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जमीनी प्रतिमान का अर्थ, विशेषताएँ, गुण तथा उपयोग

जमीनी प्रतिमान का अर्थ, विशेषताएँ, गुण तथा उपयोग
जमीनी प्रतिमान का अर्थ, विशेषताएँ, गुण तथा उपयोग

जमीनी प्रतिमान का अर्थ (Meaning of Grass Root Model)

जमीनी प्रतिमान का अर्थ यह है कि शिक्षा प्रक्रिया में आने वाली सभी प्रकार की कठिनाइयों का मुख्य कारण पहचानकर उन्हें दूर करने की कोशिश की जाती है। शिक्षा लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। इसके प्रवाह में अनेक कठिनाइयाँ आती रहती हैं किन्तु इस जमीनी प्रतिमान की विद्यालय या शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को लेकर मूल्यांकित की जा सकती हैं। इस प्रतिमान के मदद से इन समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया जाता है। ये कठिनाइयाँ छात्र, अध्यापक,माध्यम से समस्या के मूल कारण को परिभाषित करने का प्रयास किया जाता है। यह समस्या के मूल्य कारण की परिकल्पना करता है। इससे समस्या के मूल तत्त्व तक पहुँचने की कोशिश की जाती है। इस कारण इसे जमीनी प्रतिमान कहते हैं।

जमीनी प्रतिमान की विशेषताएँ (Features of Grass Root Model)

जमीनी प्रतिमान की विशेषताएँ निम्न प्रकार हैं-

(1) बाल केन्द्रित होना (Child Centred)- जमीनी प्रतिमान को बाल केन्द्रित प्रतिमान भी माना जाता है। इसके द्वारा बनाई गई नीतियों को सफल बनाने के लिए विद्यालय में प्रतिमान की प्रक्रिया का वास्तविक क्रियान्वयन बाल केन्द्रित होता है। जमीनी प्रतिमान का प्रयोग पाठ्यचर्या व छात्रों की कठिनाइयों को सुलझाने के लिए किया जाता है। पाठ्यचर्या व बालक एक-दूसरे के साथ सम्बन्धित रहते हैं। यदि पाठ्यचर्या व छात्र एक-दूसरे पर निर्भर होंगे तो छात्रों को वास्तविक जीवन में आगे बढ़ने के लिए तैयार किया जाता है।

(2) निम्न स्तर से उच्च स्तर की ओर जाना (Move Towards Downwards to Upwards)- जमीनी प्रतिमान की प्रक्रिया निम्न स्तर से उच्च स्तर की ओर होती है। इसके अन्तर्गत पाठ्यचर्या में विभिन्न कठिनाइयों का समाधान आसानी व प्रक्रिया के अनुसार किया जाता है। इसके साथ इसमें बदलाव भी छात्रों व उनकी आस-पास की प्रक्रियाओं के आधार पर होता है। इस जमीनी प्रतिमान को छात्रों का आधार माना जाता है।

(3) उच्च स्तर का विशेष स्वरूप (Special Structure of Higher Level)– इसका कार्य विद्यालय के शैक्षणिक स्तर को उच्च बनाने के लिए किया जाता है। उच्च स्तर पर जमीनी प्रतिमान का प्रयोग विशेषकर किया जाता है। (इस प्रतिमान की मदद से छात्र को उच्चतर स्तर तक के लिए प्रतिभा वाले छात्रों के साथ जोड़कर व इनका स्तर उच्च करके पहुँचाया जाता है।) इस जमीनी प्रतिमान से प्रत्येक छात्र की समस्याओं का समाधान करके उसका विकास किया जाता है। जमीनी प्रतिमान के क्रियान्वयन से ही उसके निम्न स्तर को उच्चतर लक्ष्यों के साथ जोड़ने का प्रयत्न किया जाता है।

(4) लोकतान्त्रिक दृष्टिकोण (Democratic Outlook)- जमीनी प्रतिमान की मदद से विद्यालय में लोकतान्त्रिक वातावरण का निर्माण होता है। इस प्रतिमान की नीतियों के वास्तविक क्रियान्वयन में अभिभावक, अध्यापक, छात्र, समुदाय विशेष के लोगों को सम्मिलित किया जाता है। इस तरह यह जमीनी प्रतिमान लोकतान्त्रिक दृष्टिकोण वाला बन जाता है। विद्यालय का वातावरण भी इस प्रतिमान को लागू करने से लोकतान्त्रिक मूल्यों पर आधारित बन जाता है।

(5) तकनीकी दृष्टिकोण पर आधारित (Based on Technical Outlook)- जमीनी प्रतिमान तकनीकी दृष्टिकोण पर पूरी तरह से आधारित होता है। इस दृष्टिकोण से विद्यालय, छात्र, अभिभावक व समुदाय विशेष के लोगों की मदद ली जाती है। इससे प्रत्येक बालक का विकास किया जा सकता है। इस दृष्टिकोण पर आधारित होने से विद्यालय में प्रतिमान की नीति व प्रक्रिया का क्रियान्वयन न केवल छात्र की जरूरत को पूरा करता है बल्कि विद्यालय, अभिभावक व समूह विशेष की भी आवश्यकताओं को भी पूरा करने का प्रयत्न किया जाता है।

