिणाम
- अधिगम का अर्थ एवं परिभाषा | Meaning and Definitions of Learning in Hindi
- अधिगम की प्रकृति क्या है? | What is the nature of learning in Hindi
- अधिगम के नियम, प्रमुख सिद्धान्त एवं शैक्षिक महत्व
इसी भी पढ़ें…
- शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ, परिभाषा ,क्षेत्र ,प्रकृति तथा उपयोगिता
- वैश्वीकरण क्या हैं? | वैश्वीकरण की परिभाषाएँ
- संस्कृति का अर्थ एवं परिभाषा देते हुए मूल्य और संस्कृति में सम्बन्ध प्रदर्शित कीजिए।
- व्यक्तित्व का अर्थ और व्यक्तित्व विकास को प्रभावित करने वाले कारक
- शैशवावस्था का अर्थ एवं परिभाषाएं,विशेषताएं,शैशवावस्था में शिक्षा
- बाल्यावस्था का अर्थ एवं परिभाषाएं,विशेषताएं,बाल्यावस्था में शिक्षा
- किशोरावस्था का अर्थ एवं परिभाषाएं,विशेषताएं,समस्याएं,किशोरावस्था में शिक्षा
- अधिगम का अर्थ एवं परिभाषा,अधिगम के नियम, प्रमुख सिद्धान्त एवं शैक्षिक महत्व
- वर्तमान शिक्षा प्रणाली में कम्प्यूटर के प्रयोग | कंप्यूटर के उपयोग
- समाजमिति क्या है? समाजमिति की परिभाषा,समाजमिति विधि के उपयोग
- UGC NET PAPER 1 SYLLABUS 2020 PDF IN HINDI
- UGC NET PAPER 1 SYLLABUS 2020 PDF IN ENGLISH