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प्रदर्शन प्रतिमान- सोपान, शिक्षा के क्षेत्र में उपयोग, सीमाएँ, सुझाव

प्रदर्शन प्रतिमान (Demonstration Model)

विद्यालय में शिक्षा के स्तर को उच्च बनाने के लिए कई प्रतिमानों का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है जिनमें से प्रदर्शन प्रतिमान सबसे महत्त्वपूर्ण माना जाता है। इस विधि का अधिकतर प्रशिक्षण में प्रयोग किया जाता है। इसे प्रशिक्षण का परम्परागत प्रतिमान भी कहा जाता है। इस विधि का प्रयोग अनेक तकनीकी संस्थाओं एवं औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थाओं में किया जाता है जिसमें छात्र दिये गये अनुदेशन को अपनाते हैं और अपने पाठ का प्रदर्शन करते हैं। छात्र इस प्रतिमान का अच्छे तरीके से प्रयोग करना सीखते हैं। प्रदर्शन प्रतिमान का प्रयोग शिक्षा, शिक्षण व प्रशिक्षण से जुड़े सभी विभागों में लागू करते हैं।

प्रदर्शन प्रतिमान के सोपान (Steps of Demonstration Model)

प्रदर्शन प्रतिमान के तीन सोपान हैं, जो निम्नलिखित हैं-

(1) भूमिका (Introduction)- प्रदर्शन प्रतिमान के प्रथम सोपान में भूमिका को सम्मिलित किया गया है। छात्र जब भी इसके अन्तर्गत किसी पाठ का प्रदर्शन करना चाहता है। तो वह सर्वप्रथम पाठ के उद्देश्यों की व्याख्या करता है। यह अध्यापक व छात्र दोनों को उद्देश्यों की जानकारी देने में सहायता करता है। यदि प्रस्तुत पाठ की भूमिका में उसके उद्देश्यों को परिभाषित नहीं किया जाता है तो प्रदर्शन प्रतिमान सम्पूर्ण रूप से सफल नहीं हो सकता। कोई भी छात्र यह नहीं समझ सकता है कि वास्तव में अध्यापक प्रस्तुतीकरण क्या करना चाहता है।

(2) विकास (Development)- पाठ को विकसित करना प्रदर्शन प्रतिमान में अत्यन्त महत्त्वपूर्ण माना गया है। द्वितीय सोपान के अन्तर्गत प्रदर्शनकर्त्ताओं द्वारा पाठ के अनेक पक्षों पर प्रकाश डालकर उसे विकसित करने की कोशिश की जाती है। इससे पाठ के उद्देश्य को पूर्ण किया जा सकता है। जब कक्षा में किसी भी विषयवस्तु के बारे में जानकारी दी जाती है तो धीरे-धीरे उसके विकास क्रम के अनुसार किया जाता है जिससे छात्रों को विषयवस्तु के साथ जोड़ा जाता है तथा उनके ज्ञान का विकास किया जाता है।

(3) एकीकरण (Integrate)- प्रदर्शन प्रतिमान में विषयवस्तु प्रस्तुतीकरण करना ही उसके एकीकरण का उदाहरण है। एकीकरण के अन्तर्गत प्रदर्शनकर्त्ता पाठ्यवस्तु को एकीकृत करके छात्रों से अभ्यास करवाता । वह छात्रों से मूल्यांकित प्रश्न भी पूछ सकता है। इससे उसे छात्रों की समझ का पता चलता है।

प्रदर्शन प्रतिमान के शिक्षा के क्षेत्र में उपयोग (Use of Demonstration Model in Field of Education)

प्रदर्शन प्रतिमान का प्रयोग कई तरीकों से किया जाता है, जिसका वर्णन इस प्रकार है-

(1) प्रदर्शन प्रतिमान का प्रयोग वास्तविक रूप में प्रशिक्षण संस्थाओं व औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थाओं के छात्रों के द्वारा किया जाता है। इससे उनके अन्दर प्रशिक्षण के प्रति लगाव आता है और वे प्रशिक्षण प्राप्त करने में पूरी तरह से सफल होते हैं।