जमीनी प्रतिमान के गुण (Merits of Grass Root Model)

जमीनी प्रतिमान के गुण निम्नलिखित हैं-

(1) व्यापक प्रतिमान (Wider Model)— यह प्रतिमान अपनी व्यापक नीतियों व प्रक्रिया के कारण शिक्षण प्रक्रिया का महत्त्वपूर्ण भाग माना जाता है। इस प्रतिमान का क्रियान्वयन अत्यधिक व्यापक स्तर पर किया जाता है। इसके अलावा इस प्रतिमान में समाज के विशेष लोगों को शामिल किया जाता है। यह प्रतिमान अधिक-से-अधिक लोगों को इस प्रक्रिया में शामिल करता है।

(2) राष्ट्रीय आवश्यकताओं को महत्त्व देना (Provide Importance to National Needs)– जमीनी प्रतिमान के अन्तर्गत राष्ट्रीय आवश्यकताओं को पूरा करने में कोशिश की जाती है। इससे बालक की आवश्यकताओं को पूरा करके एवं उसकी समस्याओं को सुलझाकर उसे राष्ट्र के लिए उपयोगी बनाया जाता है। इस प्रतिमान के अन्तर्गत शिक्षा के अनेक पक्ष समुदाय व राष्ट्रीय स्तर की आवश्यकताओं को महत्त्व दिया जाता है। इसी के साथ-साथ प्रतिमान को वास्तविक आधार पर भी लागू किया जाता है।

(3) विशेष समस्याओं का समाधान (Romove all Problems )- यह प्रतिमान कई समस्याओं को सुलझाने में सभी अध्यापकों की मदद करता है। इसी के सहयोग से विद्यालय की शिक्षण अधिगम प्रक्रिया से जुड़ी विशेष समस्याओं का समाधान किया जाता है। इससे शिक्षा प्रक्रिया को चलाये रखने में किसी प्रकार की कठिनाई नहीं आती है और न ही अधिगम प्रक्रिया में कोई रुकावट आती है।

(4) बाल केन्द्रित होना (Child Centred)– यह प्रतिमान हर प्रकार से बालक की आवश्यकताओं के इर्द-गिर्द रहता है। इस प्रतिमान के अन्तर्गत प्रक्रिया एवं सफलता के लिए बनाई गई नीतियों का सम्बन्ध पूरी तरह से बालक केन्द्रित होता है। इस प्रतिमान की सफलता का मूल्यांकन बालक के सीखने पर किया जाता है और स्पष्ट किया जाता है कि बालक की सफलता का कितना आधार है। यदि शिक्षण बालक के स्तर के अनुसार नहीं है तो शिक्षण पूरी तरह से उपयोगी नहीं माना जाता है।

(5) शैक्षिक प्रक्रिया में सहायता करना (Help to Education Process)- जमीनी प्रतिमान के क्रियान्वयन से विद्यालय में चल रही शैक्षिक प्रक्रिया को महत्त्वपूर्ण ढंग से चलाने में सहायता मिलती है। इस प्रकार की सहायता मिलने से पाठ्यचर्या को कक्षा में विकसित किया जाता है। विद्यालय की शैक्षिक प्रक्रिया को वास्तविक रूप देने में इस प्रतिमान का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है।

(6) स्थानीय परिस्थितियों को महत्त्व देना (Give Importance to Local Situation)- जमीनी प्रतिमान विद्यालय के कार्यों को करते समय स्थानीय परिस्थितियों को अधिक महत्त्व देते हैं। जब छात्र अपनी पाठ्यचर्या का अध्ययन करता है तो वे उसमें स्थानीय परिस्थितियों का पूर्ण लाभ उठाते हैं। इससे उन्हें अपने आस-पास के संसाधन के महत्त्व का पता चलता है। वे इन संसाधनों की अपने जीवन में उपयोगिता की जानकारी प्राप्त करते हैं।

(7) अध्यापकों द्वारा आसानी से स्वीकार करना (Accepted by Teachers Easily)- जमीनी प्रतिमान को अध्यापक सरलता से स्वीकार कर लेते हैं क्योंकि यह प्रतिमान सभी की आवश्यकताओं को सभी के साथ मिलकर पूरा करता है और निर्धारित किये गये लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करता है। जमीनी प्रतिमान की सफलता इसके क्रियान्वयन में कोई बाधा नहीं आने देती है।

