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मेरिया मॉण्टेसरी द्वारा प्रतिपादित विभिन्न शिक्षा पद्धतियां

मेरिया मॉण्टेसरी द्वारा प्रतिपादित विभिन्न शिक्षा पद्धतियां
मेरिया मॉण्टेसरी द्वारा प्रतिपादित विभिन्न शिक्षा पद्धतियां

मेरिया मॉण्टेसरी द्वारा प्रतिपादित विभिन्न शिक्षा पद्धतियां

मेरिया मॉण्टेसरी की शिक्षण-विधि निम्नलिखित तीन भागों में विभाजित की जा सकती है-(1) कर्मेन्द्रियों की शिक्षा, (2) ज्ञानेन्द्रियों की शिक्षा तथा (3) पढ़ने-लिखने की शिक्षा।

1. कर्मेन्द्रियों की शिक्षा- मॉण्टेसरी विद्यालयों में 3 से 7 वर्ष तक के छात्र पढ़ते हैं। उनको सबसे पहले कर्मेन्द्रियों की शिक्षा दी जाती है। इसके लिये गतिशीलता का ध्यान रखा जाता है। विद्यालय के छात्र स्वावलम्बी होते हैं। वे अपना कार्य स्वयं करते हैं। छात्रों को अपना शरीर साफ रखना, कपड़े साफ रखना, कपड़े बदलना, भोजन पकाना तथा परोसना सिखाया जाता है। ऐसे काम करने से छात्र प्रसन्नता का अनुभव करते हैं तथा उनको अपनी कर्मेन्द्रियों को भी प्रशिक्षित करने का अवसर मिलता है। छात्रों को शरीर का सन्तुलन करना आ जाता है। उनको दैनिक दिनचर्या का काम करना भी आ जाता है।

2. ज्ञानेन्द्रियों की शिक्षा- ज्ञानेन्द्रियों की शिक्षा उपकरणों के माध्यम से दी जाती है। मॉण्टेसरी का विश्वास था कि एक समय में केवल एक ज्ञानेन्द्रिय का प्रयोग किया जाय। इसी कारण अपनी पद्धति में मॉण्टेसरी ने जो उपकरण बनाये, वे एक समय में केवल एक ज्ञानेन्द्रिय को प्रभावित करते हैं। “शिक्षण विधि में इन्द्रियों की शिक्षा का अधिक महत्व होना चाहिये।” मॉण्टेसरी के अनुसार विभिन्न ज्ञानेन्द्रियों को किस प्रकार प्रशिक्षित किया जाता है, उसका वर्णन इस प्रकार है-

(1) चक्षु इन्द्रियाँ- रंगों की पहचान करना सिखाना, विभिन्न रंगों की टिक्कियाँ दिखाना, रंगों से सम्बन्धित प्रश्न पूछना आदि।

(2) घ्राणेन्द्रिय- सुगन्धित पुष्पों को सूँघना, आँख पर पट्टी बाँधकर किसी भी वस्तु को सूँघना आदि।

(3) स्वादेन्द्रिय – विभिन्न स्वादों का ज्ञान कराने के लिये खट्टी, मीठी, चरपरी, तीखी, कड़वी तथा नमकीन वस्तुओं को खिलाना।

(4) स्पर्शेन्द्रिय- विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का स्पर्श कराना। इसके लिये गरम, गुनगुने तथा ठण्डे पानी में हाथ डालना। चिकने और खुरदरे पदार्थों का ज्ञान कराना आदि।

उपर्युक्त ज्ञानेन्द्रियों के लिये तीन चरण काम में लाये जाते हैं—(1) किसी वस्तु के विषय में शिक्षिका स्वयं बताती है। (2) फिर छात्र से उस वस्तु के विषय में पूछा जाता है। (3) पुनरावृत्ति करने के लिये उस वस्तु के विषय में पुन: प्रश्न पूछा जाता है।

3. पढ़ने-लिखने की शिक्षा-मॉण्टेसरी के अनुसार पढ़ने की अपेक्षा लिखना सरल होता है। ज्ञानेन्द्रियों के अनेक अभ्यास करने के पश्चात् पढ़ना, लिखना और अंकगणित सरलता से आ जाता है। ज्ञानेन्द्रियों के प्रशिक्षण से पढ़ना, लिखना स्वतः आ जाता है।

(1) लिखना- इस पद्धति में लिखना पहले सिखाया जाता है और पढ़ना उसके पश्चात् । मॉण्टेसरी के अनुसार पढ़ने के लिये उच्चारण आवश्यक होता है और यह केवल पर्याप्त बौद्धिक विकास के पश्चात् ही सम्भव हो सकता है, किन्तु लिखने में केवल अनुकरण की आवश्यकता होती है। लिखने के स्वाभाविक विकास के लिये निम्नलिखित तीन क्रियाएँ आवश्यक होती हैं-(1) कलम पकड़ने का अभ्यास, (2) अक्षरों के स्वरूप को समझना तथा (3) अक्षरों का उच्चारण। मॉण्टेसरी विधि से छात्र डेढ़ मास में लिखना सीख जाता है। छात्र को लिखना आ जाना इस प्रणाली की सबसे बड़ी सफलता है।

(2) पढ़ना- मॉण्टेसरी का विश्वास है अंकित चिह्नों से भाव निकालना ही पढ़ना है। पढ़ना सिखाने के लिये शिक्षिका छात्रों के समक्ष किसी पहचानी वस्तु को रख देती है। उस वस्तु का नाम वह श्यामपट्ट पर लिख देती है। इस पद्धति में छात्र द्वारा श्यामपट्ट पर लिखे शब्द का वाचन कराया जाता है। जब छात्र उस शब्द को ठीक प्रकार से पढ़ने लगता है तब शिक्षिका अत्यन्त वेग से उस पूरे शब्द को कई बार दोहरवाती है। इसके बाद अन्य शब्द भी उसी प्रकार लिखे और पढ़े जाते हैं। शब्दों का पढ़ना आ जाने के पश्चात् छात्र को वाक्य पढ़ना सिखाया जाता है। छात्र को लिखना सीखने के पन्द्रह दिन पश्चात् पढ़ना आ जाता है।

(3) गणित- लिखना पढ़ना सिखाने की भाँति मॉण्टेसरी प्रणाली में गणित सिखाने की नवीनता नहीं है। गिनती सिखाने के लिये विभिन्न लम्बाइयों के छोटे-बड़े दस डण्डों का प्रयोग किया जाता है। इन डण्डों की लम्बाई कई भागों में विभाजित करके इन भागों को लाल-नीला रंग दिया जाता है। छात्र पहले लम्बाई के क्रम में डण्डों को रखता है और फिर उसके लाल-नीले भागों को गिनता है। छात्र डण्डों को 1, 2, 3, 4 आदि क्रम संख्या देता है। इसी विधि से जोड़ना, घटाना, गुणा और भाग करना सिखाया जाता है। इस विधि से छात्र प्रारम्भिक गणित को सोख लेता है, किन्तु अन्य प्रक्रियाओं को सिखाने में समय लगता है।

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shubham yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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