(2) प्रदर्शन प्रतिमान का प्रयोग आमतौर पर निम्न व सामान्य श्रेणी के बालकों के लिए किया जाता है जिससे कि वे कक्षाकक्ष के दूसरे बालकों के समान अपने प्रदर्शन में सुधार अपने शिक्षा के स्तर को सुधार सकें और दूसरे बालकों के समान वे भी लक्ष्यों व उद्देश्यों को प्राप्त करने में सफल हो सकें।

(3) प्रदर्शन प्रतिमान के द्वारा मध्य स्तर के साथ-साथ निम्न स्तर के उद्देश्यों को भी प्राप्त किया जा सकता है।

(4) इस प्रतिमान के द्वारा पाठ को क्रमबद्ध तरीके से विकसित किया जाता है। इससे छात्र विषयवस्तु के साथ जुड़ते हैं।

(5) प्रदर्शन प्रतिमान को ज्ञानात्मक व क्रियात्मक पक्ष के मध्य का मार्ग भी माना जाता है जिससे कि वे अपने स्तर को सन्तुलित बना सकें। इस पक्ष द्वारा छात्रों को जब ज्ञान हो जाता है तो वे उस प्राप्त ज्ञान से स्वयं के जीवन में क्रियात्मक ढंग से उपयोग करते हैं।

प्रदर्शन प्रतिमान की सीमाएँ (Limitations of Demonstration Model)

प्रदर्शन प्रतिमान की अनेक सीमाएँ हैं, जिनका वर्णन इस प्रकार है-

(1) प्रदर्शन प्रतिमान सभी शैक्षणिक संस्थाओं के लिए उपयुक्त नहीं है। कभी-कभी प्रदर्शन के सम्बन्ध में निर्णय लेना छात्र अध्यापकों के लिए कठिन हो जाता है।

(2) इस सोपान में अनुकरण पर अधिक बल दिये जाने के कारण ही छात्र अध्यापकों की मौलिकता का विकास नहीं हो पाता है जिसके कारण वे प्रशिक्षण के उच्च स्तर को प्राप्त नहीं कर पाते हैं।

(3) प्रदर्शनमा अधिक प्रसिद्ध नहीं है जिसके कारण इसमें छात्रों की सफलता का मूल्यांकन करना कठिन हो जाता है।

(4) छात्र प्रदर्शन प्रतिमान के अन्तर्गत अपने पाठ को दिखाकर कौशल का विकास करना चाहते हैं। इससे वे अपने कौशल का सही ढंग से विकास नहीं कर पाते हैं क्योंकि सभी छात्र अध्यापक द्वारा दिये गये अनुदेशन के अनुसार पाठ को सही रूप में छात्रों के समक्ष प्रस्तुत नहीं के कर पाते हैं।

प्रदर्शन प्रतिमान के सुझाव (Suggestions of Demonstration Model)

प्रदर्शन प्रतिमान में सुधार के लिए निम्न सुझाव दिये गये हैं-

(1) प्रत्येक छात्र के द्वारा अपने पाठ प्रदर्शन के दौरान अनुकरणीय शिक्षण को प्रयुक्त किया जाना चाहिए ताकि पाठ प्रस्तुत करने में या प्रशिक्षण प्राप्त करने के साथ-साथ वे उत्तम शिक्षण के योग्य भी बन सकें।

(2) जब छात्र प्रदर्शन प्रतिमान के अन्तर्गत प्रदर्शन विधि का प्रयोग करके अपने पाठ का सही ढंग से छात्रों के सामने प्रस्तुत करता है तो उसे पाठ के दौरान आने वाली कठिनाइयों को सुलझाने या अपनी शंकाओं के स्पष्टीकरण का सही अवसर दिया जाना चाहिए ताकि वे पाठ के उद्देश्यों एवं लक्ष्यों को प्राप्त कर सकें।

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shubham yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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