(8) बेहतर परिणाम देना (Give Good Result)- जमीनी प्रतिमान को विद्यालय में लागू करने से बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं। इन परिणामों से आस-पास की आवश्यकताओं को भी महत्त्व दिया जाता है। इस प्रतिमान के द्वारा बेहतर परिणाम मिलने का मुख्य कारण इसकी प्रक्रिया का वास्तविक क्रियान्वयन है। पाठ्यचर्या का निर्माण एवं विकास पूर्णता पर आधारित होता है। इससे बेहतर परिणाम आसानी से प्राप्त किये जा सकते हैं।

(9) अत्यधिक बजट (Heavy Budget)- किसी भी विद्यालय में प्रतिमान की प्रक्रिया को चलाने के लिए बजट की हमेशा कमी होती है। यह प्रतिमान दो प्रकार का है, जैसे- तकनीकी वैज्ञानिक प्रतिमान तथा अतकनीकी वैज्ञानिक प्रतिमान। इन प्रतिमानों की सम्पूर्ण क्रिया को लागू करने के लिए विद्यालय को अत्यधिक धन की आवश्यकता होती है जो प्रत्येक प्रशासन के पास नहीं होता है। इससे इनका वास्तविक रूप विद्यालय में लागू नहीं हो पाता है।

(10) आमने-सामने की अन्तःक्रिया (Mutual Interaction)- जमीनी प्रतिमान के अन्तर्गत बालक समाज के दूसरे लोगों के साथ आमने-सामने की अन्तः क्रिया करता है। इस प्रकार की अन्तःक्रिया से बालकों के अन्तर आत्मविश्वास उत्पन्न होता है। वे अपनी कठिनाइयों का समाधान सबकी मदद से करते हैं। यह अन्तःक्रिया के साथ बालक को भी क्रियाशील बनाये रखता है। इसी कारण छात्र भी अपने उद्देश्यों व लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल रहते हैं।

(11) लम्बी प्रक्रिया पर आधारित (Based on Long Process) – जमीनी प्रतिमान की प्रक्रिया अत्यन्त लम्बी है जिस कारण इसके कार्य करने में विद्यालय को अधिक कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इससे छात्रों की पाठ्यचर्या सम्बन्धी समस्याओं को पूरी तरह से सुलझा नहीं पाते हैं और न ही पाठ्यचर्या का पूरी तरह से विकास हो पाता है जिससे छात्र अपनी सीखने की प्रक्रिया में पीछे रह जाता है।

जमीनी प्रतिमान के उपयोग (Utility of Grass Root Model)

जमीनी प्रतिमान का अध्यापक द्वारा कक्षा में उपयोग या शैक्षिक प्रावधान निम्नलिखित हैं-

(1) जमीनी प्रतिमान में अध्यापक आगमन विधि का उपयोग करता है इससे पाठ्यचर्या का विकास सही ढंग से होता है।

(2) पाठ्यचर्या विकास की प्रक्रिया में अध्यापक को बिजली के आगमन की तरह माना जाता है जिसके आने से पूरे वातावरण में रोशनी आ जाती है उसी तरह अध्यापक के अनुभव व नये ज्ञान से पाठ्यचर्या को नई दिशा मिलती है।

(3) अध्यापक एक मुख्य इकाई के द्वारा शिक्षण अधिगम की प्रक्रिया को छात्रों के विकास के लिए कक्षा चलाते हैं जो पूर्ण रूप से निम्न स्तर से अध्यापक द्वारा शुरू की जाती है।

(4) ताबा का यह विश्वास था कि छात्रों को कक्षा में जो शिक्षा देता है उसे पाठ्यचर्या के विकास की जिम्मेदारी देनी चाहिए जो जमीनी प्रतिमान के नाम से विकसित हुआ है।

(5) ताबा के जमीनी प्रतिमान में अध्यापक को विशेष महत्त्व दिया जाता है क्योंकि पाठ्यचर्या के विकास में उसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।

(6) किसी भी विषयवस्तु से सम्बन्धित अध्यापक को निर्णय लेने से पहले स्वतन्त्रता होती है कि वह तथ्यों, उद्देश्यों, सिद्धान्तों व अधिगम विषयवस्तु पर कैसे दबाव दे, ताकि उन्हें छात्रों के अधिगम के साथ जोड़ा जा सके।

(7) अध्यापक अधिगम उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए निर्णय लेने में स्वतन्त्रता प्राप्त करता है। वह छात्रों को अलग-अलग भागों में बाँटकर उन्हें अधिगम के लिए तैयार कर सकता है।

(8) अलग-अलग विषयों के अध्यापक मिलकर एक पूर्ण इकाई की स्थापना कर सकते हैं जिससे शिक्षा के वास्तविक स्वरूप को विकसित किया जा सकता है

(9) अध्यापक को ज्ञान व सूचना का मुख्य कारण माना गया है जिसका पाठ्यचर्या विकास पर पूर्ण नियन्त्रण होता है।

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shubham yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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